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रेलवे ने रचा इतिहास, 50 घंटे से कम समय में तय किया 1634 का सफ़र
कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन घोषित है। इस कारण रेलवे ने लोगों तक खाना और जरूरी सामान पहुंचाने में नया इतिहास रचा है।
पूरा देश इस समय कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा है। इस वायरस के प्रकोप पर काबू पाने के लिए सरकार द्वारा पूरे देश में 3 मई तक लॉकडाउन लागू किया गया है। जिसके चलते देश में सब कुछ बंद है। साड़ी सेवायें साड़ी सुविधाएं बंद हैं। ऐसे में गरीबों और जरूरतमंदों को खाना टाक नहीं नसीब हो रहा है। जिनके लिए सरकार द्वारा अलग अलग इलाकों में कई कम्युनिटी किचन चलाये जा रहे हैं। ऐसे में रेलवे भी खाद्यान्न और जरूरी वस्तुएं देशभर में पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रहा है। इस बीच भारतीय रेलवे ने नया इतिहास रच दिया है।
49 घंटे में किया 1634 किलोमीटर सफ़र
कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन घोषित है। इस कारण रेलवे ने लोगों तक खाना और जरूरी सामान पहुंचाने में नया इतिहास रचा है। रेलवे पंजाब के ढंढारीकलां से न्यू जलपाइगुड़ी तक दो इंजन और दो अतिरिक्त डिब्बों सहित 88 डिब्बों की अन्नापूर्णा मालगाड़ी ने 49 घंटे 50 मिनट में 1634 किलोमीटर का सफर तय कर इतिहास रच दिया। पहले यह दूरी तय करने में 96 से 100 घंटे तक लग जाते थे। यात्री ट्रेनों का परिचालन बंद होने से अब मालगाड़ियों को ट्रैक बिल्कुल क्लीयर मिल रहा है और इसका लाभ मिल रहा है।
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लेकिन, इस मालगाड़ी ने रेलवे के इतिहास में नया अध्याय लिख दिया है। इसी कारण रेलवे ने इस ट्रेन को अन्नपूर्णा नाम दिया है। अनाज से भरी अन्नपूर्णा ट्रेन ने तत्परता से देशभर के दस राज्यों में जरूरतमंदों तक खाद्यान्न पहुंचाया है। पहली बार है रेलवे ने इतने बड़े पैमाने पर खाद्यान्न पहुंचाया है। पिछले साल की तुलना में यह 137 फीसद अधिक है। उत्तर प्रदेश, असम और गुजरात में बढ़ोतरी का फीसद सबसे ज्यादा है।
देश के 80 फीसदी लोगों को हुआ लाभ
लॉकडाउन के इस दौर में रेलवे ने फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआइ) के साथ मिलकर 1 अप्रैल से 14 अप्रैल तक यह खाद्यान पहुंचाया है और अपनी आय भी बढ़ाई है। रेलवे की करीब 70 फीसद आय का साधन माल ढुलाई ही है। इससे रेलवे को अपने नुकसान की कुछ हद तक भरपाई भी हो रही है। पिछले साल की तुलना में इस साल लाखों टन ज्यादा अनाज इन राज्यों में पहुंचाया गया है, ताकि वहां के स्थानीय लोगों सहित प्रवासी मजदूरों को भी यह अनाज मुहैया कराया जा सके। रेलवे के इस प्रयास से देश के करीब 80 फीसद लोगों को इससे लाभ होगा।
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एक ट्रेन में करीब पांच हजार टन अनाज की आपूर्ति की जा रही है। उत्तर रेलवे के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 1 से 14 अप्रैल की अवधि में उत्तर प्रदेश में पिछले साल 0.33 लाख टन से 2.97 लाख टन आपूर्ति की गई है, जो 792 फीसद अधिक है। इसी तरह बिहार में 1.30 लाख टन से 2.28 लाख टन (76 फीसद वृद्धि), असम में 0.53 लाख टन से 2.07 लाख टन (291 फीसद वृद्धि), महाराष्ट्र, 0.80 लाख टन से 1.85 लाख टन ( 131 फीसद वृद्धि), गुजरात में 0.47 लाख टन से 1.55 लाख टन (230 फीसद वृद्धि), कर्नाटक में 0.80 लाख टन से 1.54 लाख टन (93 फीसद वृद्धि), अन्य राज्यों में 1.94 लाख टन से 2.39 लाख टन ( 23 फीसद वृद्धि) पहुंच चुकी है।