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विज्ञापनों पर सरकार का प्रहार: किया झूठा ऐड तो होगी पांच साल की जेल
गोरेपन और सुन्दरता बढ़ाने वाले लुभावने विज्ञापनों को देख उपभोक्ता प्रोडक्ट्स को खरीदते हैं लेकिन बाद में कंपनियों के दावे खोखले निकलते हैं।
दिल्ली: गोरेपन और सुन्दरता बढ़ाने वाले लुभावने विज्ञापनों को देख उपभोक्ता प्रोडक्ट्स को खरीदने के लिए उत्सुक हो जाते हैं, हालांकि बाद में कंपनियों के दावे खोखले निकलते हैं। लेकिन अब कंपनियां उपभोक्ताओं को झूठे दावों से झांसा नहीं दे सकेंगी। दरअसल, भारत सरकार ने इस बाबत कानून में बड़ा बदलाव करते हुए विज्ञापनों में झूठ और नकली तथ्य देने पर 50 लाख रुपए का जुर्माना और पांच साल की जेल का प्रावधान किया है।
झूठे दावों वाले विज्ञापनों पर सरकार का एक्शन:
भारत सरकार ने ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 में संशोधन का प्रस्ताव दिया है। सरकार द्वारा बनाये गये बिल के ड्राफ्ट में कहा गया है कि विज्ञापनों के नकली साबित होने पर कंपनियों पर सख्त कार्रवाई की जायेगी।
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जिन विज्ञापनों को लेकर सरकार ने ये फैसला किया है, उनमे स्किन फेयरनेस, बहरापन, शरीर की लंबाई बढ़ाने, बालों का झड़ना, मोटापा समेत इसी किस्म के प्रोडक्ट्स शामिल है। दरअसल, सरकार का इरादा है कि नकली और लोगों में भ्रम फैलाने वाले विज्ञापनों और दावों पर रोक लग सके।
गौरतलब है कि अक्सर ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें कंपनियों द्वारा किये गए दावे फेल हुए हैं। जिसके बाद उपभोक्ताओं ने इन भ्रामक और झूठे दावों वाले विज्ञापनों व प्रोडक्ट्स के खिलाफ कंज्यूमर्स कोर्ट में याचिका दायर की।
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क्या कहता है नया प्रावधान:
ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 2020 के नये ड्राफ्ट में कहा गया है कि पहली बार ऐसा कोई विज्ञापन पर देने पर 10 लाख का जुर्माना और 2 साल की जेल का प्रवाधान है।
वहीं इसके बाद भी अगर विज्ञापन पर रोक नहीं लगाई जाति तो जुर्माना बढ़ाकर 50 लाख कर दिया जाएगा और 5 साल की जेल भी होगी।
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ये हैं पुराना कानून:
बता दें कि मौजूदा कानून में पहली बार ऐसा करने पर 6 महीने की जेल का प्रावधान है। इसमें जुर्माना लगाने का प्रावधान जरूरी नहीं था। इसके बाद दूसरी बार भी ऐसा करने पर 1 साल की जेल हो सकती है।