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Pongal 2021: दक्षिणवासियों का खास त्योहार, 4 दिन मनाते हैं ऐसे, जानें रीति-रिवाज

पोंगल इसलिए कहते हैं, क्योंकि इस दिन लोग भगवान सूर्यदेव को जो प्रसाद अर्पित करते है, तमिलनाडु में उसे पोंगल कहते हैं। तमिल भाषा में पोंगल का अर्थ है: अच्छी तरह से उबालना और सूर्य देवता को भोग लगाना।

Roshni Khan
Published on: 14 Jan 2021 3:42 AM GMT
Pongal 2021: दक्षिणवासियों का खास त्योहार, 4 दिन मनाते हैं ऐसे, जानें रीति-रिवाज
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Pongal 2021: दक्षिणवासियों का खास त्योहार, 4 दिन मनाते हैं ऐसे, जानें रीति-रिवाज (PC: social media)

लखनऊ : Pongal 2021: दक्षिण भारत के खास त्योहारों में से पोंगल महत्वपूर्ण त्यो हार है। भारत में उत्तर की तरफ जहां इसे मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है, तो वहीं दक्षिण भारत में इसे खास तौर पर तमिलनाडु में हिंदू परिवार धूमधाम से मनाते हैं। ये त्योहार 4 दिन तक मनाया जाता है। पोंगल मुख्यन रूप से कृषि पर्व है, जिसमें सूर्य की पूजा की जाती है। पोंगल सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने का प्रतीक है। इस बार साल 2021 में पोंगल का त्योणहार 14 जनवरी से और 17 जनवरी तक मनाया जाएगा।

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पोंगल क्यों कहते हैं?

पोंगल इसलिए कहते हैं, क्योंकि इस दिन लोग भगवान सूर्यदेव को जो प्रसाद अर्पित करते है, तमिलनाडु में उसे पोंगल कहते हैं। तमिल भाषा में पोंगल का अर्थ है: अच्छी तरह से उबालना और सूर्य देवता को भोग लगाना। इस दिन से तमिल कैलेण्डर के महीने की पहली तारीख शुरू होती है।

त्योहार कैसे मनाया जाता है?

इस त्यौहार पर लोग सुबह जल्दी उठकर नए कपड़े पहनते हैं और मंदिरों में जाकर भगवान की पूजा करते हैं। पोंगल पर चावल, गुड़ और चने की दाल से पारंपरिक पकवान तैयार बनाया जाता हैं। मतलब चावल, गुड़ और दाल से बने इस भोग को अच्छीर तरह उबालकर भगवान सूर्य को अर्पित किया जाता है। भगवान सूर्य के प्रति आभार जताने के लिए उन्हें पोंगल के पकवान का भोग लगाया जाता है।

4 दिनों तक ऐसे मनाया जाता है पोंगल का त्योहार

भोगी:

पोंगल का त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है। पहला दिन भोगी होता है, जिस दिन घरों की साफ-सफाई की जाती है और सफाई से निकले पुराने सामानों से 'भोगी' जलाई जाती है।

थाई:

इस दिन लोग अपने-अपने घरों में मीठे पकवान चकरई पोंगल बनाते हैं, जो सूर्य देवता को समर्पित किया जाता है। इस अवसर पर चावल के आटे से सूर्य भगवान की आकृति भी बनाई जाती है।

मट्टू पोंगल:

तीसरा दिन मट्टू पोंगल होता है, जब गाय, बैलों को नहलाकर उनके सींगों को रंगा जाता है और उनकी पूजा की जाती है। महिलाएं पक्षियों को रंगे हुए चावल खिलाती हैं और अपने भाइयों के सुख-समृधि के लिए प्रार्थना करती हैं।

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कन्नम पोंगल:

चौथे दिन कन्नम पोंगल मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने मित्रों और रिश्तेदारों के घर जाकर उनसे मिलते करते हैं और और एक-दूसरे को शुभकामना का सन्देश देते हैं।

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