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खेल दिवस पर पीएम मोदी की अपील- खेल और फिटनेस को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं

Newstrack
Published on: 29 Aug 2020 7:40 AM GMT
खेल दिवस पर पीएम मोदी की अपील- खेल और फिटनेस को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं
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बता दें कि मेजर ध्यानचंद को पूरी दुनिया हॉकी के जादूगर के नाम से जानती है। वह 29 अगस्त 1905 को यूपी के इलाहाबाद जिले में एक राजपूत परिवार में पैदा हुए था।

नई दिल्ली: आज 29 अगस्त को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन है। हर साल आज के दिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इस खास मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने शनिवार को मेजर ध्यानचंद को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी साथ ही प्रतिभाशाली एथलीटों के कोच और उनके परिवार की खूब तारीफ भी की।

Major Dhyan Chand मेजर ध्यान चंद की फाइल फोटो

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पीएम मोदी ने ट्वीट में लिखी ये बातें

पधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा- आज राष्ट्रीय खेल दिवस पर हम मेजर ध्यानचंद को श्रद्धांजलि देते हैं, जिनकी हॉकी स्टिक का जादू कभी नहीं भुलाया जा सकता।

आज हमारे प्रतिभाशाली एथलीटों की सफलता के लिए परिवारों, कोचों और सहयोगी कर्मचारियों द्वारा दिए गए उत्कृष्ट समर्थन की सराहना करने का भी दिन है।

राष्ट्रीय खेल दिवस उन सभी खिलाड़ियों की उपलब्धियों का जश्न मनाने का दिन है, जिन्होंने विभिन्न खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और हमारे राष्ट्र को गौरवान्वित किया है।"

उन्होंने ये भी लिखा- “भारत सरकार खेल को लोकप्रिय बनाने और भारत में खेल प्रतिभाओं को समर्थन देने के लिए तमाम तरह की कोशिशें कर रही है।

मैं सभी से खेल और फिटनेस को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने का आग्रह करता हूं। ऐसा करने के कई फायदे हैं। हर कोई खुश और स्वस्थ हो सकता है।“



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Major Dhyan Chand मेजर ध्यान चंद को श्रद्धांजलि देते हुए पीएम नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो

कौन थे मेजर मेजर ध्यानचंद

बता दें कि मेजर ध्यानचंद को पूरी दुनिया हॉकी के जादूगर के नाम से जानती है। वह 29 अगस्त 1905 को यूपी के इलाहाबाद जिले में एक राजपूत परिवार में पैदा हुए था।

उन्हें पूरी दुनिया हॉकी के सबसे महान खिलाड़ी के तौर पर याद करती है। उन्होंने साल 1928, 1932 और 1936 में तीन ओलंपिक गोल्ड मेडल जीते। उनका मैदान पर प्रदर्शन इतना शानदार था। जिसकी वजह से उन्हें लोग हाकी का जादूगर कहा करते थे।

उन्होंने अपने खेल के करियर में 400 से अधिक गोल किए थे। खेल में उनके योगदान को देखते हुए बाद में उन्हें भारत सरकार ने 1956 में देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया था।

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