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राम मंदिर विवाद: फैसले से पहले मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से की ये अपील
अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद पर सुनवाई पूरी हो चुकी है। देश की सर्वोच्च अदालत इस मामले पर नवंबर महीने में अपना फैसला सुना सकती है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने इस मामले की सुनवाई की है।
नई दिल्ली: अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद पर सुनवाई पूरी हो चुकी है। देश की सर्वोच्च अदालत इस मामले पर नवंबर महीने में अपना फैसला सुना सकती है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने इस मामले की सुनवाई की है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। इसलिए संभावना है कि इससे पहले ही सुप्रीम कोर्ट राम जन्मभूमि विवाद पर फैसला सुना सकता है।
इस मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद मुस्लिम पक्ष ने देश की सर्वोच्च अदालत से अपील की है कि न्यायालय का फैसला भारतीय संविधानिक मूल्यों को प्रतिबिंबित करने वाला होना चाहिए,क्योंकि इससे आने वाली पीढ़ियां भी प्रभावित होंगी।
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बता दें कि मुस्लिम पक्ष ने शनिवार को मोल्डिंग ऑफ रिलीफ दाखिल की थी। इसमें मांग की थी कि उन्हें 6 दिसंबर 1992 जैसी मस्जिद चाहिए।
मुस्लिम पक्ष ने मोल्डिंग ऑफ रिलीफ दाखिल कर कोर्ट से यह भी अपील की है कि फैसला सुनाते वक्त देश की सर्वोच्च अदालत इस बात का ध्यान रखे कि इससे आने वाली पीढ़ियां भी प्रभावित होंगी। मुस्लिम पक्ष के मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर हिन्दू पक्ष ने आपत्ति जताई है जिसके बाद इसे रविवार को सार्वजनिक कर दिया गया।
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मुस्लिम पक्ष की तरफ से कोर्ट से कहा गया है कि माननीय कोर्ट का फैसला जिसके पक्ष में आये, लेकिन उससे पहले यह ध्यान रखना होगा कि इससे आने वाली पीढ़ियों और देश की राज्यव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ेगा।
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कोर्ट से अपील में कहा है कि देश की सर्वोच्च अदालत का फैसला देश के करोड़ों लोगों पर असर डालेगा। 26 जनवरी 1950 से देश का संविधान लागू होने के बाद यहां के नागरिक संवैधानिक मूल्यों पर विश्वास करते हैं।
मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि कोर्ट के फैसले से दूरगामी प्रभाव होगा। कोर्ट का फैसला ऐसा होना चाहिए जिसमें देश की संवैधानिक मूल्यों की झलक मिले।