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G-20 Summit: चीन-पाकिस्तान को PM मोदी की दो टूक, बोले-‘अरुणाचल या कश्मीर... कहीं भी कर सकते हैं मीटिंग‘

G-20 Summit: पीएम मोदी ने आगामी जी-20 शिखर सम्मेलन को लेकर विस्तार से इसके महत्व के बारे में बताया है। प्रधानमंत्री ने विभिन्न विषयों पर बात करते हुए कहा कि निकट भविष्य में भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश होगा।

Ashish Pandey
Published on: 3 Sep 2023 2:38 PM GMT
G-20 Summit: चीन-पाकिस्तान को PM मोदी की दो टूक, बोले-‘अरुणाचल या कश्मीर... कहीं भी कर सकते हैं मीटिंग‘
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PM Narendra Modi: Photo- Social Media

G-20 Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीनगर और अरुणाचल में जी-20 बैठक पर चीन और पाकिस्तान की आपत्ति को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि देश के हर हिस्से में बैठक कर सकते हैं। पीटीआई को दिए एक विशेष साक्षात्कार में पीएम मोदी ने कहा कि गैर-जिम्मेदार वित्तीय नीतियों और लोक लुभावने वादों से तुरंत राजनीतिक फायदे तो मिल सकते हैं, लेकिन भविष्य में इसकी आर्थिक और सामाजिक कीमत चुकानी पड़ती हैं। इसमें नुकसान हमेशा गरीबों का ही होता है।

भारत की जी-20 अध्यक्षता के बारे में बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इससे कई सकारात्मक प्रभाव हुए हैं और उसमें से कुछ ‘‘मेरे दिल के बहुत करीब‘‘ हैं। उन्होंने कहा, ‘जी-20 में, हमारे शब्दों और दृष्टिकोण को दुनिया न कि केवल विचारों के रूप में बल्कि भविष्य के रोडमैप के रूप में देख रही है। दुनिया का जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण अब मानव-केंद्रित में बदल रहा है और भारत उत्प्रेरक की भूमिका निभा रहा है।‘

एकमात्र तरीका बातचीत और कूटनीति है-

उन्होंने कहा कि आज भारतीयों के पास विकास की नींव रखने का शानदार मौका है जिसे अगले हजारों वर्षों तक याद रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास‘ भी विश्व कल्याण के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हो सकता है। रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न संघर्षों को हल करने का एकमात्र तरीका बातचीत और कूटनीति है।

फर्जी खबरें अराजकता पैदा कर सकती हैं-

पीएम मोदी ने फेक न्यूज का जिक्र करते हुए कहा, फर्जी खबरें अराजकता पैदा कर सकती हैं और समाचार स्रोतों की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा सकती हैं, इनका इस्तेमाल सामाजिक अशांति को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है।‘ पीएम मोदी ने कहा कि 9 साल की राजनीतिक स्थिरता के कारण कई सुधार हुए और विकास होना स्वाभाविक है।

जी-20 की बताई अहमियत

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की जी-20 की अध्यक्षता ने तथाकथित तीसरी दुनिया के देशों में भी विश्वास के बीज बोए। उन्होंने कहा, ‘भारत की जी-20 प्रेसीडेंसी की थीम ‘वसुधैव कुटुंबकम‘ सिर्फ नारा नहीं बल्कि हमारे सांस्कृतिक लोकाचार से प्राप्त व्यापक दर्शन है। निकट भविष्य में भारत विश्व की शीर्ष 3 अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगा। उन्होंने कहा कि एक दशक से भी कम समय में भारत ने रिकॉर्ड छलांग लगाते हुए पांचवा स्थान हासिल किया था।‘ जी-20 का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जी-20 में अफ्रीका हमारे लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है और सभी की आवाजें सुने बिना दुनिया की कोई भी भविष्य की योजना सफल नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, ‘दुनिया के सामने महंगाई की प्रमुख समस्या, हमारी जी-20 अध्यक्षता ने यह मान्यता दी कि एक देश में मुद्रास्फीति विरोधी नीतियां दूसरों को नुकसान नहीं पहुंचाती हैं। कभी एक बड़े बाजार के रूप में देखा जाने वाला भारत अब वैश्विक चुनौतियों के समाधान का हिस्सा है। सभी क्षेत्रों में लिए गए जी-20 मंत्रिस्तरीय निर्णय दुनिया के भविष्य के लिए ‘‘महत्वपूर्ण‘‘ साबित होंगे।‘

यूएन में सुधार की वकालत

पीएम मोदी ने बदलती वास्तविकताओं के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र में सुधार का आह्वान करते हुए कहा कि 20वीं सदी के मध्य का दृष्टिकोण 21वीं सदी में दुनिया की सेवा नहीं कर सकता। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज की दुनिया एक बहुध्रुवीय दुनिया है जहां नियम-आधारित व्यवस्था के लिए संस्थाएं बेहद महत्वपूर्ण हैं जो निष्पक्ष और सभी चिंताओं के प्रति संवेदनशील हैं। हालांकि, संस्थाएं तभी प्रासंगिक रह सकती हैं जब वे समय के साथ बदलते हैं।‘ उन्होंने कहा, ‘20वीं सदी के मध्य का दृष्टिकोण 21वीं सदी में दुनिया की सेवा नहीं कर सकता है। इसलिए, हमारे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को बदलती वास्तविकताओं को पहचानने, अपने निर्णय लेने वाले मंचों का विस्तार करने, अपनी प्राथमिकताओं पर फिर से विचार करने और उन आवाजों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की जरूरत है जो मायने रखती हैं।‘

यूएन में सुधार की उठती रही है मांग

भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सदस्यता का प्रबल दावेदार है। वर्तमान में, यूएनएससी में पांच स्थायी सदस्य और 10 गैर-स्थायी सदस्य देश शामिल हैं जो संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा दो साल के कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं। पांच स्थायी सदस्य रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं और ये देश किसी भी ठोस प्रस्ताव पर वीटो कर सकते हैं। समसामयिक वैश्विक वास्तविकता को प्रतिबिंबित करने के लिए स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग समय-समय पर उठती रही है।

Ashish Pandey

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