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Bhajan Lal Sharma: भाजपा से बगावत करके लड़ा था पहला चुनाव, जब्त हो गई थी जमानत, राजस्थान में 33 साल बाद ब्राह्मण CM
Bhajan Lal Sharma: राजस्थान में भजन लाल शर्मा के रूप में भाजपा ने 33 साल बाद ब्राह्मण मुख्यमंत्री दिया है। राजस्थान के आखिरी ब्राह्मण मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी थे जिन्होंने 1990 तक राज्य की कमान संभाली थी।
Bhajan Lal Sharma: छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में राजस्थान में भी चौंकाने वाला फैसला करते हुए भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री के रूप में चुना है। करीब 34 साल से सियासी मैदान में सक्रिय भजन लाल शर्मा विद्यार्थी परिषद के प्रोडक्ट रहे हैं और उन्होंने राजस्थान में भाजपा संगठन को मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। वैसे उनके बारे में यह भी उल्लेखनीय है कि उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव भाजपा के बागी उम्मीदवार के रूप में लड़ा था जिसमें उन्हें करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी 2003 के इस चुनाव में उनकी जमानत तक जब्त हो गई थी।
राजस्थान में भजन लाल शर्मा के रूप में भाजपा ने 33 साल बाद ब्राह्मण मुख्यमंत्री दिया है। राजस्थान के आखिरी ब्राह्मण मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी थे जिन्होंने 1990 तक राज्य की कमान संभाली थी। उनके बाद भजन लाल शर्मा राज्य के पहले ब्राह्मण मुख्यमंत्री होंगे।
27 साल की उम्र में जीता पहला चुनाव
भजनलाल शर्मा लंबे समय से राजनीतिक मैदान में सक्रिय हैं और उन्होंने 27 साल की उम्र में ही अटारी गांव में सरपंच का चुनाव जीतकर सियासत में कदम रखा था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पदाधिकारी के रूप में भी वे काम कर चुके हैं। 1990 में विद्यार्थी परिषद के कश्मीर मार्च में भी उन्होंने हिस्सा लिया था और उधमपुर तक मार्च किया था।
वे भरतपुर में भाजपा युवा मोर्चा के विभिन्न पदों पर रहने के साथ ही तीन बार जिला अध्यक्ष भी रहे हैं। भरतपुर जिला भाजपा में भी विभिन्न पदों पर रहते हुए उन्होंने जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली। बाद में उन्होंने प्रदेश महामंत्री के रूप में भी संगठन को मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका निभाई। 1992 के राम जन्मभूमि आंदोलन में भी भजनलाल ने हिस्सा लिया था और उन्हें जेल की हवा खानी पड़ी थी।
2003 में बन गए थे बागी उम्मीदवार
उनके बारे में सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि 2003 के विधानसभा चुनाव में वे नदबई (भरतपुर) विधानसभा सीट से टिकट के दावेदार थे। भाजपा की ओर से टिकट न मिलने पर उन्होंने सामाजिक न्याय मंच की ओर से भाजपा के बागी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था।
इस विधानसभा सीट पर कृष्णेंद्र कौर दीपा भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरी थीं। उन्होंने कांग्रेस और भाजपा उम्मीदवारों को मजबूत चुनौती दी थी। दीपा ने 27,299 वोट हासिल करते हुए चुनाव जीत लिया था। इस चुनाव में कांग्रेस ने यशवंत सिंह रामू और भाजपा ने जितेंद्र सिंह को चुनावी अखाड़े में उतारा था मगर दोनों को हार का मुंह देखना पड़ा था।
करारी हार के बाद जमानत हुई जब्त
बागी उम्मीदवार के रूप में भजन लाल शर्मा को तो काफी बुरी हार झेलनी पड़ी और उनकी जमानत जब्त हो गई थी। भजन लाल शर्मा को इस चुनाव में मात्र 5969 वोट मिले थे। चुनाव हारने के बाद उन्होंने एक बार फिर भाजपा में सक्रियता बढ़ाई और धीरे-धीरे कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते हुए आज मुख्यमंत्री के पद तक पहुंच गए। इस बार भी सांगानेर सीट से पहली बार विधायक बने हैं और विधानसभा का पहला चुनाव जीतने के बाद ही इतने बड़े पद तक पहुंचने में कामयाब हुए हैं।
33 साल बाद ब्राह्मण मुख्यमंत्री
राजस्थान में भाजपा नेता 30 साल बाद ब्राह्मण मुख्यमंत्री दिया है। भजन लाल शर्मा से पूर्व हरिदेव जोशी राजस्थान के आखिरी ब्राह्मण मुख्यमंत्री थे। हरिदेव जोशी तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। पहली बार वे 1973 में राज्य के मुख्यमंत्री बने थे और उन्होंने 1977 तक राज्य की कमान संभाली। 1985 में कांग्रेस के चुनाव जीतने पर उन्हें फिर राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया गया और वे इस पद पर 1988 तक रहे। बाद में उन्हें 1989 में फिर मुख्यमंत्री बनाया गया और उन्होंने मुख्यमंत्री पद की कमान 1990 तक संभाली।
हरिदेव जोशी के बाद अभी तक राजस्थान में किसी भी ब्राह्मण नेता को मुख्यमंत्री बनने का मौका नहीं मिला था। अब भाजपा ने बड़ा कदम उठाते हुए 33 साल बाद भजनलाल शर्मा के रूप में राजस्थान को ब्राह्मण मुख्यमंत्री दिया है। इस कदम के जरिए भाजपा ने ब्राह्मणों के साथ ही अगड़ी जातियों को साधने का प्रयास किया है। 2024 की सियासी जंग के मद्देनजर भाजपा के इस कदम को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।