एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन पर उठे सवाल, भारत भी करेगा विचार

ऑक्सफोर्ड के टीके के खतरनाक दुष्प्रभावों को लेकर चिंताओं के बीच भारत कोविशील्ड और कोवैक्सीन टीके लगने के बाद सभी प्रतिकूल प्रभावों और मौत होने से जुड़े पहलुओं का मूल्यांकन कर रहा है।

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Published on: 15 March 2021 5:34 PM GMT
एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन पर उठे सवाल, भारत भी करेगा विचार
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एस्ट्राजेनेका से मची हाहाकार: WHO बोला- वैक्सीन से कोई खतरा नहीं, जारी रखें इस्तेमाल

नीलमणि लाल

नई दिल्ली: दुनिया में कोरोना के खिलाफ टीकाकरण अभियान पूरी तेजी के साथ चल रहा है। दर्जनों देश कोरोना की अलग-अलग वैक्सीन का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन कई देशों में वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर सवाल भी उठाए जा रहे हैं। यूरोप में कई देशों ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका टीका लगने के बाद कम से कम 37 लोगों में खून का थक्का बनने और प्लेटलेट घटने की शिकायतों के मद्देनजर इस वैक्सीन के इस्तेमाल पर अस्थायी रोक लगा दी है।

सबसे पहले डेनमार्क ने एस्ट्राजेनेका के टीके पर अस्थायी रोक लगाई। इसके बाद आयरलैंड, नार्वे, आइसलैंड, ऑस्ट्रिया, इटली, बुल्गारिया, रोमानिया, एस्टोनिया, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, लातविया ने भी इसी तरह के कदम उठाए। थाईलैंड ने भी एस्ट्राजेनेका वैक्सीन पर अस्थायी रोक लगा दी है। जर्मनी और फ्रांस ने भी इस वैक्सीन पर रोक लगाने की घोषणा की है। पोलैंड और नाइजीरिया ने कहा है कि वे टीके का इस्तेमाल जारी रखेंगे और उनके राष्ट्रीय नियामक भी इस संबंध में जांच करेंगे।

नार्वे में गंभीर मामले

नॉर्वे में एस्ट्राजेनेका टीका लगने के बाद खून के थक्के जमने के गंभीर मामले सामने आये हैं। आयरलैंड के डिप्टी चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. रोनन ग्लिन ने कहा कि एस्ट्राजेनेका टीका लगने के बाद वयस्कों में खून के थक्के जमने के चार मामले सामने आए, जिसके बाद इस पर रोक लगाने का कदम उठाया गया। डेनमार्क में ऐसे ही एक मामले में इससे 60 वर्षीय महिला की मौत भी हो गई थी।

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कम्पनी की सफाई

इस बीच एस्ट्रजेनका कम्पनी ने कहा है कि जिन लोगों को वैक्सीन दी गयी उन लोगों के सेफ्टी डेटा रिव्यू में वैक्सीन से खून के थक्के बनने के खतरे का कोई सुबूत नहीं मिला। कंपनी का दावा है कि उसने ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन में एक करोड़ सत्तर लाख लोगों के सेफ्टी डेटा का रिव्यू किया था।

भारत में चिंता

ऑक्सफोर्ड के टीके के खतरनाक दुष्प्रभावों को लेकर चिंताओं के बीच भारत कोविशील्ड और कोवैक्सीन टीके लगने के बाद सभी प्रतिकूल प्रभावों और मौत होने से जुड़े पहलुओं का मूल्यांकन कर रहा है। भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया इस वैक्सीन को 'कोविशील्ड' के नाम से बना रही है जिसका देश में चल रहे दुनिया के सबसे बड़े कोरोना टीकाकरण में इस्तेमाल हो रहा है। भारत में फिलहाल 2 वैक्सीनों का ही इस्तेमाल हो रहा है जिसमें दूसरी वैक्सीन भारत बायोटेक की 'कोवैक्सीन' है।

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कोविड-19 पर बने नेशनल टास्क फोर्स के सदस्य एन. के. अरोड़ा ने कहा है कि हम साइडइफेक्ट्स वाले सभी मामलों को करीब से देख रहे हैं। खासकर गंभीर मामलों को जिसमें टीका लगने के बाद मौत या अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आई हो। फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है, क्योंकि भारत में वैक्सीन के साइडइफेक्ट्स के मामले बहुत ही कम हैं। हम अब साइडइफेक्ट्स वाले मामलों में यह देख रहे हैं कि क्या खून का थक्का जमने जैसी भी कोई बात है या नहीं।'

अरोड़ा ने कहा कि 12 मार्च तक देश में कोरोना वैक्सीन के बाद मौत के कुल 59 या 60 मामले थे और सभी मामले संयोग वाले थे यानी मौत के लिए सीधे-सीधे वैक्सीन को जिम्मेदार नहीं कह सकते। उन्होंने कहा कि जिनको अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी उन मामलों को फिर देखा जा रहा है। भारत में 16 जनवरी से कोरोना टीकाकरण अभियान चल रहा है।

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