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कांग्रेस ने हिंसा और सरकार के हठ पर जताया क्षोभ, कानून वापसी पर जोर

कांग्रेस ने राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई हिंसा को लेकर क्षोभ जताया है। पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान जारी कर कहा है कि दिल्ली में हुई हिंसक व अराजक घटनाओं से कांग्रेस पार्टी व पूरा देश क्षुब्ध है।

Ashiki
Published on: 26 Jan 2021 2:33 PM GMT
कांग्रेस ने हिंसा और सरकार के हठ पर जताया क्षोभ, कानून वापसी पर जोर
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कांग्रेस ने हिंसा और सरकार के हठ पर जताया क्षोभ, कानून वापसी पर जोर

लखनऊ: कांग्रेस ने राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई हिंसा को लेकर क्षोभ जताया है। पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान जारी कर कहा है कि दिल्ली में हुई हिंसक व अराजक घटनाओं से कांग्रेस पार्टी व पूरा देश क्षुब्ध है। लोकतंत्र में इस प्रकार की घटनाओं के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार को जल्द से जल्द किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए तीनों कृषि कानून वापस लेने चाहिए।

आंदोलनकारियों को अपने ध्येय को ध्यान में रखना होगा

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि आंदोलनरत किसान संगठनों ने खुद को इस अस्वीकार्य घटनाक्रम से अलग किया है। उनका यह बयान एक सही दिशा में उठाया कदम है। आंदोलनकारियों को अपने ध्येय को ध्यान में रखना होगा। अहिंसा और सत्याग्रह ही इस किसान- मजदूर आंदोलन की सबसे बड़ी कामयाबी रही है। हमें पूरी उम्मीद है कि किसान- मजदूर-गरीब का ये गठजोड़ शांतिपूर्ण व अहिंसक आंदोलन के रास्ते पर चल तीनों खेती विरोधी काले कानूनों की वापसी के लिए दृढ़ संकल्प रहेंगे।

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उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का साफ मानना है कि ‘गण’ और ‘तंत्र’ के बीच पिछले 61 दिनों से जारी टकराव की स्थिति लोकतंत्र के लिए कतई सही नहीं है। संदेश साफ है कि देश का गण यानि जनता, शासनतंत्र से बहुत क्षुब्ध है। ऐसे में मोदी सरकार को भी अहंकार के सिंहासन से उतर किसान और मजदूर की न्याय की गुहार सुननी पड़ेगी। अपने बयान में उन्होंने कई सवाल भी उठाए हैं।

Randeep Surjewala

उठाए कई सवाल

उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार को ये सोचना पड़ेगा कि 61 दिन से बातचीत का मुखौटा पहन कर क्यों किसानों को दस बार बातचीत के लिए बुलाया गया और उनकी मांग स्वीकार करने के बजाय मखौल उड़ाया गया। उन्हें खालिस्तानी बताया गया। क्या देश को भ्रमित करना और किसान को विचलित करना उचित है? क्या 175 किसानों की मृत्यु के बावजूद ख़ुद प्रधानमंत्री द्वारा भी सांत्वना का मरहम तक न लगाना ठीक है? क्या मोदी सरकार द्वारा किसानों के प्रति ‘थकाओ और भगाओ’ की नीति अपनाना देश हित में है?

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कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री, को ‘राजहठ’ छोड़ ‘राजधर्म’ के मार्ग पर चलना होगा। यही 72वें गणतंत्र दिवस का सही संदेश है। सरकार को चाहिए कि वह तुरंत खेती विरोधी तीनों काले कानून वापस ले। यही देश के 62 करोड़ अन्नदाताओं की पुकार भी है और हुंकार भी।

अखिलेश तिवारी

Ashiki

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