राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला, जानिए दूसरे पक्ष के पास क्या है विकल्प

राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस फैसले में विवादित जमीन रामजन्मभूमि न्यास को देने का फैसला किया है यानी विवादित जमीन राम मंदिर के लिए दे दी गई है। इसके साथ ही कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन अलग स्थान पर देने को कहा है।

Dharmendra kumar
Published on: 9 Nov 2019 10:18 AM GMT
राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला, जानिए दूसरे पक्ष के पास क्या है विकल्प
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नई दिल्ली: राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस फैसले में विवादित जमीन रामजन्मभूमि न्यास को देने का फैसला किया है यानी विवादित जमीन राम मंदिर के लिए दे दी गई है। इसके साथ ही कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन अलग स्थान पर देने को कहा है।

राम मंदिर निर्माण के लिए कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने यह फैसला सर्वसम्मति से दिया है।

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सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन फैसले से संतुष्ट नहीं हैं और इसमें कई विरोधाभास है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हम संतुष्ट नहीं है।

फैसले के बाद मुस्लिप पक्ष के पास पुनर्विचार याचिका (रिव्यू पिटीशन) डालने का मौका है जैसा कि जिलानी ने कहा भी है कि कोर्ट ने पहले भी अपने फैसलों पर पुनर्विचार किया है, अगर हमारी वर्किंग कमिटी फैसला लेती है तो हम भी पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे।

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मुस्लिम पक्षकार और दूसरे असंतुष्ट पक्ष इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकते हैं जिस पर बेंच सुनवाई कर सकती है। हालांकि कोर्ट को यह तय करना होगा कि वह पुनर्विचार याचिका को कोर्ट में सुने या फिर चैंबर में सुने।

जानिए रिव्यू पिटीशन के बारे में

देश के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ में जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस धनंजय वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं। रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं, अगर पुनर्विचार याचिका 17 नवंबर से पहले दाखिल कर दी जाती है, तो उस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ही सुनवाई करेगी, लेकिन यदि पेटिशन इसके बाद आती है, तो अगले चीफ जस्टिस फैसला लेंगे कि पिटीशन पर सुनवाई के लिए मौजूदा पीठ में जस्टिस रंजन गोगोई की जगह पांचवां जज कौन होगा? सुप्रीम कोर्ट को ही यह भी तय करना होगा कि रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई की जाए या नहीं।

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जानिए क्या है क्यूरेटिव पिटीशन

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुनाए जाने के बाद भी पक्षकारों के पास एक और विकल्प रहेगा। कोर्ट के फैसले के खिलाफ यह दूसरा और अंतिम विकल्प है जिसे क्यूरेटिव पिटीशन (उपचार याचिका) कहा जाता है।

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हालांकि क्यूरेटिव पिटीशन पुनर्विचार याचिका से थोड़ा अलग है, इसमें फैसले की जगह मामले में उन मुद्दों या विषयों को चिन्हित करना होता है जिसमें उन्हें लगता है कि इन पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है।

इस क्यूरेटिव पिटीशन पर भी बेंच सुनवाई कर सकता है या फिर उसे खारिज कर सकता है। इस स्तर पर फैसला होने के बाद केस खत्म हो जाता है और जो भी निर्णय आता है वही सर्वमान्य हो जाता है।

Dharmendra kumar

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