TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

राफेल सौदे में FIR या CBI जांच का कोई सवाल ही नहीं: केंद्र सरकार

केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि राफेल लड़ाकू विमान सौदे में प्राथमिकी दर्ज करने या सीबीआई जांच कराने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि शीर्ष न्यायालय पहले ही कह चुका है कि इस ‘‘संवेदनशील मुद्दे’’ में उसके हस्तक्षेप करने के लिए कोई वजह नहीं है।

Dharmendra kumar
Published on: 26 May 2019 6:11 PM IST
राफेल सौदे में FIR या CBI जांच का कोई सवाल ही नहीं: केंद्र सरकार
X

नई दिल्ली: केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि राफेल लड़ाकू विमान सौदे में प्राथमिकी दर्ज करने या सीबीआई जांच कराने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि शीर्ष न्यायालय पहले ही कह चुका है कि इस ‘‘संवेदनशील मुद्दे’’ में उसके हस्तक्षेप करने के लिए कोई वजह नहीं है।

केंद्र ने कहा है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) रिपोर्ट ने इन लड़ाकू विमानों की कथित ‘अत्यधिक कीमत’ के बारे में याचिकाकर्ताओं की मुख्य दलीलों को झूठा साबित कर दिया है।

गौरतलब है कि शीर्ष न्यायालय के पिछले साल 14 दिसंबर के उस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग करने वाली याचिकाओं को केंद्र ने खारिज करने की मांग की है, जिसमें (फैसले में) फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट से 36 लड़ाकू विमानों की खरीद पर सरकार को क्लिन चिट दी गई थी।

शीर्ष न्यायालय में दाखिल 39 पृष्ठों की अपनी लिखित दलील में केंद्र ने कहा है कि याचिकाकर्ताओं और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरूण शौरी तथा अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने ऐसा कोई ठोस आधार नहीं पेश किया जो 14 दिसंबर के फैसले पर पुनर्विचार को न्यायोचित ठहरा सके।

यह भी पढ़ें...ईरान के विदेश मंत्री इराक की यात्रा पर, इराक ने युद्ध के खतरे की चेतावनी

सरकार ने कहा कि खासतौर पर तब, जब यह न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंच गया कि सभी तीन पहलुओं पर - जो निर्णय लेने की प्रक्रिया, मूल्य निर्धारण और भारतीय ऑफसेट पार्टनर हैं - भारत सरकार द्वारा 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के संवदेनशील मुद्दे पर इस अदालत के हस्तक्षेप करने की कोई वजह नहीं है। साथ ही, कोई प्राथमिकी दर्ज करने या सीबीआई से जांच कराने का कोई सवाल ही नहीं है।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने राफेल मामले में 14 दिसंबर के फैसले पर पुनर्विचार करने की याचिकाओं पर 10 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सिन्हा, शौरी और भूषण के अलावा ‘आप’ के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह और अधिवक्ता विनीत ढांढा ने भी पुनर्विचार याचिकाएं दायर की हैं।

यह भी पढ़ें...जीवन में बहुत मायने रखता है स्पर्म काउंट, घर बैठे ऐसे करें इजाफा

अपनी लिखित दलील में केंद्र ने कहा है कि फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की आड़ में और प्रेस में आई कुछ खबरों तथा कुछ अधूरी आंतरिक फाइल नोटिंग पर निर्भर करते हुए याचिकाकर्ता समूचे विषय को फिर से खोलने की मांग नहीं कर सकते क्योंकि पुनर्विचार याचिका की गुंजाइश अत्यधिक सीमित है। दलील में कहा गया है कि फाइल नोटिंग की ये प्रतियां अनधिकृत रूप से और अवैध तरीके से हासिल की गई थी।

केंद्र ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं ने पुनर्विचार याचिका में कोई नया साक्ष्य नहीं दिया है, सिवाय इसके कि उन्होंने अपना केस अब कुछ उन दस्तावेजों पर बनाया है जिनकी प्रतियां रक्षा मंत्रालय की गोपनीय फाइलों से अनधिकृत रूप से हासिल की गई थी। केंद्र ने कहा कि कैग को फाइल और दस्तावेज उपलब्ध कराए गए और इसका अध्ययन करने तथा अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने में करीब दो साल लगा।

यह भी पढ़ें...BiggBoss 13 के कंटेस्टेंट की पहली लिस्ट लीक, सामने आये ये कुछ भड़कीले किरदार

केंद्र ने कहा कि कैग की रिपोर्ट में याचिकाकर्ताओं की इस मुख्य दलील का समर्थन नहीं किया गया है कि विमानों की कीमत एएमआरसी बोली से अत्यधिक है। परियोजना का क्रियान्वयन अपने तय कार्यक्रम से हो रहा है और दोनों देशों की सरकारें इसकी करीबी निगरानी कर रही है। सरकार ने यह भी कहा कि भारतीय ऑफसेट साझेदार के चयन में सरकार की कोई भूमिका नहीं रही। केंद्र ने कहा कि इस सौदे की प्रक्रिया की प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा निगरानी को हस्तक्षेप या समानांतर बातचीत के रूप में नहीं देखा सकता।

सरकार ने कहा कि भारतीय वायु सेना के कर्मियों का प्रशिक्षण फ्रांस में जारी है। इस खरीद को बाधित करने की कोई भी कोशिश परियोजना को क्रियान्वित करने में देर कर सकती है और इससे वायुसेना की संचालन तैयारियां प्रभावित होंगी।

उल्लेखनीय है कि सिन्हा, शौरी और भूषण ने शीर्ष न्यायालय में आरोप लगाया था कि केंद्र ने राफेल विमानों की खरीद में शीर्ष न्यायालय को जानबूझ कर गुमराह किया है और यह एक बड़ा फर्जीवाड़ा है।



\
Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

Next Story