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राहुल जल्द संभाल सकते हैं कांग्रेस की कमान, यहां से मिले बड़े संकेत

महाराष्ट्र में बहुत सारे ड्रामें के बाद अब आखिरी में उद्धव ठाकरे की सरकार बन गई है। अब देखना होगा उद्धव सरकार महाराष्ट्र की कमान किस तरीके से संभालती है।

Roshni Khan
Published on: 1 Dec 2019 3:42 AM GMT
राहुल जल्द संभाल सकते हैं कांग्रेस की कमान, यहां से मिले बड़े संकेत
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नई दिल्ली: महाराष्ट्र में बहुत सारे ड्रामें के बाद अब आखिरी में उद्धव ठाकरे की सरकार बन गई है। अब देखना होगा उद्धव सरकार महाराष्ट्र की कमान किस तरीके से संभालती है। इन्हीं सबसे के बीच अब खबर आ रही है कि राहुल गांधी अब जल्द ही कांग्रेस को फिर से अध्यक्ष के रूप में संभाल सकते हैं। पार्टी में इसकी चर्चा शुरू हो गई है।

इसका एक बड़ा संकेत महाराष्ट्र में सरकार गठन से भी मिला है, जब हाल ही में बनी शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन वाली महाविकास अघाड़ी की सरकार में अचानक कांग्रेस के कोटे से बाला साहेब थोराट के साथ नितिन राउत को मंत्री बनाया गया और नाना पटोले को विधानसभा अध्यक्ष के लिए कांग्रेस ने नामित किया।

पहले मंत्रिमंडल के लिए थोराट के साथ अशोक चह्वाण और विधानसभा अध्यक्ष के लिए पृथ्वीराज चह्वाण के नामों की चर्चा तेज थी। मिली जानकारी के मुताबिक, नितिन राउत और नाना पटोले के नाम राहुल गांधी ने दिए हैं। दोनों को ही राहुल का करीबी माना जाता है।

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कांग्रेस के लिए फ्रंट फुट पर आने का वक्त

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार राहुल गांधी अब खुद भी पार्टी की कमान संभालने के इच्छुक हैं। उन्हें अहसास हो गया है कि लोकसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने का जो फैसला किया था, वह तब के माहौल को देखते हुए लिया गया था। लेकिन अब जब इकॉनमी की बेकार हालत के कारण से मोदी सरकार का ग्राफ तेजी से नीचे गिरा है और जिस तरह हरियाणा में भाजपा बहुमत नहीं पा सकी और महाराष्ट्र में भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा, ऐसे बदलते हालात में कांग्रेस को अब विपक्ष की राजनीति में फ्रंट फुट पर आकर खेलना होगा और इसके लिए राहुल गांधी अब खुद को तैयार हो रहे हैं।

राहुल अचानक हुए आक्रामक

इस वजह से राहुल ने लोकसभा में सबसे पहले महाराष्ट्र में राज्यपाल द्वारा एकाएक देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री की शपथ दिलाए जाने का विरोध दर्ज कराते हुए प्रश्नकाल में सवाल पूछने से इनकार कर दिया। इसके बाद प्रज्ञा ठाकुर के विवाद में भी राहुल ने आक्रामक प्रतिक्रिया दी और लोकसभा में भाजपा सांसद द्वारा विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की घोषणा के जवाब में कहा कि वह अपने बयान पर कायम हैं। इन दो सार्वजनिक हस्तक्षेपों से राहुल ने विपक्ष की राजनीति में खुद को फिर आगे ला दिया।

महाराष्ट्र में सामाजिक समीकरणों को साधने की कोशिश

मुंबई कांग्रेस के नेता के अनुसार सरकार के गठन में राहुल गांधी के हस्तक्षेप से दो बातें साफ हैं। पहली ये कि राहुल पूरी तरह से पुराने ढांचे को बदलकर अपना नया आधार तैयार कर रहे हैं। इसीलिए अगर मराठा बाला साहेब थोराट, जो नम्र स्वभाव वाले हैं, को मंत्री बनाया गया तो अंबेडकरवादी बौद्ध दलित नितिन राउत को मंत्री और बेहद आक्रामक किसान नेता नाना पटोले, जो कुनबी समुदाय से आते हैं, को विधानसभा अध्यक्ष पद देकर राहुल ने सामाजिक समीकरणों को साधने की कोशिश की है।

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वहीं जबकि कांग्रेस के ज्यादातर वरिष्ठ नेता अशोक चह्वाण और पृथ्वीराज चह्वाण के नामों पर सहमत थे। लेकिन राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे के जरिए इन दोनों नामों पर मुहर लगवाई।

वेणुगोपाल के नाम पर किया वीटो

कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता का कहना है कि भले ही सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष हैं, लेकिन अभी भी फैसले लेने में राहुल गांधी की राय ली जाती है और अगर वह किसी बात पर जोर देते हैं, तो उसे माना जाता है। बताया जाता है कि अध्यक्ष पद संभालने के बाद सोनिया गांधी के भरोसेमंद वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के सांगठनिक मामलों के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल, जिन्हें राहुल ने यह जिम्मेदारी दी थी, को बदलकर बुजुर्ग नेता सुशील कुमार शिंदे को इस पद पर लाने का सुझाव सोनिया को दिया, तो राहुल ने उस पर वीटो कर दिया।

मिली जानकारी के मुताबिक यह भी कहा कि जब महाराष्ट्र में शिवसेना एनसीपी के साथ सरकार बनाने की बातचीत शुरु हुई, तो सोनिया ने यह सुझाव देने वाले नेताओं से कहा कि वह राहुल से भी बात करें।

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कार्यसमिति की बैठक का इंतजार

अगर राहुल को फिर पार्टी अध्यक्ष बनाया जाना है, तो उसकी क्या प्रक्रिया होगी, इस सवाल के जवाब में कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य रहे एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि कार्यसमिति की बैठक बुलाकर यह फैसला कभी भी लिया जा सकता है और बाद में उसका महासमिति का अधिवेशन बुलाकर उसका अनुमोदन कर लिया जाएगा। मिली जानकारी के मुताबिक अभी पार्टी के शीर्ष स्तर पर इस पर राय मशविरा हो रहा है। सहमति बनते ही कार्यसमिति की बैठक इस मुद्दे पर बुलाई जाएगी। जिसमें राहुल को दोबारा कांग्रेस अध्यक्ष बनाने पर विस्तृत चर्चा के बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा।

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