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मोदी सरकार को राहत! बेरोजगारी नहीं बढ़ी,आंकड़ों ने आलोचनाओं को ठहराया गलत

अप्रैल-जून 2018 के दौरान महिलाओं के लिए यह दर 12.8 प्रतिशत थी, जुलाई-सितंबर में 12.7 प्रतिशत थी और पिछले साल अक्टूबर-दिसंबर में यह 12.3 प्रतिशत थी। इस साल मई में धीमी आर्थिक वृद्धि के बीच सरकार को उच्च बेरोजगारी दर के लिए काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी।

SK Gautam
Published on: 23 Nov 2019 4:30 PM GMT
मोदी सरकार को राहत! बेरोजगारी नहीं बढ़ी,आंकड़ों ने आलोचनाओं को ठहराया गलत
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नई दिल्ली: बेरोजगारी की उच्च दर को लेकर आलोचना के बीच राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के शनिवार को जारी किए गए सर्वेक्षण से पता चलता है कि शहरी बेरोजगारी दर जनवरी-मार्च 2019 के दौरान पिछली चार तिमाहियों के मुकाबले सबसे निचले स्तर 9.3 प्रतिशत पर आ गई थी। आंकड़े यह भी दावा करते हैं कि कुल श्रम शक्ति में 37.7 प्रतिशत स्व-नियोजित थे, जबकि 50 प्रतिशत वेतनभोगी या नियमित कर्मचारी थे और 12.4 प्रतिशत लोग आकस्मिक मजदूर थे।

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अप्रैल-जून 2018 में शहरी बेरोजगारी दर (यूआर) 9.9 प्रतिशत थी

एनएसओ का आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण त्रैमासिक बुलेटिन, शनिवार को जारी किया गया, जिसमें जनवरी-मार्च 2018 के आंकड़ों से कोई तुलनात्मक डाटा नहीं है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की शाखा एनएसओ ने बुलेटिन में कहा है कि अप्रैल-जून 2018 में शहरी बेरोजगारी दर (यूआर) 9.9 प्रतिशत थी, जुलाई-सितंबर 2018 में 9.7 प्रतिशत और अक्टूबर-दिसंबर 2018 में 9.9 प्रतिशत थी।

दिसंबर 2018 को समाप्त होने वाली तिमाही के लिए पहला त्रैमासिक बुलेटिन मई 2019 में लाया गया था। मार्च 2019 तिमाही के लिए यह बुलेटिन श्रृंखला में दूसरा है। आंकड़ों से पता चला कि जनवरी-मार्च 2019 के दौरान शहरी इलाकों में शहरी बेरोजगारी दर 8.7 प्रतिशत पर थी।

शहरी क्षेत्रों में पुरुषों के बीच यह बेरोजगारी दर अप्रैल-जून 2018 में 9 प्रतिशत, जुलाई-सितंबर में 8.9 प्रतिशत और पिछले साल अक्टूबर-दिसंबर में 9.2 प्रतिशत थी। महिलाओं के लिए, जनवरी-मार्च 2019 के दौरान शहरी बेरोजगारी दर 11.6 प्रतिशत थी।

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सरकार को उच्च बेरोजगारी दर के लिए हुई थी काफी आलोचना

जबकि, अप्रैल-जून 2018 के दौरान महिलाओं के लिए यह दर 12.8 प्रतिशत थी, जुलाई-सितंबर में 12.7 प्रतिशत थी और पिछले साल अक्टूबर-दिसंबर में यह 12.3 प्रतिशत थी। इस साल मई में धीमी आर्थिक वृद्धि के बीच सरकार को उच्च बेरोजगारी दर के लिए काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि 2017-18 के दौरान देश में बेरोजगारी कुल श्रम शक्ति का 6.1 प्रतिशत थी, जो 45 वर्षों में सबसे अधिक थी।

शनिवार को हुए सर्वेक्षण में बताया गया है कि जनवरी-मार्च 2019 के दौरान शहरी क्षेत्रों में समग्र श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) का अनुमान 36 प्रतिशत था, जबकि अप्रैल- जून 2018 के दौरान 35.6 प्रतिशत था। जुलाई-सितंबर में LFPR 36.1 प्रतिशत था और पिछले साल अक्टूबर-दिसंबर में 36.3 फीसदी।

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पुरुषों के लिए LFPR का अनुमान 56.2 प्रतिशत था, जबकि महिलाओं के लिए जनवरी-मार्च 2019 की अवधि के दौरान शहरी क्षेत्रों में यह 15 प्रतिशत था। पुरुषों के लिए एलएफपीआर अप्रैल-जून में 56 प्रतिशत, जुलाई सितंबर में 56.3 और पिछले साल अक्टूबर-दिसंबर में 56.4 प्रतिशत था।

SK Gautam

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