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अलग से कृषि बजट: पहले नंबर पर किसान एजेंडा, हितैषी बनना चाहती है कांग्रेस?

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य का बजट पेश करते हुए कई बड़ी घोषणाएं जनता के लिए की हैं लेकिन सबसे अहम एलान है अगले साल से किसानों के लिए अलग से बजट लाने का वादा। इस एलान से गहलोत ने कांग्रेस का एजेंडा उजागर कर दिया है।

Ashiki
Published on: 25 Feb 2021 11:17 AM IST
अलग से कृषि बजट: पहले नंबर पर किसान एजेंडा, हितैषी बनना चाहती है कांग्रेस?
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अलग से कृषि बजट: पहले नंबर पर किसान एजेंडा, हितैषी बनने के लिए कर रही कांग्रेस?

रामकृष्ण वाजपेयी

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य का बजट पेश करते हुए कई बड़ी घोषणाएं जनता के लिए की हैं लेकिन सबसे अहम एलान है अगले साल से किसानों के लिए अलग से बजट लाने का वादा। इस एलान से गहलोत ने कांग्रेस का एजेंडा उजागर कर दिया है। साथ ही यह दिखाने का प्रयास भी किया है कि कांग्रेस ही किसानों की सच्ची हितैषी है।

किसानों को लुभाने के लिए फेंका जाल

इसके साथ वर्तमान समय में देश में चल रहे किसान आंदोलन के दौरान अपनी पार्टी के लाइन ऑफ एक्शन का निर्धारण करते हुए आगामी चुनावों में किसानों को लुभाने का अच्छा जाल फेंका है। लेकिन गहलोत अगर किसानों के इतने ही हितैषी हैं तो उन्होंने इस बार ही किसानों के लिए अगल से कृषि बजट क्यों नहीं पेश कर दिया वह इंतजार किस बात का कर रहे हैं।

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बिना नतीजा समाप्त हो गया आंदोलन

अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में हुए आंदोलनों की बात करें तो गुजरात में आरक्षण आंदोलन को कांग्रेस ने समर्थन दिया यहां तक कि बाद में हार्दिक पटेल को राज्य की कमान तक सौंप दी लेकिन यह आंदोलन बिना नतीजा समाप्त हो गया। और कांग्रेस जनता का विश्वास जीतने की कोशिश में असफल हो गई। हाल के निकाय चुनाव में तो उससे मुख्य विपक्षी दल होने का तमगा भी छिन गया।

बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना वाली कांग्रेस की स्थिति

वहां आम आदमी पार्टी का उभार देख गदगद अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि भाजपा का विकल्प सिर्फ आप है। वैसे विश्लेषक गुजरात की हार के लिए कांग्रेस की अंदरूनी उठापटक को भी जिम्मेदार ठहराते हैं। इसी तरह समान नागरिक संहित सीएए का विरोध शुरू हुआ तो कांग्रेस ने विरोधियों की आवाज बनने की पुरजोर कोशिश की आंदोलन को समर्थन भी दिया लेकिन इस आंदोलन की भी हवा निकल गई। कांग्रेस की स्थिति बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना वाली हो गई।

अब कांग्रेस किसान आंदोलन को परवान चढ़ते देख मौके का फायदा उठाने में जुटी है शायद इसी को देखते हुए राजस्थान के उसके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अलग से कृषि बजट लाने का झुनझुना निकाला है। लेकिन अगर किसान आंदोलन भी अगर बेनतीजा खत्म हो गया या सरकार से समझौता हो गया तो फिर कांग्रेस के हाथ कुछ नहीं लगेगा।

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कांग्रेस के साथ दिक्कत यह है कि वह अपनी आवाज मजबूती से नहीं उठा पा रही है। नेताओं में उसके पास राहुल गांधी व प्रियंका गांधी के अलावा कोई और दिखायी नहीं देता। जिन मुद्दों को कांग्रेस उठाकर तूल देना चाहती है वह कांग्रेस के हाथ से निकल जाते हैं। देखना यही है कि किसान हितैषी बनने की कांग्रेस की ये कोशिश क्या रंग लाएगी।

Ashiki

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