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Rajasthan Politics: अब राजेंद्र गुढ़ा की लाल डायरी बनी गहलोत का सबसे बड़ा सिरदर्द, आखिर क्या है इसका रहस्य
Rajasthan Politics: गुढ़ा की लाल डायरी इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है और गुढ़ा का दावा है कि इस लाल डायरी में मुख्यमंत्री गहलोत के सारे काले कारनामे दर्ज हैं।
Rajasthan Politics: राजस्थान की सियासत इन दिनों एक बार फिर गरमाई हुई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए इस बार सिरदर्द सचिन पायलट नहीं बल्कि हाल में बर्खास्त किए गए मंत्री राजेंद्र गुढ़ा बन गए हैं। कभी गहलोत को बड़े सियासी संकट से उबारने वाले गुढ़ा अब उनके लिए सबसे बड़ी मुसीबत बनते दिख रहे हैं। गुढ़ा ने राज्यसभा चुनाव में निर्दलीय विधायकों से लेनदेन का मुद्दा उठाकर विधानसभा चुनाव से पहले गहलोत के सामने बड़ी मुश्किलें पैदा कर दी हैं। गुढ़ा की लाल डायरी इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है और गुढ़ा का दावा है कि इस लाल डायरी में मुख्यमंत्री गहलोत के सारे काले कारनामे दर्ज हैं।
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गुढ़ा ने हाल में मंत्री होने के बावजूद विधानसभा में राजस्थान की ध्वस्त कानून व्यवस्था और महिलाओं की असुरक्षा का मुद्दा उठाकर राज्य सरकार को असहज स्थिति में डाल दिया था। अब उन्होंने लाल डायरी के जरिए सरकार को घेरने की कोशिश की है। गुढ़ा की ओर से लाल डायरी की चर्चा किए जाने के बाद भाजपा ने मुख्यमंत्री गहलोत पर तीखे हमले शुरू कर दिए हैं। जानकारों का मानना है कि गुढ़ा ने भाजपा को विधानसभा चुनाव से पहले सरकार पर हमला करने का बड़ा हथियार दे दिया है।
विधानसभा के भीतर लहराई लाल डायरी
गुढ़ा ने हाल में राज्य विधानसभा में चर्चा के दौरान कहा था कि मणिपुर की बात छोड़िए, हमें अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। उन्होंने राजस्थान में महिलाओं और बहन-बेटियों की स्थिति को लेकर अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े कर दिए थे। हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कड़ा कदम उठाते हुए उसी दिन गुढ़ा को राज्य मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। मुख्यमंत्री के इस कदम के बाद गुढ़ा ने मुख्यमंत्री गहलोत पर और तीखे हमले शुरू कर दिए हैं।
गुढ़ा ने सोमवार को फिर विधानसभा में सरकार के लिए अजीबोगरीब स्थिति पैदा कर दी। उन्होंने विधानसभा के अंदर अध्यक्ष के सामने लाल डायरी लहरानी शुरू कर दी। इसके बाद स्पीकर ने सख्त तेवर दिखाते हुए मार्शलों के जरिए गुढ़ा को विधानसभा से बाहर का रास्ता दिखा दिया। विधानसभा से बाहर किए जाने के बाद भी गुढ़ा अंदर जाने की कोशिश करते रहे। हालांकि उन्हें अपनी कोशिश में कामयाबी नहीं मिल सकी। बाद में गुढ़ा मीडिया के सामने रोते हुए नजर आए।
लाल डायरी में गहलोत के काले कारनामों का दावा
गुढ़ा ने मीडिया के सामने लाल डायरी का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेताओं ने मुझ पर हमला करके लाल डायरी मुझसे छीन ली,लेकिन उन्हें ज्यादा खुश नहीं होना चाहिए क्योंकि डायरी का आधा पार्ट अभी भी मेरे पास सुरक्षित है। उन्होंने दावा किया कि इस पार्ट के अंदर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सारे काले कारनामे दर्ज हैं। गुढ़ा का कहना था कि राज्यसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निर्दलीय विधायकों को क्या-क्या दिया, किस-किस विधायक को उन्होंने क्या-क्या लालच दिया और क्रिकेट के चुनाव के दौरान उन्होंने पैसे देकर क्या काले कारनामे किए, यह सबकुछ लाल डायरी में दर्ज है।
गुढ़ा ने यह कहकर मुख्यमंत्री की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं कि आने वाले दिनों में वे इस लाल डायरी में दर्ज काले कारनामों का खुलासा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक मौके पर मुझसे कहा था कि किसी भी तरह वह लाल डायरी मुझे सौंप दो नहीं तो मेरा सारा खेल बिगड़ जाएगा।
लाल डायरी को लेकर भाजपा हमलावर
अब यह लाल डायरी राजस्थान की सियासत में चर्चा का विषय बन गई है। भाजपा को बैठे-बिठाए गहलोत सरकार को घेरने का बड़ा मौका मिल गया है और पार्टी ने इस मौके को भुनाने की सियासी कोशिशें भी शुरू कर दी हैं।। लाल डायरी के मुद्दे को लेकर भाजपा ने गहलोत सरकार पर तीखे हमलों की शुरुआत कर दी है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि राजेंद्र गुढ़ा की लाल डायरी को लेकर गहलोत सरकार डरी हुई है।
राजस्थान की जनता यह जानना चाहती है कि आखिरकार इस लाल डायरी में क्या दर्ज है। उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार राजस्थान में महिलाओं को सुरक्षा नहीं दे पा रही है और गुढ़ा ने यह मुद्दा पूरी दमदारी के साथ विधानसभा में रखा तो उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।
लाल डायरी से कांग्रेस की घबराहट उजागर
शेखावत ने कहा कि अब गुढ़ा की लाल डायरी को लेकर गहलोत सरकार में इतना डर और घबराहट क्यों दिख रही है। गुढ़ा की ओर से दावा किया जा रहा है कि लाल डायरी में दर्ज ब्योरे का खुलासा होने पर सरकार धराशायी हो जाएगी। इसलिए राजस्थान की जनता यह जानना चाहती है कि आखिरकार लाल डायरी में गहलोत सरकार के कौन से काले कारनामे दर्ज हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के घर छापेमारी के दौरान भी एक लाल डायरी के बरामद होने की चर्चा अखबारों में छपी थी। विधानसभा में सोमवार को कांग्रेस ने विधायकों ने गुढ़ा से लाल डायरी को छीनने और फाड़ने की कोशिश की। इससे उनकी घबराहट का पता चलता है।
कभी मुख्यमंत्री के संकटमोचक बने थे गुढ़ा
सियासी जानकारों का कहना है कि गुढ़ा ने एक दौर में मुख्यमंत्री गहलोत के लिए संकटमोचक की भूमिका निभाई थी मगर मौजूदा समय में वे मुख्यमंत्री के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बन गए हैं। गुढ़ा ने 2018 में बसपा के टिकट पर उदयपुरवाटी से चुनाव जीता था मगर बाद में वे बसपा के अन्य विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
गुढ़ा का दावा है कि उनकी अगुवाई में ही बसपा के विधायक कांग्रेस में शामिल हुए थे मगर उनके साथ वादाखिलाफी की गई। मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ सचिन पायलट की बगावत के समय गुढ़ा पूरी मजबूती से गहलोत के साथ खड़े थे और उन्होंने सरकार को बचाने में बड़ी भूमिका निभाई थी।
पायलट से युद्ध विराम तो गुढ़ा बने मुसीबत
इसका इनाम उन्हें 2021 में राज्य मंत्री के रूप में मिला था मगर मनचाहा विभाग न मिलने के कारण भी मुख्यमंत्री से भीतर ही भीतर काफी नाराज थे। नाराजगी के कारण उन्होंने सरकारी गाड़ी लेने से भी इनकार कर दिया था और बाद में वे पायलट कैंप में शामिल हो गए थे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच इन दिनों युद्धविराम हो गया है मगर राजेंद्र गुढ़ा उनके लिए बड़ी मुसीबत बनकर उभरे हैं।
विधानसभा चुनाव से पहले लाल डायरी की चर्चा ने मुख्यमंत्री गहलोत की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे को लेकर भाजपा और तीखे हमले शुरू करेगी। लाल डायरी का यह मुद्दा धीरे-धीरे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गले की फांस बनता जा रहा है।