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कोरोना मरीजों के डिस्चार्ज नियम बदले, अब ऐसे मिलेगी अस्पताल से छुट्टी
कोरोना काल में कोविड-19 से ग्रसित व्यक्ति को इलाज के बाद स्वस्थ होने या अस्पताल से डिस्चार्ज करने के मानक समय समय पर बदलते रहते हैं।
नई दिल्ली: कोरोना काल में कोविड-19 से ग्रसित व्यक्ति को इलाज के बाद स्वस्थ होने या अस्पताल से डिस्चार्ज करने के मानक समय समय पर बदलते रहते हैं। भारत में अलग अलग राज्यों ने कोरोना मरीजों की डिस्चार्ज नीति में बदलाव किए हैं। इनमें यूपी, गोवा, केरल, महाराष्ट्र आदि शामिल हैं।
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कोरोना संक्रमण फैलने की शुरुआत में अधिकतर देशों में टेस्ट आधारित डिस्चार्ज नीति तैयार की थी, लेकिन मरीजों की बढ़ती संख्या के बाद सभी देशों ने इसमें लक्षण आधारित और समय आधारित रणनीति के अनुसार बदलाव कर दिया है। यानी जो मरीज भारत में स्वस्थ घोषित करके अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है मुमकिन है कि उसी अवस्था वाला मरीज अमेरिका या ब्रिटेन में बीमार की श्रेणी में ही रखा जाता हो। ये सही है क्योंकि अमेरिका समेत कई देशों में किसी कोरोना पीड़ित व्यक्ति को सघन जांच पड़ताल के बाद ही स्वस्थ घोषित किया जाता है ताकि एक भी व्यक्ति की जान के साथ कोई जोखिम न उठाया जाये।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी डिस्चार्ज नीति में बदलाव किए हैं। दरअसल जैसे जैसे कोरोना के बारे में नई नई जानकारियाँ मिल रही हैं उसी क्रम में कई तरह के बदलाव भी किया जा रहे हैं। अमेरिका गंभीर कोरोना मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर उपचार किया जाता है। इसके बाद मरीज के जब तक 24 घंटे के भीतर दो बार कोरोना वायरस टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव नहीं आती है, तब तक उसे डिस्चार्ज नहीं किया जाता है। मरीज के बुखार तथा लक्षणों में सुधार पर भी नजर रखी जाती है। इसी तरह सामान्य मरीजों को 14 दिन होम क्वारंटाइन में रहना पड़ता है। सेंटर फॉर डीजीज कंट्रोल यानी सी डी सी ने कोरोना संबंधी मानक काफी कड़े बनाए हैं और उनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।
भारत में डिस्चार्ज नीति
भारत में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों को हल्के या बहुत हल्के मामले, थोड़े गंभीर मामले और अत्यधिक गंभीर मामलों की श्रेणी में विभाजित किया है। पहली कैटेगरी के मरीजों को लगातार तीन दिन तक बुखार नहीं आने पर संक्रमण के 10 दिन बाद डिस्चार्ज किया जाता है। उनका कोरोना वायरस टेस्ट करना भी आवश्यक नहीं होता। इन मरीजों को डिस्चार्ज के बाद सात दिन होम क्वारंटाइन में रहना पड़ता है। दूसरी कैटेगरी के मरीजों को ए और बी कैटेगरी में बांटा गया है। ए कैटेगरी के मरीजों का बुखार यदि पहले तीन दिन में ठीक हो जाए और चार दिन तक ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़े तो उसे 10 दिन बाद बिना टेस्ट के डिस्चार्ज किया जा सकता है। बी कैटेगिरी के मरीजों को शुरू के तीन दिन बुखार रहने और ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत होने पर पूरी तरह से स्वस्थ होने पर बिना टेस्ट के छुट्टी दी जाती है।
ब्रिटेन की नीति
ब्रिटेन में अस्पताल में भर्ती ऐसे मरीज जिनमें गंभीर लक्षण नहीं हैं और बुखार भी कम से कम तीन दिन तक उतरा हुआ है उनको कोरोना जांच के उपरांत ही अस्पताल से छुट्टी दी जाती है। जो गंभीर मरीज हैं उनके ठीक होने के बाद तीन टेस्ट से गुजरना होता है। ब्रिटेन में अब फिजिकल डिस्टेन्सिंग के नियम में बदलाव किया गया है।
यूरोपियन यूनियन
यूरोपियन यूनियन के देशों में कोविड-19 संक्रमित मरीज को तीन दिन तक बुखार नहीं होने तथा सांस की परेशानी नहीं होने पर अस्पताल में भर्ती नहीं किया जाता है। लेकिन गंभीर मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर सबसे पहले कोरोना वायरस लोड टेस्ट किया जाता है। सात दिन बाद फिर से टेस्ट होते हैं और मरीज की रिपोर्ट 2 से 4 बार निगेटिव आने पर उसे डिस्चार्ज किया जाता है। यूरोपियन यूनियन के देशों में बिना लक्षण या बहुत कम लक्षण वाले मरीजों को 14 दिन के लिए होम क्वारंटाइन किया जाता है।
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साउथ कोरिया की नीति
साउथ कोरिया में हल्के संक्रमण के मरीजों को 14 दिन आवश्यक रूप से होम क्वारंटाइन रहना पड़ता है। मध्यम और उच्च जोखिम वाले मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती किया जाता है। अस्पताल में भी मरीज की लगातार दो रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही उसे डिस्चार्ज किया जाता है। इसके बाद भी उस व्यक्ति को 7 दिन होम क्वारंटाइन रहना पड़ता है।
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