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RBI पूर्व गवर्नर ने की मोदी सरकार की तारीफ, अर्थव्यवस्था पर थपथपाई पीठ

पूर्व गवर्नर जालान ने मोदी सरकार के कोरोना वायरस से प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था को सुदृढ बनाने के लिए उठाए गए क़दमों को काफी सकारात्मक करार दिया है।

Aradhya Tripathi
Published on: 29 May 2020 1:57 PM GMT
RBI पूर्व गवर्नर ने की मोदी सरकार की तारीफ, अर्थव्यवस्था पर थपथपाई पीठ
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नई दिल्ली: जग जाहिर है कि भारत इस समय कोरोना वायरस से जूझ रहा है। जिसके चलते देश की अर्थव्यवस्था भी काफी डामाडोल हो गई है। जिसको फिरसे पटरी पर वापस लाने के लिए भारत सरकार की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। अब मोदी सरकार द्वारा उठाए गए क़दमों की तारीफ़ भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान ने की है। पूर्व गवर्नर जालान ने मोदी सरकार के कोरोना वायरस से प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था को सुदृढ बनाने के लिए उठाए गए क़दमों को काफी सकारात्मक करार दिया है।

पूर्व गवर्नर ने बताया मोदी सरकार के कदमों को सराहनीय

कोरोना से देश की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है। पूरी अर्थव्यवस्था डामाडोल हो गई है। ऐसे में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की तारीफ़ करते हुए आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान ने उम्मीद जताई कि इन उपायों से अर्थव्यवस्था में गिरावट को रोकने में मदद मिलेगी। पूर्व गवर्नर ने कहा कि आज स्थिति 1991 के भुगतान संतुलन के संकट जैसी नहीं है। जालान ने देश के विकास और संसाधन के बारे में बात करते हुए कहा कि आज भारत के पास संसाधन हैं। साथ ही किसी भी संकट के लिए विदेशी मुद्रा का भंडार है।

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गौरतलब है कि भारत सरकार की ओर से इसी महीने कोविड-19 से बचाव के लिए 20.97 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। जिसके बाद कई लोगों द्वारा इओस निर्णय की और भारत सरकार की आलोचना की गई। सरकार द्वारा घोषित इस पैकेज की आलोचना करते हुए कहा गया कि भारत का आर्थिक पैकेज अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों की तुलना में काफी कम है। लेकिन अब इस आलोचना का जवाब देते हुए पूर्व गवर्नर जालान ने कहा कि विकसित और विकासशील देशों में अंतर होता है।

कोरोना वायरस का अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव- जालान

पूर्व गवर्नर ने ब्रिटेन और अमेरिका से तुलना पर कहा कि यदि आप विकसित देशों को देखें, तो उनकी वृद्धि दर दो या तीन प्रतिशत है, लेकिन इसके बावजूद उनकी प्रति व्यक्ति आय काफी अधिक है। पूर्व गवर्नर ने कहा कि विकासशील देशों में छह से सात प्रतिशत की ऊंची वृद्धि दर में आपको महंगाई को भी काबू में रखना होता है, जिससे प्रति व्यक्ति आय बढ़े। यह पूछे जाने पर कि क्या वह केंद्रीय बैंक द्वारा घाटे के मौद्रिकरण के पक्ष में हैं, जालान ने कहा कि यह पक्ष या विपक्ष की बात नहीं है।

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यह स्थिति पर निर्भर करता है। कुछ स्थितियों में आप मौद्रिकरण कर सकते हैं, अन्य परिस्थितियों में आज बाजार और कर्ज लेनेवालों को नकदी उपलब्ध करते हैं। मौद्रिकरण से तात्पर्य केंद्रीय बैंक द्वारा आपात स्थिति में सरकार के लिए मुद्रा की छपाई से है, जिससे राजकोषीय घाटे को कम किया जा सके। देश की वृहद आर्थिक स्थिति के बाबत जालान ने कहा कि वृद्धि दर में उल्लेखनीय गिरावट आएगी। पिछले साल यह 5.2 प्रतिशत थी, इस साल यह शून्य से एक या दो प्रतिशत नीचे से अधिक से अधिक दो प्रतिशत रहेगी। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस का अर्थव्यवस्था पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

Aradhya Tripathi

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