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राजस्थान की सियासत: वसुंधरा का करीबी अफसर करेगा ऑडियो मामले की जांच
राजस्थान की सियासत में चल रहे शह और मात के खेल में दिलचस्प मंजर दिख रहे हैं। विधायकों की खरीद-फरोख्त का ऑडियो सामने आने के बाद मुख्यमंत्री अशोक...
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: राजस्थान की सियासत में चल रहे शह और मात के खेल में दिलचस्प मंजर दिख रहे हैं। विधायकों की खरीद-फरोख्त का ऑडियो सामने आने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत फ्रंट फुट पर बैटिंग करने लगे हैं। जोधपुर के तेजतर्रार सांसद और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ इस मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद भाजपा ने गहलोत के खेमे पर हमले तेज कर दिए हैं।
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मजे की बात है की ऑडियो प्रकरण में गहलोत ने जिस आईपीएस अशोक राठौड़ को जांच सौंपी है, वे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी बताए जाते हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा पर तरजीह पा रहे शेखावत पर शिकंजा कसने के लिए गहलोत ने गजब का गेम प्लान बनाया है।
गहलोत ने उस समय भी चौंकाया था
दरअसल राजस्थान की सियासत में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पिछले कुछ महीनों से अपने फैसलों से लोगों को चौंकाते रहे हैं। कुछ माह पूर्व आईपीएस अफसरों के तबादले के दौरान जब गहलोत ने वरिष्ठ आईपीएस अशोक राठौड़ को एसओजी की कमान सौंपी थी तो सब लोग चौंक गए थे।
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वसुंधरा के करीबी माने जाते हैं राठौड़
इसका कारण यह था कि राठौड़ को कभी भी तीन बार राजस्थान की कमान संभालने वाले गहलोत का करीबी अफसर नहीं माना गया। उनके तार वसुंधरा खेमे से जुड़े बताए जाते हैं। अब राजस्थान के मौजूदा सियासी संकट में गहलोत जिस तरह एसओजी को आगे करके पीछे से चालें चल रहे हैं, उससे साफ हो गया है कि उन्होंने बहुत सोच समझकर एसओजी की कमान राठौड़ को सौंपी है।
समीकरण साधने में एसओजी की मदद
राजस्थान की सियासत में इन दिनों संख्या बल को लेकर गहलोत और पायलट खेमे में जबर्दस्त खींचतान चल रही है। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इस मामले को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं,लेकिन भाजपा के अन्य नेता भीतर ही भीतर पायलट खेमे को मदद पहुंचाने में जुटे हुए हैं। विरोधी खेमे को मात देने के लिए गहलोत ने एसओजी की मदद से सियासी समीकरण साधने की शुरुआत कर दी है।
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एसओजी ने ही वायरल किया ऑडियो
हालांकि केंद्रीय मंत्री शेखावत का कहना है कि उनका इस ऑडियो से कोई लेना- देना नहीं है और वह किसी भी जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं मगर सियासी जानकारों का कहना है कि सरकार के इशारे पर एसओजी ने ही खरीद-फरोख्त से संबंधित ऑडियो को वायरल किया है जिसमें शेखावत का भी नाम उछल गया है।
अब सफाई पेश करने में जुटे हैं शेखावत
अभी तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ आक्रामक अंदाज दिखाने वाले शेखावत अब रक्षात्मक मुद्रा में सफाई पेश करने में जुटे हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक इस प्रकरण में शेखावत का नाम उछलने से वसुंधरा खेमा खुश बताया जा रहा है। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व की ओर से शेखावत को वसुंधरा राजे पर तरजीह दी जा रही है और इसे लेकर वसुंधरा राजे भीतर ही भीतर काफी नाखुश है।
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महल में बैठकर सियासी घटनाक्रम पर नजर
यही कारण है की अभी तक वसुंधरा धौलपुर से जयपुर नहीं पहुंची हैं। उनका मंगलवार से ही जयपुर आने का कार्यक्रम बन रहा है मगर वे भाजपा की बैठक में हिस्सा लेने के लिए अभी तक जयपुर नहीं पहुंची है। इसी कारण भाजपा की बैठक में कोई बड़ा फैसला नहीं हो पा रहा है। वे धौलपुर में स्थित अपने महल में बैठकर सूबे के सियासी घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं। वे भाजपा की सरकार बनने पर शेखावत के सीएम बनने की चर्चाओं से नाखुश हैं।
सचिन के करीबी विधायकों पर शिकंजा
राज्य में कांग्रेस के जिन नेताओं के ठिकानों पर आयकर की छापेमारी की गई वे गहलोत के करीबी बताए जाते हैं। धर्मेंद्र राठौड़ व राजीव अरोड़ा के प्रतिष्ठानों पर छापेमारी में आयकर विभाग को कोई बड़ा गोलमाल तो नहीं मिला मगर आयकर विभाग की इस कार्रवाई के बाद गहलोत ने तुरंत सक्रिय होते हुए एसओजी के जरिए अपने सियासी दुश्मनों को निपटाने की तैयारी जरूर कर ली। विधायकों की खरीद-फरोख्त में नाम आने पर कांग्रेस ने विश्वेंद्र सिंह और भंवरलाल शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया है और उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इन दोनों विधायकों पर गहलोत की सरकार को गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया है।
ऑडियो में इन दोनों की बातचीत रिकॉर्ड होने के आरोप हैं। ये दोनों विधायक सचिन पायलट के काफी करीबी हैं और इन पर कार्रवाई के जरिए पायलट का साथ देने वाले अन्य विधायकों को भी गहलोत की ओर से सख्त संदेश दे दिया गया है। विश्वेंद्र सिंह को इससे पहले गहलोत मंत्रिमंडल से बर्खास्त भी किया जा चुका है।
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