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लॉक डाउन चार: बैंक ग्राहकों को मिली ये छूट, यहां जानें RBI का नया फैसला
अपने ग्राहकों को राहत के लिए बैंकों ने लोन की किस्तों को 3 महीने आगे बढ़ाने का फैसला किया था। गौरतलब है कि देश में बढ़ते कोरोना वायरस संक्रमण के मामले को देखते हुए पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को लॉकडाउन का ऐलान किया था।
नई दिल्ली: देशभर में लॉक डाउन को चौथे चरण में पहुंचाते हुए 31 मई तक बढ़ा दिया गया है। लॉकडाउन को बढ़ाने के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक अब लोन रिपेमेंट मोरेटोरियम को 3 महीने के लिए और बढ़ा सकता है। SBI रिसर्च रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रविवार को नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) ने 31 मई तक लॉकडाउन के चौथे चरण को लागू कर दिया है।
अपने ग्राहकों को राहत के लिए बैंकों ने लोन की किस्तों को 3 महीने आगे बढ़ाने का फैसला किया था। गौरतलब है कि देश में बढ़ते कोरोना वायरस संक्रमण के मामले को देखते हुए पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को लॉकडाउन का ऐलान किया था। इसके बाद इसे 3 मई और 17 मई तक के लिए बढ़ाया गया था।
मार्च में RBI ने दिया था लोन रिपेमेंट से छूट
लॉकडाउन के ऐलान के बाद मार्च के अंतिम सप्ताह में RBI ने सभी तरह के टर्म लोन के रिपेमेंट पर छूट दिया था। RBI ने यह लोने मोरेटोरियम रिपेमेंट को 1 मार्च 2020 से 31 मई 2020 तक के लागू किया था।
SBI रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया, 'चूंकि अब 31 मई तक लॉकडाउन को बढ़ा दिया गया है, ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि RBI भी लोन मोरेटोरियम पीरियड को तीन और महीनों के लिए बढ़ा दे।'
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क्या होगा RBI के इस फैसले का मतलब?
रिपोर्ट में कहा गया कि अगर आरबीआई यह फैसला लेता है तो इसका मतलब होगा कि 31 अगस्त 2020 तक कंपनियों को रिपेमेंट करने से छूट मिल सकेगी। हालांकि, इसका मतलब यह भी है कि कंपनियों द्वारा सितंबर महीने में ब्याज देनदारियों को पूरा करने की संभावन लगभग न के बराबर होगी।
ब्याज देनदारी जमा न करने का यह भी मतलब होगा कि अकाउंट्स को गैर-निष्पादित लोन (Non-Performing Loan) के तौर पर क्लासिफाई कर दिया है। आरबीआई के नियमों में ऐसा प्रावधान है। ऐसे में आरबीआई के लिए जरूरी है कि वो बैंकों को ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी दे, ताकि मौजूदा लोन को पूरी तरह से रिस्ट्रक्चर किया जा सकेगा। साथ ही आरबीआई को 90 दिनों के नियम पर भी नए सिरे से विचार करना चाहिए।
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रिस्ट्रक्चर करने का मौका देना चाहिए
RBI का 7 जून का सर्कुलर बेहद कड़ा है और इसमें बैंकों के लिए कोई ढील नहीं है। इस रिपोर्ट में कहा गया, 'रिवाइज्ड रिस्ट्रक्चरिंग नॉर्म्स में बैंकों को टर्म लोन्स को ब्याज देनदारी को मार्च 2021 तक रिस्ट्रक्चर करने का मौका देना चाहिए। इसे वर्किंग कैपिटल के लिए 3 से 5 साल तक के लिए जमा करने हेतु बनाना चाहिए।'
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि RBI यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वर्किंग कैपिटल का विस्तार (Working Capital Expansion) भी कोविड-19 कर्ज (COVID-19 Debt) के तौर पर क्लासिफाई होगा या नहीं।