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Rajasthan Politics: भाजपा को जवाब देने के लिए सचिन के साथ आए गहलोत, राजेश पायलट का अपमान करने का आरोप
Rajasthan Politics: लंबे समय से राजस्थान कांग्रेस के इन दोनों वरिष्ठ नेताओं के बीच राजनीतिक विवाद की स्थिति बनी हुई है मगर भाजपा की ओर से सचिन के पिता राजेश पायलट पर हमले किए जाने के बाद गहलोत सचिन का साथ देते हुए नजर आए।
Rajasthan Politics: राजस्थान की सियासत में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की सियासी अदावत किसी से छिपी हुई नहीं है। लंबे समय से राजस्थान कांग्रेस के इन दोनों वरिष्ठ नेताओं के बीच राजनीतिक विवाद की स्थिति बनी हुई है मगर भाजपा की ओर से सचिन के पिता राजेश पायलट पर हमले किए जाने के बाद गहलोत सचिन का साथ देते हुए नजर आए। राजेश पायलट को लेकर शुरू हुए राजनीतिक विवाद के बाद राज्य की सियासी तस्वीर बदली हुई नजर आई।
राजेश पायलट के मुद्दे को लेकर भाजपा पर हमला करके गहलोत ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि आपसी तकरार भले हो मगर किसी बाहरी का हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गहलोत ने भाजपा पर राजेश पायलट के साथ ही वायुसेना के बलिदान का भी अपमान करने का बड़ा आरोप लगाया है।
मालवीय की टिप्पणी पर बिफर पड़े गहलोत
मुख्यमंत्री गहलोत और सचिन पायलट के बीच कुछ वर्षों से लगातार तकरार की स्थिति बनी हुई है। हालांकि हाईकमान की कोशिशें और राजस्थान विधानसभा चुनाव के मद्देनजर हाल के दिनों में दोनों नेता एक-दूसरे पर हमला करने से बचते रहे हैं। इस बीच भाजपा आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय की ओर से राजेश पायलट को लेकर टिप्पणी किए जाने पर गहलोत बिफर पड़े।
मालवीय ने अपनी एक पोस्ट में दावा किया था कि मिजोरम में आइजोल पर 5 मार्च 1966 को बमबारी करने वाले वायुसेना के विमानों को राजेश पायलट और सुरेश कलमाड़ी उड़ा रहे थे। बाद में कांग्रेस की ओर से इन दोनों को पार्टी में काफी महत्व दिया गया।
राजेश पायलट और सेना के अपमान का आरोप
मालवीय की इस टिप्पणी को लेकर अशोक गहलोत ने भाजपा पर तीखा निशाना साधा है। एक्स पर अपनी एक पोस्ट में गहलोत ने कहा कि राजेश पायलट भारतीय वायुसेना के एक बहादुर पायलट थे। भारतीय जनता पार्टी उनका अपमान करके भारतीय वायुसेना के बलिदान का अपमान कर रही है। पूरे देश को इसकी निंदा करनी चाहिए।
मालवीय की टिप्पणी के बाद सचिन पायलट ने भी उनकी ओर से किए गए दावों को पूरी तरह खारिज कर दिया गया था। सचिन पायलट का कहना था कि मालवीय की ओर से पेश किए गए तथ्य और तारीखें पूरी तरह गलत है। राजेश पायलट को 29 अक्टूबर 1966 को भारतीय वायुसेवा में नियुक्त किया गया था। उन्होंने सबूत के तौर पर एक प्रमाण पत्र भी साझा किया था।
दोनों नेताओं में एकजुटता की नई तस्वीर
गहलोत की ओर से भाजपा को दिए गए जवाब को सियासी नजरिए से भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कांग्रेस की ओर से राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले दोनों नेताओं में एकजुटता के संदेश देने की कोशिश की जा रही है और गहलोत का यह कदम इसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है। दोनों नेताओं के बीच लंबे समय से आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति चलती रही है और गहलोत ने एक मौके पर सचिन पायलट को गद्दार तक बता दिया था।
हालांकि पिछले दिनों कांग्रेस हाईकमान की ओर से दिल्ली में की गई बैठक के बाद दोनों नेता एक-दूसरे के खिलाफ बयान देने से बचते रहे हैं। अब गहलोत ने सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट का बचाव करके राज्य में कांग्रेस की नई सियासी तस्वीर पेश करने की कोशिश की है।