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प्रशांत किशोर ने विपक्षी एकता को बताया मुखौटा, कहा- वैचारिक समानता के बिना 2024 में भाजपा को हराना मुमकिन नहीं
Prashant Kishor on Opposition Unity: प्रशांत किशोर ने कहा भाजपा और हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और कल्याणवाद के जरिए देशव्यापी समर्थन हासिल करने में कामयाब रही है। अगर आप भाजपा को इनमें से दो मोर्चों पर भी ध्वस्त करने में कामयाब नहीं हो पाते हैं तो भाजपा को हराने में कभी कामयाबी नहीं मिल सकती।
Prashant Kishor On Opposition Unity: बिहार में इन दिनों अपनी सियासी जमीन मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे दिग्गज चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने विपक्षी एकजुटता को लेकर अहम सियासी बयान दिया है। उन्होंने विपक्षी एकता को मुखौटा बताते हुए कहा कि 2024 में विपक्ष की यह एकता काम नहीं करने वाली है क्योंकि इसमें कोई स्थिरता नहीं है और यह वैचारिक रूप से बिल्कुल अलग है।
उन्होंने कहा कि वैचारिक गठबंधन हुए बिना 2024 में होने वाली बड़ी सियासी जंग में भाजपा को नहीं हराया जा सकता। एक चैनल से खास बातचीत के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि हिंदुत्व की विचारधारा से लड़ने के लिए विचारधाराओं का गठबंधन होना जरूरी है। विपक्षी दलों के बीच वैचारिक समानता आए बिना भाजपा को हराना नामुमकिन है।
विचारधाराओं का गठबंधन होना जरूरी
प्रशांत किशोर ने कहा कि भाजपा को हराने के लिए सबसे पहले आपको उसकी ताकत को समझना होगा। भाजपा और हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और कल्याणवाद के जरिए देशव्यापी समर्थन हासिल करने में कामयाब रही है। अगर आप भाजपा को इनमें से दो मोर्चों पर भी ध्वस्त करने में कामयाब नहीं हो पाते हैं तो भाजपा को हराने में कभी कामयाबी नहीं मिल सकती। उन्होंने विपक्ष की एकता को मुखौटा बताते हुए कहा कि सिर्फ पार्टियों और नेताओं के एक साथ आने से कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है। प्रशांत किशोर ने कहा कि हिंदुत्व की विचारधारा भाजपा की बड़ी ताकत है।
इससे लड़ने के लिए विचारधाराओं का गठबंधन होना जरूरी है। उन्होंने गांधीवादी, अंबेडकरवादी, समाजवादी और कम्युनिस्ट विचारधारा को महत्वपूर्ण बताया मगर साथ ही यह भी कहा कि आप विचारधारा के आधार पर अंधविश्वास नहीं रख सकते। सबसे जरूरी चीज वैचारिक समानता है और वैचारिक समानता के दम पर ही भाजपा को हराने में कामयाबी मिल सकती है। विचारधारा के स्तर पर बंटे होने के कारण 2024 में विपक्षी एकता कारगर साबित नहीं होगी।
भारत जोड़ो यात्रा का जमीनी असर देखना होगा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से कन्याकुमारी से कश्मीर तक निकाली गई भारत जोड़ो यात्रा को लेकर भी प्रशांत किशोर ने अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की इस यात्रा को भारी समर्थन मिलने की बात कही जा रही है मगर यात्रा के असर की असली परीक्षा जमीनी प्रभाव के जरिए ही की जा सकती है। अभी यह देखा जाना बाकी है कि आखिरकार इस यात्रा का जमीनी असर कितना हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस को चुनावी नजरिए से मजबूत बनाने के लिए आयोजित की गई थी।
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भारत जोड़ो यात्रा के छह महीने के समय के दौरान इसकी प्रशंसा और आलोचना दोनों की गई। वैसे इस यात्रा का कितना असर पड़ा है, इसका जमीनी परीक्षण अभी होना बाकी है। कांग्रेस के साथ पैदा हुए अपने मतभेदों की चर्चा करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि मेरी कोशिश कांग्रेस को दोबारा तैयार करने की थी जबकि कांग्रेस पार्टी का पूरा फोकस सिर्फ चुनाव जीतने पर था। पार्टी कई बिंदुओं पर मेरे विचारों से सहमत थी मगर वे जिस तरह इन विचारों को लागू करना चाहते थे, वह मुझे स्वीकार नहीं था। इसी कारण मैंने अलग रास्ता अपना लिया।
बिहार के संबंध में बदलनी चाहिए यह धारणा
बिहार में इन दिनों जन सुराज यात्रा निकालने वाले प्रशांत किशोर ने कहा कि उनकी अपनी विचारधारा महात्मा गांधी की विचारधारा है। उन्होंने कहा कि इस यात्रा के जरिए मैं बिहार को गहराई से समझने की कोशिश कर रहा हूं और यह बिहार में एक नई राजनीतिक व्यवस्था को कायम करने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि अपनी यात्रा के जरिए वे गांधी की कांग्रेस को पुनर्जीवित करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि बिहार के संबंध में लोगों के दिमाग में जातिवाद और कई अन्य गलत धारणाएं बनी हुई हैं मगर अब इन धारणाओं को बदलने का वक्त आ गया है। अब बिहार को यहां के लोगों की क्षमताओं के हिसाब से जाना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे बदलाव का सपना लेकर यात्रा पर निकले हैं और उन्हें अपने मकसद में कामयाबी मिलने की उम्मीद है।