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Maharashtra Politics: MVA सरकार क्यों गिरी प्रफुल्ल पटेल ने किया खुलासा, शिवसेना के सामने रखा गया था ये प्रस्ताव
Maharashtra Politics: राज्य की दो ताकतवर क्षेत्रीय पार्टियां (शिवसेना और एनसीपी) दो फाड़ हो चुकी हैं। महाराष्ट्र की राजनीति का अब ये हाल हो रखा है कि सियासी पंडित भी कुछ कहने से बच रहे हैं।
Maharashtra Politics: लोकसभा चुनाव से पहले जिन राज्यों की राजनीति दिलचस्प मोड़ पर खड़ी है, उनमें एक महाराष्ट्र भी है। यूपी के बाद संसद में सबसे अधिक सांसदों को भेजने वाला यह राज्य 2019 से सियासी उठापटक का सामना कर रहा है। राज्य की दो ताकतवर क्षेत्रीय पार्टियां (शिवसेना और एनसीपी) दो फाड़ हो चुकी हैं। महाराष्ट्र की राजनीति का अब ये हाल हो रखा है कि सियासी पंडित भी कुछ कहने से बच रहे हैं।
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इसी बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री और एनसीपी अजित पवार गुट के नेता प्रफुल्ल पटेल पूर्ववर्ती महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के गिरने को लेकर बड़ा खुलासा किया है। 2019 में शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन टूटने के बाद शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई थी, जिसकी अगुवाई उद्धव ठाकरे कर रहे थे। इस सरकार में डिप्टी सीएम शरद पवार के भतीजे और मौजूदा उपमुख्यमंत्री अजित पवार थे। हालांकि, 2022 में शिवसेना के बगावत के बाद एमवीए सरकार गिर गई थी।
प्रफुल्ल पटेल का बड़ा खुलासा
पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने दावा किया कि साल 2019 में बनी महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार बच सकती थी, अगर शिवसेना ने हमारी (एनसीपी) बातों को मान लिया होता। जब सरकार गठन को लेकर बातचीत चल रही थी तब हमने उद्धव ठाकरे के सामने ढाई-ढाई साल के लिए सीएम का पद साझा करने का प्रस्ताव रखा था। इस बैठक में उनके बेटे आदित्य ठाकरे और सांसद संजय राउत भी मौजूद थे, मगर तीनों में से किसी ने इस पर एक शब्द नहीं कहा।
प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि 2019 में आए नतीजों के मुताबिक, शिवसेना के पास 56 और हमारे पास 54 विधायक थे। यानी शिवसेना के पास हमसे महज दो सीटें ज्यादा थीं, इसलिए हमने मुख्यमंत्री की कुर्सी साझा करने की मांग रखी थी। हमारे ये मांग बिल्कुल जायज थी, लेकिन उन्होंने इस बात को हल्के में लिया और कोई जवाब नहीं दिया। पटेल ने कहा कि अगर ठाकरे हमारी बात मान लिए होते तो महाविकास अघाड़ी सरकार नहीं गिरती।
उद्धव गुट ने किया पलटवार
एनसीपी अजित पवार गुट के नेता प्रफुल्ल पटेल के इस दावे पर शिवसेना उद्धव गुट ने पलटवार किया है। उद्धव गुट की नेता सुषमा अंधारे ने तंज कसते हुए कहा कि जिन्होंने अपनी ही पार्टी तोड़ दी हो, उनपर यकीन कैसे किया जा सकता है। वे अब अपने कामों को सही ठहराने और अपने आकाओं को खुश करने के लिए कुछ भी कहेंगे।
शिवसेना और एनसीपी में हुई थी बड़ी टूट
2019 में बनी महाविकास अघाड़ी सरकार जिसमें शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस शामिल थे, का अंत जून 2022 में हो गया। उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली सरकार का पतन उनकी अपनी ही पार्टी में हुई बगावत के कारण हुआ। मौजूदा सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में 40 विधायकों ने सरकार और ठाकरे के नेतृत्व का साथ छोड़ दिया। इसके बाद राज्य में शिवसेना शिंदे गुट और बीजेपी की गठबंधन वाली सरकार बनी।
एक साल बाद यानी जुलाई 2023 में राज्य की एक अन्य ताकतवर क्षेत्रीय पार्टी शरद पवार की एनसीपी में बड़ी टूट हुई। इस टूट के सूत्रधार सीनियर पवार के भतीजे अजित पवार रहे। करीब 40 से अधिक विधायकों ने पवार जूनियर का साथ दिया। शरद पवार के बेहद करीबी माने जाने वाले प्रफुल्ल पटेल और छग्गन भुजबल जैसे नेताओं ने भी उनका साथ छोड़ दिया। एनसीपी का ये गुट एनडीए में शामिल हो गया और अजित पवार एकबार फिर राज्य के डिप्टी सीएम बने।
सीएम पद के बंटवारे की बात पर ही टूटा था एनडीए
2019 के विधानसभा में साथ लड़ने वाली बीजेपी और शिवसेना गठबंधन को स्पष्ट जनादेश मिला था। लेकिन नतीजे के बाद शिवसेना ने बीजेपी के सामने ढाई-ढाई साल के लिए सीएम का पद साझा करने की मांग उठाई, जिसे भाजपा ने मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद उद्धव ठाकरे ने एनडीए से बाहर का रास्ता पकड़ते हुए एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई। ये राज्य में पहला मौका था, जब ठाकरे परिवार का कोई सदस्य मुख्यमंत्री बना था।