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मारे हजारों चीनी सैनिक: अकेले आखिरी दम तक लड़ी लड़ाई, मोदी ने बताई गाथा
बीते कई हफ्तों से पूर्वी लद्दाख सीमा पर चले रहे विवादों के बीच देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह अचानक लेह पहुंचे थे। सीमा पर पीएम मोदी ने अग्रिम चौकी पर दुश्मन के सामने डटकर खड़े जवानों का हौसला बुलंद किया।
नई दिल्ली। बीते कई हफ्तों से पूर्वी लद्दाख सीमा पर चले रहे विवादों के बीच देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह अचानक लेह पहुंचे थे। सीमा पर पीएम मोदी ने अग्रिम चौकी पर दुश्मन के सामने डटकर खड़े जवानों का हौसला बुलंद किया। इससे पहले भी अपने भाषण में उन्होंने भारतीय जवानों की बहादुरी का कई बार जिक्र किया है। जिसमें उन्होंने कहा कि लेह, लद्दाख से लेकर सियाचिन और करगिल तक...गलवां का बर्फीला पानी, हर पर्वत, इसकी हर चोटी भारतीय जवानों की बहादुरी का सबूत है।
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6000 सैनिकों पर धावा बोला
इसके साथ ही पीएम मोदी ने रिजांग ला का भी जिक्र किया। सन् 1962 में यहीं पर मेजर शैतान सिंह ने यहां अपनी बहादुरी से देश का नाम रोशन किया था।
सन् 1962 में नवंबर का महीना, बर्फ से ढकी लद्दाख की चुशुल घाटी उस समय तोप के गोलों और गोलियों की आवाजों से गूंज उठी, जब भारतीय सेना के 120 जवानों पर चीनी सेना के लगभग 6000 सैनिकों पर धावा बोला था।
उस समय भी कड़ाके की ठंड के बीच चीनी सेना ने लद्दाख के रेजांग ला में घुसपैठ शुरू कर दी। जिसके चलते इस इलाके की सुरक्षा की जिम्मेदारी सेना की सबसे पुरानी रेजीमेंट 13 कुमाऊं के कंपनी लीडर मेजर शैतान सिंह के हाथों में थी।
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युद्ध करने का ऐलान
13 कुमाऊं के कंपनी के पास भयंकर बर्फबारी में रहने लायक कपड़े भी नहीं थे। माइनस में तापमान होने के कारण भारतीय सेना के ज्यादातर हथियारों से फायर तक नहीं हो पा रहा था। लेकिन उन्होंने चीनी सेना के सामने समर्पण करने के बजाए युद्ध करने का ऐलान किया।
बता दें, मेजर शैतान सिंह की कंपनी ने आखिरी आदमी, आखिरी राउंड और आखिरी सांस तक सीमा पर लड़ाई लड़ी थी। अदम्य अटूट साहस का प्रदर्शन करते हुए 13 कुमाऊं के 120 जवानों ने चीनी सेना के 1300 सैनिकों को मार गिराया।
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आखिरी गोली तक लड़ाई लड़ी
भारतीय सेना के इन वीर सिपाहियों ने आखिरी गोली तक लड़ाई लड़ी थी। जिसमें सरहद की रक्षा करते हुए 114 सैनिक शहीद हो गए जबकि छह सैनिकों को चीनी सेना ने बंदी बना लिया।
पर खुशी की बात ये थी कि बंदी बनाए गए सभी सैनिक चमत्कारिक रूप से चीनी सेना के चंगुल से बचकर निकल गए। बाद में इस सैन्य टुकड़ी को पांच वीर चक्र और चार सेना पदक से सम्मानित किया गया था।
सीमा पर अपने अदम्य साहस और नेतृत्व कौशल के लिए मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। आज भी देश इन वीर जवानों के बलिदान को शत-शत नमन करता है।
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