TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

क्या सावरकर के नाती को भीख मांगकर भरना पड़ा था पेट? यहां जानें सच

भारत के महान क्रांतिकारी और हिंदू महासभा के संस्थापक विनायक दामोदर सावरकर किसी परिचय के मोहताज नहीं है। वे एक, इतिहासकार, समाज सुधारक, विचारक, चिंतक, साहित्यकार भी थे। उनका सम्पूर्ण जीवन स्वराज्य की प्राप्ति के लिए संघर्ष करते हुए बीता।

Aditya Mishra
Published on: 10 July 2023 6:20 PM IST
क्या सावरकर के नाती को भीख मांगकर भरना पड़ा था पेट? यहां जानें सच
X

लखनऊ: भारत के महान क्रांतिकारी और हिंदू महासभा के संस्थापक विनायक दामोदर सावरकर किसी परिचय के मोहताज नहीं है। वे एक, इतिहासकार, समाज सुधारक, विचारक, चिंतक, साहित्यकार भी थे। उनका सम्पूर्ण जीवन स्वराज्य की प्राप्ति के लिए संघर्ष करते हुए बीता।

साल 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के छठवें दिन विनायक दामोदर सावरकर को गाँधी की हत्या के षड्यंत्र में शामिल होने के लिए मुंबई से गिरफ़्तार कर लिया गया था। हालांकि उन्हें फ़रवरी 1949 में बरी कर दिया गया था।

आज हम आपको उनके परिवार से जुड़ी एक ऐसी खबर के बारे में बता रहे है जिसे सुनकर आप सोचने पर मजबूर हो जायेंगे कि क्या ऐसा भी हो सकता है।

दरअसल 2007 में पुणे के अखबारों में एक खबर प्रमुखता से हेडलाइन्स बनाइ गई। उस खबर के मुताबिक़ सावरकर के नाती को लोगों ने पुणे के मंदिर के सामने भीख मांगते और फुटपाथ पर जीवन गुजारते हुए देखा। लोग उसे जो पैसा दे जाते थे, उसका गुजारा उसी पर चला करता था।

ये खबर स्तब्ध करने वाली जरूर है लेकिन कुछ साल पहले जब पुणे के लोगों को पता चला कि सावरकर का उच्च शिक्षित नाती इस हाल में है तो लोग वाकई हैरान रह गए।

2007 में "हिंदुस्तान टाइम्स", "इंडियन एक्सप्रेस" और "टाइम्स ऑफ इंडिया" ने प्रफुल्ल चिपलुनकर नाम के इस नाती की दिल को झकझोर देने वाली खबर प्रकाशित की थी।

ये भी पढ़ें...डॉ. पूजा के बयानों से फिर सुर्ख़ियों में हिन्दू महासभा, हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान

सबसे पहले वेंडर्स ने देखा था

बता कि पुणे के सरासबाग गणपति मंदिर के करीब दो वेंडर्स ने एक ऐसा भिखारी को देखा, जो अंग्रेजी के अखबार पढ़ रहा था। उसके हावभाव थोड़े अलग थे। वो वहीं फुटपाथ पर सोता था। लोग उसे भीख में जो पैसे दे जाते थे, उससे उसका गुजारा चला करता था।

इन वेंडर्स ने जब एक सामाजिक संस्था को इसकी सूचना दी तो पता चला कि ये आदमी कोई और नहीं बल्कि सावरकर की बेटी प्रतिभा का बेटा है।

नौकरी के लिए गये थाईलैंड, वहीं कर ली शादी

प्रफुल्ल की जिंदगी के शुरुआती साल सावरकर के साथ ही गुजरे थे। वो बचपन से पढ़ने में तेज थे। 1971 में उनका सेलेक्शन आईआईटी दिल्ली में हुआ।

वहां से उन्होंने केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली। कुछ साल बाद थाईलैंड चले गए। वहीं उन्होंने एक थाई महिला श्रीपॉर्न से शादी रचा ली. उनके एक बेटा हुआ। कुछ सालों बाद वो भारत लौट आए. लेकिन बेटा वहीं रह गया।

ये भी पढ़ें...हिन्दू युवा वाहिनी के इस नेता ने सीएम योगी को लेकर दिया अमर्यादित बयान, कहा….

इस घटना के बाद चले गये अवसाद में

अपने पुश्तैनी घर पुणे में लौटकर प्रफुल्ल ने कंसल्टेंसी का काम शुरू किया, जो ज्यादा चल नहीं पायी। वर्ष 2000 में जब थाईलैंड में कार एक्सीडेंट में उन्हें बेटे और पत्नी के निधन की खबर मिली तो वो बिखर गए।

अवसाद ने उन्हें फटेहाल हालत में पहुंचा दिया। उन्होंने पुणे की एक सोसायटी में वॉचमैन का काम किया. फिर कुछ और छोटे-मोटे काम से गुजारा चलाने की कोशिश की।

फिर उन्होंने पुणे के मंदिर के सामने समय गुजारना शुरू कर दिया। वो वहीं फुटपाथ पर रहने लगे। वो करीब दो साल तक भीख मांगने की स्थिति में रहे।

पहचाने जाने के बाद प्रफुल्ल ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि पुणे में हमारे बहुत रिश्तेदार हैं लेकिन मैं सबसे कट चुका था। पत्नी और बेटे के निधन के बाद ना तो मेरे अंदर लाइफ का गोल था और पैसा कमाने की इच्छा भी खत्म हो गई।

ये भी पढ़ें...ब्राह्मण महासभा ने ‘राम’ को बताया लड़वाने वाला, ‘रावण’ ब्राह्मणों के इष्ट देव



\
Aditya Mishra

Aditya Mishra

Next Story