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रेल हादसे का सच: मजदूरों की मौत की जिम्मेदार ये सरकार, इसलिए चल पड़े थे पैदल
रेलवे ट्रैक पर ट्रेन से कुचलकर मरे 16 मजदूर आराम करने के लिए ट्रैक पर रुके हुए थे। वे जालना से औरंगाबाद तक 45 किमी की यात्रा तय कर चुके थे और और ट्रेन पकड़ने की आस में 120 किमी और पैदल चलकर भुसावल जा रहे थे।
नई दिल्ली। शुक्रवार को औरंगाबाद ट्रेन हादसे में 16 मजदूरों की ट्रेन से कुचलकर मौत हो गई, ऐसे में बचे यात्रियों में से एक ने शुक्रवार को बताया कि प्रवासी कामगारों के इस दल ने ई-ट्रांजिट पास के लिए हफ्तों पहले आवेदन किया था। लेकिन अधिकारियों की ओर से कोई जवाब न आने के चलते, उन्होंने पैदल ही अपने गृह राज्यों की ओर जाने का फैसला किया।
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45 किमी की यात्रा तय कर चुके थे
औरंगाबाद के रेलवे ट्रैक पर ट्रेन से कुचलकर मरे 16 मजदूर आराम करने के लिए ट्रैक पर रुके हुए थे। वे जालना से औरंगाबाद तक 45 किमी की यात्रा तय कर चुके थे और और ट्रेन पकड़ने की आस में 120 किमी और पैदल चलकर भुसावल जा रहे थे।
हादसे में बचे 3 मजदूरों में से धीरेंद्र सिंह ने बताया कि उनके घर पर कुछ काम था और उनका पूरा परिवार घर पर ही था इसलिए वे मध्यप्रदेश में अपने घर पहुंचने के लिए और इंतजार नहीं कर सकते थे।
मजदूर धीरेंद्र सिंह, जो कि राज्य के उमरिया जिले के ममान गांव से आते हैं, उन्होंने बताया, "हमने ई-पास के लिए मध्यप्रदेश प्रशासन के पास हफ्ते भर पहले अर्जी दी थी लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।"
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गुजरती मालगाड़ी के नीचे रौंद दिए गए
धीरेंद्र सिंह इस हादसे में बच गए क्योंकि वे थोड़ी दूरी पर चल रहे थे, जो रेल ट्रैक पर आराम करने के लिए बैठा था और फिर थोड़ी देर में सो गया। वे सभी सवेरे 5 बजकर 15 मिनट पर एक गुजरती मालगाड़ी के नीचे रौंद दिए गए।
मजदूरों की चप्पलें और अन्य सामान पटरियों पर बिखरा हुआ है। यहां तक कि मजदूरों की अपनी यात्रा के लिए लाई गईं रोटियां भी ट्रैक पर बिखरी पड़ी थीं।
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धीरेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने और उनके साथ बचे दो अन्य लोगों ने तेज आ रही ट्रेन के सामने ट्रैक पर सो रहे अपने समूह के सदस्यों को जगाने के लिए पागलों की तरह आवाज लगाई लेकिन उन्होंने कुछ नहीं सुना।
हादसे में जो 16 मजदूर मारे गए हैं, उनमें से 12 मजदूर आदिवासी बहुल शहडोल जिले से हैं, जबकि बाकी पास के ही उमरिया जिले के थे। एक मजदूर इस दुर्घटना में घायल हुआ है। बता दें कि ये सभी मजदूर जालना की एक लोहा फैक्ट्री में काम करते थे।
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