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जहरीली शराबः ऐसे होती है तैयार, इसलिए हो जाती है इससे मौत

जहरीली शराब का कहर फिर एक बार बरपा है। इस बार पंजाब के तीन जिलों में ये दर्दनाक घटना घटी है। यहाँ जहरीली शराब पीने से 38 लोगों की मौत हो गई है। ये जिले हैं - तरन तारन, अमृतसर और बटाला। इस दर्दनाक घटना पर विपक्षी आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का इस्तीफा मांगा है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 1 Aug 2020 8:50 PM IST
जहरीली शराबः ऐसे होती है तैयार, इसलिए हो जाती है इससे मौत
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प्रतीकात्मक

नई दिल्ली जहरीली शराब का कहर फिर एक बार बरपा है। इस बार पंजाब के तीन जिलों में ये दर्दनाक घटना घटी है। यहाँ जहरीली शराब पीने से 38 लोगों की मौत हो गई है। ये जिले हैं - तरन तारन, अमृतसर और बटाला। इस दर्दनाक घटना पर विपक्षी आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का इस्तीफा मांगा है। शिरोमणि अकाली दल ने भी पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश द्वारा न्यायिक जांच कराने की मांग की है।

इस घटना के बाद अभियान चलाते हुए पंजाब पुलिस ने अमृतसर, बटाला और तरन तारन में 40 जगहों पर छापेमारी की और शराब की तस्करी करने वाले आठ लोगों को पकड़ा। पंजाब के डीजीपी ने कहा है कि नकली शराब का नेटवर्क कई इलाकों तक फैला हुआ था इसलिए मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है।

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इसके पहले उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार आदि राज्यों में जहरीली शराब से घटनाएँ घटित होती रहती हैं। जहरीली शराब बनाने, बेचने के खिलाफ सख्त कानून भी हैं लेकिन इसके बावजूद ये धंधा बदस्तूर जारी है।

ऐसे तैयार होती है जहरीली शराब

सामान्यत: कच्ची शराब बनाने में गुड़, शीरा से लहन (बेस मटेरियल) तैयार किया जाता है। इसके बाद लहन को मिट्टी में गाड़ दिया जाता है और इसमें यूरिया और बेसरमबेल की पत्ती डाली जाती है। इसके अलावा सादे संतरे, उसके छिलके और सादे अंगूर से भी लहन तैयार किया जाता है।

कैसे होती है मौत

कच्ची शराब में यूरिया और ऑक्सिटोसिन जैसे पदार्थ मिलाने की वजह से मिथाइल अल्कोहल बन जाता है। इसकी वजह से ही लोगों की मौत हो जाती है। मिथाइल अल्कोहल शरीर में जाते ही केमि‍कल रि‍एक्‍शन तेज होता है।इससे शरीर के अंदरूनी अंग काम करना बंद कर देते हैं। इसकी वजह से कई बार तुरंत मौत हो जाती है या नर्वस सिस्टम फेल हो जाता है।

शराब के धंधेबाज सड़ा-गला गुड़, शीरा, नौसादर, यूरिया, धतूरे के बीज, आक्सीटोसिन और यीस्ट का इस्तेमाल करते हैं। जब ग्राहक नशा कम होने की बात करते हैं तब मिश्रण में इनकी मात्रा बढ़ा दी जाती है। जब तक ये तत्व एक निश्चित मात्रा में रहते हैं नशा बढ़ता है लेकिन कई बार कोई तत्व ज्यादा हो जाता है, तो शराब जहरीली हो जाती है।

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विशुद्ध एल्होहल

जिस रासायनिक द्रव्य को देसी दारू कहकर बेचा जाता है, वो 95 फ़ीसदी तक विशुद्ध एल्कोहल है। इसी को एथेनॉल भी कहते हैं। ये गन्ने के रस, ग्लूकोज़, शोरा, महुए का फूल, आलू, चावल, जौ, मकई जैसे किसी स्टार्च वाली चीज़ का फर्मेन्टेशन करके तैयार किया जाता है। एथेनॉल को नशीला बनाने की लालच में कारोबारी इसमें मेथनॉल मिलाते हैं।

मेथेनॉल केमिस्ट्री की दुनिया का सबसे सरल एल्कोहल है और इसका इस्तेमाल एंटीफ़्रीज़र के तौर पर, दूसरे पदार्थों का घोल तैयार करने के काम में और ईंधन के रूप में होता है। मेथेनॉल ज़हरीली चीज़ है जो पीने के लिए बिलकुल ही नहीं होती। इसे पीने से मौत हो सकती है, आंखों की रोशनी जा सकती है।

एथेनॉल का इस्तेमाल वॉर्निश, पॉलिश, दवाओं के घोल, ईथर, क्लोरोफ़ार्म, कृत्रिम रंग, पारदर्शक साबुन, इत्र और फल की सुगंधों और दूसरे केमिकल कम्पाउंड्स बनाने में होता है प्रयोगशालाओं में सॉल्वेंट के रूप में भी ये काम में आता है।



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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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