×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

सरदार वल्लभ भाई की वसीयत और सुभाष चंद्र बोस में क्या है संबंध...जानें यहां

सरदार वल्लभ भाई पटेल को कौन नही जानता। वल्लभ भाई पटेल ने 565 रियासतों का विलय कर भारत को एक राष्ट्र बनाया था। लेकिन उनके बड़े भाई विट्ठलभाई पटेल हम कम जानते होंगे। दोनों भाइयों में बाद के दौर में मतभेद हो गए थे।

Vidushi Mishra
Published on: 30 Oct 2019 11:58 PM IST
सरदार वल्लभ भाई की वसीयत और सुभाष चंद्र बोस में क्या है संबंध...जानें यहां
X
सरदार वल्लभ भाई की वसीयत और सुभाष चंद्र बोस में क्या है संबंध...जानें यहां

नई दिल्ली : सरदार वल्लभ भाई पटेल को कौन नही जानता। वल्लभ भाई पटेल ने 565 रियासतों का विलय कर भारत को एक राष्ट्र बनाया था। लेकिन उनके बड़े भाई विट्ठलभाई पटेल हम कम जानते होंगे। दोनों भाइयों में बाद के दौर में मतभेद हो गए थे।

बाद में विट्ठलभाई का आस्ट्रिया में निधन हो गया था। उससे पहले उन्होंने वहीं अपनी वसीयत की और अपनी संपत्ति का तीन चौथाई हिस्सा सुभाष चंद्र बोस को दे दिया।

यह भी देखें… EU प्रतिनिधिमंडलः हम लोग नाजीवादी नहीं, शांति वार्ता के पक्ष में

गांधीजी के नेतृत्व पर सवाल भी खड़े किए

उनकी इस वसीयत पर वल्लभभाई पटेल ने कई सवाल खड़े किए थे। उन्होंने जब इस वसीयत को मानने से मना कर दिया तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस अदालत पहुंचे लेकिन वहां उनके हाथ नाउम्मीद ही लगी।

विट्ठलभाई पटेल के विश्वस्त सहयोगी गोवर्धन आई पटेल ने उनकी बॉयोग्राफी लिखी है। ये "विट्ठलभाई पटेलःलाइफ एंड टाइम्स" के नाम से प्रकाशित हुई।

वल्लभ भाई पटेल ने अपने दम पर किया ये काम, फिर झुकना पड़ा सरकार को

इस किताब में बताया गया कि किस तरह दोनों भाई कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में थे लेकिन फिर विट्ठल ना केवल अपने छोटे भाई से दूर होते गए बल्कि उन्होंने सुभाष के साथ मिलकर गांधीजी के नेतृत्व पर सवाल भी खड़े किए।

यह भी देखें… महिला ने एडीजी दफ्तर में खाया जहर, वजह जान चौंक जाएंगे आप

वे कभी जिंदा भारत नहीं लौटे

बता दें, विट्ठलभाई पटेल केंद्रीय संविधान सभा के पहले निर्वाचित अध्यक्ष थे। वो मुंबई के मेयर भी बने। साथ ही बाम्बे काउंसिल के सदस्य भी रहे। वो 1920 के दशक और उसके बाद कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में थे।

इसके बाद कई बार आजादी के आंदोलन में अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार भी किया। 1932 में विट्ठलभाई जेल में थे। अंग्रेजों ने उन्हें हेल्थ ग्राउंड पर रिहा कर दिया। मार्च 1932 में उन्होंने भारत छोड़ दिया। इसके बाद वे कभी जिंदा भारत नहीं लौटे।

वे पहले अमेरिका गए। वहां पर वे भारत की आजादी पर लेक्चर देते रहे। फिर आस्ट्रिया आ गए। उस समय वहां सुभाष चंद्र बोस भी थे। दोनों ने वहीं से संयुक्त बयान जारी करके गांधी की लीडरशिप को नाकाम कहा। और इसकी तीखी आलोचना भी की।

यह भी देखें… इससे पहले नहीं देखी होगी ऐसी भीषण आग, जान बचाकर भागे ये हॉलीवुड स्टार्स



\
Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

Next Story