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आरके श्रीवास्तव के ये 5 फार्मूले: बिहार सरकार के आयेंगे काम, होगा तेजी से विकास
बेहतर शिक्षा से ही बेहतर राष्ट्र का निर्माण संभव है। आरके श्रीवास्तव ने कहा कि बिहार के शैक्षणिक संस्थान, ख़ास कर, उच्च शिक्षा के संस्थान देश के सबसे बुरे संस्थानों में से एक हैं। ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के इस युग में इसके महत्व को आसानी से समझा जा सकता है।
बिहार: विधानसभा चुनाव खत्म हो चुका है। NDA को पूर्ण बहुमत मिला है। नये सरकार के सामने बिहार के विकास की कड़ी चुनौती भी है। बिहार के चर्चित मैथेमैटिक्स गुरू आरके श्रीवास्तव ने बिहार के विकास के लिये 5 मंत्र दिये है। सरकार को इसपर ध्यान देने की जरुरत है। एक नज़र उन क्षेत्रों पर जिसमें आर्थिक विकास के लिए बिहार को ध्यान देने की ज़रूरत है।
(1)बेहतर शैक्षणिक संस्थानों का निर्माण
बेहतर शिक्षा से ही बेहतर राष्ट्र का निर्माण संभव है। आरके श्रीवास्तव ने कहा कि बिहार के शैक्षणिक संस्थान, ख़ास कर, उच्च शिक्षा के संस्थान देश के सबसे बुरे संस्थानों में से एक हैं। ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के इस युग में इसके महत्व को आसानी से समझा जा सकता है। बिहार को इस पर बहुत ही अधिक ध्यान देने की ज़रूरत है।
इसके अलावा यह भी आवश्यक है कि बिहार के दूसरे तमाम संस्थान बिहार से बाहर गए लोगों से संपर्क में रहें। वे बाहर बसे बिहारियों से सामाजिक सुरक्षा, हुनर विकास, सूचना के प्रसार और व्यापार और वित्त के मामले में काफ़ी कुछ हासिल कर सकते हैं। आरके श्रीवास्तव ने कहा बिहार से बाहर गये उन सभी लोगों का मदद सरकार को लेना चाहिये जो अपने फील्ड में देश विदेश में नाम रौशन कर रहे।
(2) कृषि पर बल
बिहार के आर्थिक विकास के लिए यह ज़रूरी है कि कृषि क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाई जाए और इसे बरक़रार रखा जाए। राज्य का कृषि रोडमैप इन मुद्दों को ध्यान में रख कर बनाया जाये। इसके साथ ही यह भी ज़रूरी है कि राज्य कामगारों को कृषि क्षेत्र से ग़ैर कृषि क्षेत्र में ले जाने के लिए मध्य अवधि से लंबी अवधि की एक रणनीति बनाए।
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(3) शासन में सुधार
शासन में सुधार मज़बूत संस्थानों के निर्माण की दिशा में बड़ा क़दम है। इसके साथ ही बीते कुछ सालों में बिहार में सामाजिक आर्थिक सेवा के क्षेत्र में काफ़ी सुधार हुआ है। पर इस दिशा में अभी सुधार की बहुत गुंजाइश है। विशेष रूप से निचले और मध्य स्तर की अफ़सरशाही में क्षमता निर्माण करने और पंचायत स्तर के नेताओं के कामकाज सुधारने के मामले में काफ़ी कुछ किया जाना बाक़ी है।
(4) मानव संसाधन पर ध्यान केंद्रित
बिहार से बाहर गए लोग राज्य का संसाधन बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। बिहार की ज़बरदस्त ग़रीबी, ज़मीन पर ज़्यादा दबाव और दूसरी प्रतिकूल वजहों से बिहार कमज़ोर संसाधनों वाली खुली अर्थव्यवस्था का माक़ूल उदाहरण है। यहां ग़रीबी का कुचक्र चलता रहता है, जहा ग़रीबी की वजह से एक बिंदू के बाद संसाधन नहीं बनते, और इस वजह से राज्य को राष्ट्रीय औसत विकास स्तर तक निकट भविष्य में पंहुचने में दिक़्क़त होगी। जातियों में बंटा समाज बड़ी चुनौती है। सरकार को रोजगार के अवसर प्रदान के लिये बेहतर प्रशिक्षण देना चाहिये।
(5) सिविल सोसाईटी की भूमिका पर पहल
बिहार के ज़्यादातर मुद्दे देश के मुद्दों के ही बड़े रूप हैं।इसमें जातियों और समुदायों में समाज के बंटे होने की चुनौती भी शामिल है। इसके साथ ही कमज़ोर सिविल सोसाइटी और कमज़ोर स्थानीय निकाय भी बड़ी चुनौती बन कर सामने आए हैं। इसलिए ज़रूरी है कि बिहार में जीवंत सिविल सोसाइटी और मज़बूत स्थानीय निकायों का विकास किया जाए।
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कौन हैं आरके श्रीवास्तव
एक रुपया में पढ़ाते हैं आरके श्रीवास्तव, 540 गरीब स्टूडेंट्स को बना चुके हैं इंजीनियर
बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले आरके श्रीवास्तव देश में मैथेमैटिक्स गुरु के नाम से मशहूर हैं। खेल-खेल में जादुई तरीके से गणित पढ़ाने का उनका तरीका लाजवाब है। कबाड़ की जुगाड़ से प्रैक्टिकल कर गणित सिखाते हैं। सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं। आर्थिक रूप से सैकड़ों गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई सहित देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में पहुँचाकर उनके सपने को पंख लगा चुके हैं।
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वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी आरके श्रीवास्तव का नाम दर्ज है। आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्यशैली की प्रशंसा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी कर चुके हैं। इनके द्वारा चलाया जा रहा नाइट क्लासेज अभियान अद्भुत, अकल्पनीय है। स्टूडेंट्स को सेल्फ स्टडी के प्रति जागरूक करने लिये 450 क्लास से अधिक बार पूरी रात लगातार 12 घंटे गणित पढ़ा चुके हैं। इनकी शैक्षणिक कार्यशैली की खबरें देश के प्रतिष्ठित अखबारों में छप चुकी हैं, विश्व प्रसिद्ध गूगल ब्वाय कौटिल्य के गुरु के रूप में भी देश इन्हें जानता है।
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