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राजस्थान सियासी ड्रामा: राज्यपाल बोले, हालात सामान्य नहीं, CM पर कही ये बात

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा दो बार विधानसभा सत्र बुलाने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन राज्यपाल ने उसे स्वीकार नहीं किया था।

Newstrack
Published on: 30 July 2020 5:53 AM GMT
राजस्थान सियासी ड्रामा: राज्यपाल बोले, हालात सामान्य नहीं, CM पर कही ये बात
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जयपुर: राजस्थान में राजनीति संकट का अभी भी कोई हल नहीं निकल पाया है। इस राजनीतिक लड़ाई के बीच प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा सत्र पर मचे हंगामे को लेकर कहा कि मैंने सत्र बुलाने की मांग को रोका नहीं था, लेकिन राज्य में राजनीतिक हालात अभी सामान्य नहीं हैं। राज्यपाल कलराज मिश्र ने यह भी कहा कि अगर सामान्य हालात होते तो वो विधानसभा सत्र के लिए बिल्कुल इनकार नहीं करते, लेकिन राज्य में अभी ऐसा नहीं है।

राजभवन पर धरना बेहद अफसोसजनक- राज्यपाल

प्रदेश के राज्यपाल की तरफ से आये बयान में कहा गया है कि, मुख्यमंत्री की ओर से ये साफ ही नहीं किया गया कि वो सत्र किसलिए बुला रहे हैं। ये एक सामान्य सत्र होगा या फिर विश्वास मत के लिए सत्र बुलाया जा रहा है। विधायकों द्वारा राजभवन पर धरना दिए जाने को उन्होंने बेहद अफसोसजनक करार दिया है।

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14 अगस्त से राजस्थान विधानसभा का सत्र शुरू होगा

आपको बता दें कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा दो बार विधानसभा सत्र बुलाने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन राज्यपाल ने उसे स्वीकार नहीं किया था। राज्यपाल की ओर कोरोना संकट की स्थिति, विश्वास मत की बात और अन्य कुछ प्रश्न पूछे गए थे। बुधवार को राज्य सरकार ने एक बार फिर सत्र बुलाने के लिए नया प्रस्ताव भेजा, जिसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया। राज्यपाल द्वारा दिए गए आदेश के मुताबिक, 14 अगस्त से राजस्थान विधानसभा का सत्र शुरू होगा।

बागी विधायकों को वहां आना अनिवार्य होगा

गौरतलब है कि कांग्रेस सरकार की कोशिश है कि सत्र बुलाकर जल्द से जल्द बहुमत को साबित कर दिया जाए। अगर सत्र बुलाकर व्हिप जारी किया जाता है, तो बागी विधायकों को वहां आना अनिवार्य होगा, अन्यथा उनकी सदस्यता जा सकती है।

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राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेताओं की ओर से कलराज मिश्र पर केंद्र सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाया गया। कपिल सिब्बल, पी. चिदंबरम समेत कई वकील और कांग्रेस नेताओं की ओर से कहा गया कि अगर राज्यपाल सत्र नहीं बुलाते हैं तो राज्य में संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है।

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