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मित्रों थोड़ा धैर्य और: आ रही है वैक्सीन, मिलेगी सबको
वैक्सीन के डिस्ट्रीब्यूशन की तैयारी हो गई है, बस अब रोलआउट होना बाकी है। सबको ये ध्यान जरूर रखना है कि जिस तरह अभी तक सावधानी और एहितयात बरती है उसे और सख्ती से आगे भी जारी रखें ताकि कोरोना रूपी अदृश्य दुश्मन को प्रभावी शिकस्त दी जा सके।
नील मणि लाल
लखनऊ: बस थोड़ा धैर्य और रखिये, अगले दो - तीन महीने में भारत को भी कोरोना की वैक्सीन मिल जायेगी। वैक्सीन के डिस्ट्रीब्यूशन की तैयारी हो गई है, बस अब रोलआउट होना बाकी है। सबको ये ध्यान जरूर रखना है कि जिस तरह अभी तक सावधानी और एहितयात बरती है उसे और सख्ती से आगे भी जारी रखें ताकि कोरोना रूपी अदृश्य दुश्मन को प्रभावी शिकस्त दी जा सके।
सबसे पहले सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया की वैक्सीन आयेगी
भारत में एक नहीं, बल्कि तीन-तीन वैक्सीनों का काम बहुत एडवांस स्टेज में है। सीरम इंस्टिट्यूट, भारत बायोटेक और जाईडस कैडिला – ये तीन कम्पनियाँ महामारी की ढाल बनाने में जुटी हुईं हैं और इनमें सबसे पहले सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया की वैक्सीन आयेगी। इसके तीसरे चरण का ट्रायल पूरा हो चुका है और अब नियामक की मंजूरी मिलना बाकी है। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक की वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल चल रहे हैं और इसके नतीजे भी उत्साहजनक हैं। उम्मीद की जा रही है कि भारत बायोटेक की वैक्सीन को जल्द ही नियामक की मंजूरी मिल जायेगी। जहाँ तक वैक्सीनों की बुकिंग की बात है तो भारत विभिन्न वैक्सीनों के करीब डेढ़ अरब खुराकों के अडवांस आर्डर दे चुका है।
जनवरी तक मिल सकती है मंजूरी
दिल्ली एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि पहली वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए इस महीने के आखिर या जनवरी के शुरू में मंजूरी मिल सकती है। उन्होंने कहा कि अभी तक हुए ट्रायल से पता चलता है कि यह काफी सुरक्षित है। अब तक करीब 80 हजार लोगों पर इस वैक्सीन का ट्रायल हुआ है और कोई खास साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला है। डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिलने के एक हफ्ते के अंदर देश में टीका लगाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
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पूरे देश को टीका लगाने की जरूरत नहीं है
उन्होंने यह भी साफ किया कि पूरे देश को टीका लगाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि 50 से 60 प्रतिशत आबादी को टीका लगाने के बाद वायरस की चेन टूट सकती है। एक तरह से हर्ड इम्यूनिटी बन जाएगी, जिसके बाद हमें शायद इसकी जरूरत न हो। डेटा बताता है कि शॉर्ट टर्म वैक्सीन सुरक्षित है। डॉ गुलेरिया ने कहा कि वैक्सीन की इम्युनिटी कब तक के लिए होगी, अभी यह साफ नहीं है।
यह धीरे-धीरे यह पता चलेगा और इसी आधार पर आगे की योजना तय होगी कि कितने लोगों को वैक्सीन दी जाए। डॉ गुलेरिया ने कहा कि अब हम कोरोना के मौजूदा वेव में कमी देख रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि यह जारी रहेगी लेकिन इसके लिए हमें कोरोना से बचने के तरीके लगातार प्रयोग करते रहने होंगे। हम महामारी से संबंधित बड़े बदलाव की तरफ हैं अगर अगले 3 महीने तक हम ऐसा करने में सफल रहे तो चीजें बदल जाएंगी।
टीकाकरण अभियान चलाने की तैयारी
भारत में कोरोना टीकाकरण की तैयारी चल रही है। सरकार वैक्सीन देनेवाले कर्मचारियों की लिस्ट बना रही है जो 2021 के शुरुआती महीनों में 30 करोड़ देशवासियों को वैक्सीन लगाएंगे। अभी सार्वजनिक क्षेत्र में 70 हजार टीकाकर्मी हैं और निजी क्षेत्र के 30 हजार टीकाकर्मियों को भी अभियान में शामिल किए जाने की संभावना टटोली जा रही है। भारत में सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मियों, फ्रंट लाइन वर्कर्स और वृद्ध लोगों को वैक्सीन लगी जायेगी। स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंट लाइन वर्कर्स की लिस्ट भी बनाई जा चुकी है। इसके अलावा देश भर में कोल्डचेन और कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था बना दी गयी है।
ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को भारत में बना रहे सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने पिछले हफ्ते कहा था कि वे जल्द ही इमरजेंसी अप्रूवल के लिए अप्लाई करने की तैयारी कर रहे हैं। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के कोल्ड स्टोरेज में सप्लाई के लिए ‘कोवीशील्ड’ वैक्सीन के डोज तैयार हैं। इमरजेंसी अप्रूवल मिलते ही इनकी सप्लाई शुरू हो जाएगी। कंपनी भारत में 10 करोड़ डोज सप्लाई करने वाली है।
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क्या भारत को मिलेगी फाइजर की वैक्सीन
दुनिया में सबसे पहले अमेरिकी कंपनी फाइजर की कोरोना वैक्सीन ले कर आ रहा है और ब्रिटेन ने इस वैक्सीन को आवश्यक मंजूरी भी दे दी है और वहां अब वैक्सीन लगाने का काम शुरू होने वाला है। लेकिन फाइजर की वैक्सीन का भारत आना अभी निश्चित नहीं है। दरअसल, किसी वैक्सीन को भारत में अनुमति तभी मिल सकती है जब उसके क्लीनिकल ट्रायल भारत में भी हुए हों।
फाइजर की वैक्सीन का ट्रायल भारत के लोगों पर नहीं हुआ है और अभी तक फाइजर या उसकी किसी सहयोगी कंपनी ने भारत में ट्रायल करने की अनुमति नहीं माँगी है। सो अगर फाइजर भारत की किसी कंपनी के साथ करार करता भी है तो उसे यहाँ ट्रायल कराना होगा और इस प्रक्रिया में समय लगेगा।
भारत सरकार ने अगस्त में फाइजर के साथ बातचीत की थी
वैसे ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया के पास विशेषाधिकार होता है कि वो किसी वैक्सीन का लोकल क्लीनिकल ट्रायल माफ़ कर दे लेकिन अभी तक ऐसा हुआ नहीं है। भारत सरकार ने अगस्त में फाइजर के साथ बातचीत की थी लेकिन उसके बाद से कोई डेवलपमेंट नहीं हुआ है। अमेरिका की एक अन्य कंपनी मॉडरना ने भी भारत में ट्रायल की अनुमति नहीं मांगी है। इस कंपनी की वैक्सीन 94.1 फीसदी असरदार बताई गयी है।
वैसे, फाइजर ने कहा है कि वह भारत सरकार के साथ काम करने के लिए तैयार है। कंपनी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि अभी हम कई सरकारों के साथ बातचीत की प्रक्रिया में है। हम देश में टीका मुहैया कराने के लिए भारत सरकार के साथ काम करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। फाइजर महामारी के दौर में इस टीके को सिर्फ सरकारी कॉन्ट्रैक्ट के जरिए उपलब्ध कराएगी।
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इंटरपोल ने किया अलर्ट
कोरोना वैक्सीन पर तमाम अच्छी खबरों के बीच इंटरपोल ने ग्लोबल अलर्ट जारी किया है। इंटरपोल ने बताया है कि कोरोना वैक्सीन पर अपराधियों की नजर है और वे इसे निशाना बना सकते हैं। इंटरपोल ने चेतावनी जारी की है कि अपराधी संगठन कोरोना वैक्सीन के नकली डोज़ बेचने की कोशिश कर सकते हैं।
कीमत का बड़ा फर्क
अमेरिकी कंपनी फाइजर ने जर्मनी की बायोएनटेक के साथ मिलकर कोरोना की वैक्सीन तैयार की है। यह फेज 3 ट्रायल में 95 फीसदी तक असरदार रही है। ट्रायल के नतीजों के आधार पर यह अब तक की सबसे असरदार वैक्सीन है। हालांकि फाइजर की वैक्सीन माइनस 70 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर करना पड़ता है जो इसकी सबसे बड़ी खामी है। वैक्सीन की कीमत भी अच्छी खासी होगी।
कंपनी ने अमेरिकी सरकार के साथ 19.50 डॉलर में एक डोज के हिसाब से डील की है, ऐसे में खुले बाजार में वैक्सीन की कीमत इससे दोगुनी तक हो सकती है। जबकि मॉडरना कंपनी ने बताया है कि उसकी कोरोना वायरस वैक्सीन के लिए सरकारों को एक खुराक की कीमत 25 से 37 डॉलर देनी होगी। भारत में बन रही कोविशील्ड सरकार को कम कीमत (3 से 4 डॉलर यानी 225 से 300 रुपये) में मिलेगी क्योंकि वह बहुत ज्यादा मात्रा में डोज खरीदेगी। लेकिन आम जनता को वैक्सीन के लिए 500 से 600 रुपये चुकाने होंगे।
क्या चल रहा है बाकी दुनिया में
यूनाइटेड किंगडम दुनिया का पहला देश है जिसनें फाइजर की वैक्सीन को मंजूरी दी है। देश में टीकाकरण सेना की देखरेख में किया जाएगा और पूरी चेन भी सेना की कमान में होगी। यूके ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है और बेल्जियम स्थित फाइजर की यूनाइट से यूके तक के रास्ते को सिक्योर कर दिया है। ये रास्ता भी सेना के नियंत्रण में रहेगा। अमेरिका में भी वैक्सीन का काम सेना के कंट्रोल में रहेगा।
अमेरिका के वैक्सीन प्रोग्राम ‘ऑपरेशन वार्पस्पीड’ को सेना के टॉप जनरल ही देख रहे हैं। अमेरिका में अगले हफ्ते से वैक्सिनेशन शुरू होने की उम्मीद है। अमेरिका में लोगों में वैक्सीन को लेकर बैठे डर को दूर करने के लिए तीन पूर्व राष्ट्रपतियों - बराक ओबामा, जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बिल क्लिंटन ऑन कैमरा वैक्सीन लगवाने वाले हैं। तीनों को उम्मीद है कि इससे वैक्सीन के सेफ्टी और इफेक्टिव होने पर लोगों के बीच अच्छा मैसेज जाएगा। यूनाइटेड किंगडम से साथ साथ अमेरिका और यूरोपीय संघ ने फाइजर वैक्सीन के करोड़ों डोज खरीदने के लिए एडवांस एग्रीमेंट कर रखे हैं।
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रूस के स्वास्थ्य मंत्री का दावा, एक लाख लोगों को वैक्सीन लगाया जा चुका
उधर रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अगले हफ्ते से व्यापक टीकाकरण शुरू करने के आदेश दिए हैं। मेडिकल वर्कर्स और टीचर्स को हाई-रिस्क ग्रुप्स में रखने और सबसे पहले वैक्सीन के डोज देने के आदेश दिए हैं। रूस के स्वास्थ्य मंत्री का दावा है कि अब तक एक लाख लोगों को वैक्सीन लगाया जा चुका है। रूसी सैनिकों को वैक्सीन लगाने का काम शुरू हो चुका है। दिसंबर के अंत तक करीब 80 हजार सैनिकों को वैक्सीन लगा दिया जाएगा। रूस ने दो वैक्सीन विकसित किए हैं - स्पूतनिक 5 और एपिवैककोरोना।
जॉनसन एंड जॉनसन से भी अच्छे नतीजे की उम्मीद
अमेरिका में कोरोना वैक्सीन डेवलपमेंट प्रोग्राम के चीफ एडवाइजर को उम्मीद है कि फरवरी 2021 के अंत तक 10 करोड़ लोगों को वैक्सीन लग जाएगी। इस मिशन में हाई-रिस्क आबादी को सबसे पहले कवर किया जाएगा। ऑपरेशन वार्प स्पीड चीफ एडवाइजर मोनसेफ स्लॉई ने कहा कि फाइजर और मॉडर्ना के वैक्सीन ने इमरजेंसी अप्रूवल के लिए अप्लाई किया है। इसके अलावा जॉनसन एंड जॉनसन से भी अच्छे नतीजे की उम्मीद है।
इटली ने राष्ट्रीय स्तर पर अपना नेशनल कोविड 19 टीकाकरण अभियान घोषित किया है। स्वास्थ्य मंत्री रॉबर्ट स्पेरंजा ने कहा कि पहले चरण में 2021 की पहली तिमाही तक 4 करोड़ लोगों के लिए डोज उपलब्ध होंगे। यह वैक्सीन फ्री और स्वैच्छिक होगी।
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वैक्सीन के लिए यूके जाना चाह रहे लोग
लोग कोरोना की वैक्सीन लगवाने के लिए यूनाइटेड किंगडम जाने के लिए उतावले हो रहे हैं। ट्रेवल एजेंट्स के पास अब लोगों की इन्क्वाइरी आने लगी है कि कैसे ब्रिटेन पहुंचा जाये। जिनके पास पहले से यूके का वीजा है वो सबसे पहले वहां पहुंचना चाहते हैं। बहार से आने वालों को यूके में वैक्सीन दी जायेगी कि नहीं, अभी ये तय नहीं है लेकिन फिर भी लोगों ने पूरी तैयारी कर रखी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रेवल एजेंट यूके के लिए तीन दिन का स्पेशल पैकेज लाने वाले हैं ताकि वहां के टीकाकरण प्रोग्राम का लोग फायदा उठा सकें।
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