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चीन की बर्बादी शुरू: अब टेक रहा भारत के आगे घुटने, रद्द हुआ ये बड़ा प्रोजेक्ट

चीन को देश की तरफ से एक बार फिर जोरदार झटका लगा है। भारतीय रेलवे के सार्वजनिक उपक्रमों ने कार्यों के धीमे होने की वजह से चीनी फर्म के सिग्नलिंग और दूरसंचार से जुड़े 471 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया है।

Newstrack
Published on: 18 July 2020 9:04 AM GMT
चीन की बर्बादी शुरू: अब टेक रहा भारत के आगे घुटने, रद्द हुआ ये बड़ा प्रोजेक्ट
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नई दिल्ली: चीन को देश की तरफ से एक बार फिर जोरदार झटका लगा है। भारतीय रेलवे के सार्वजनिक उपक्रमों ने कार्यों के धीमे होने की वजह से चीनी फर्म के सिग्नलिंग और दूरसंचार से जुड़े 471 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया है। इसके बाद इस मामले को लेकर चीनी फर्म ने अब भारतीय रेलवे को अदालत में घसीट लिया है। बता दें, यह कार्य कानपुर और मुगलसराय के बीच गलियारे के 417 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर पर किया जाना था।

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दिल्ली हाईकोर्ट में आवाज उठाई

ऐसे में इस मुद्दे के लिए चीनी कंपनी ने दिल्ली हाईकोर्ट में आवाज उठाई है। जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले पर गुरुवार को सुनवाई हो चुकी है। लेकिन इसपर अभी तक कोई फैसला नहीं आया है।

इसके साथ ही विश्व बैंक, जो ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को फंड कर रहा है, ने अभी तक टर्मिनेशन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया है। ऐसे में भारतीय रेलवे ने विश्व बैंक का इंतजार नहीं करने और परियोजना को खुद ही फंड करने का फैसला किया है।

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निरस्तीकरण पत्र जारी किया

इसी सिलसिले में डीएफसीसीआईएल के प्रबंध निदेशक अनुराग सचान ने शुक्रवार को कहा, ‘‘ यह निरस्तीकरण पत्र आज जारी किया गया।’’ आगे उन्होंने कहा कि बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एडं डिजाइन इंस्टिट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कम्युनिकेशन ग्रुप को 14 दिन का नोटिस देने के बाद यह निरस्तीकरण पत्र जारी किया गया। इसी ग्रुप को 2016 में 471 करोड़ रूपये का यह ठेका दिया गया था।

जानकारी के लिए बता दें कि चीनी कंपनी को इस परियोजना से बाहर निकालने का काम जनवरी 2019 में शुरू हुआ था। इस पर अधिकारियों का कहना है कि चीनी कंपनी को इस परियोजना से बाहर निकालने का काम जनवरी 2019 में शुरू हुआ था क्योंकि वह निर्धारित समयसीमा में काम नहीं कर पायी थी। उन्होंने कहा कि कंपनी तब तक महज 20फीसद ही काम कर पायी थी।

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काम की धीमी गति के चलते

इसके साथ ही डीएफसीसीआईएल ने इस साल अप्रैल में विश्व बैंक को यह ठेका रद्द करने के अपने फैसले की जानकारी से मुहैया कराया था। विश्व बैंक ही इस परियोजना के लिए फंडिंग कर रहा है।

प्रबंध निदेशक अनुराग सचान ने कहा, ''काम की धीमी गति के चलते हमने चीनी कंपनी को दिया गया ठेका रद्द कर दिया क्योंकि इस धीमी गति से हमारे कार्य में बहुत देरी हो गयी।

आगे बताते हुए- हमें अब तक उनसे (विश्व बैंक से) से अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं मिला है लेकिन हमने उसे बता दिया कि हम ठेका रद्द कर रहे हैं और हम अपनी तरफ से इस काम के लिए धन देंगे।’’

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