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जम्मू-कश्मीर का रोशनी एक्ट, खूब हुई जमीन की बंदरबांट

रोशनी एक्ट सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों को मालिकाना हक देने के लिए बनाया गया था। इसके बदले उनसे सरकार द्वारा तय एक निश्चित रकम ली जाती थी।

Newstrack
Published on: 1 Nov 2020 2:30 PM IST
जम्मू-कश्मीर का रोशनी एक्ट, खूब हुई जमीन की बंदरबांट
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जम्मू-कश्मीर का रोशनी एक्ट, खूब हुई जमीन की बंदरबांट (Photo by social media)

लखनऊ: जम्मू-कश्मीर सरकार के 'रोशनी एक्ट' के तहत सरकारी जमीनों की खूब बंदरबांट हुई। अब हाई कोर्ट द्वारा इस एक्ट के तहत हुए घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के बाद राज्य सरकार ने इस एक्ट को ही खत्म कर दिया है। कोर्ट पहले ही इस एक्ट को असंवैधानिक करार दे चुका है। अब सरकार ने रोशनी एक्ट के तहत की गई सभी कार्रवाई रद्द करने का आदेश जारी किया है। रोशनी एक्ट जमीन सम्बंधित है सो सरकार ने सभी दाखिल खारिज को रद्द कर छह महीने के भीतर सभी जमीन को वापस लेने का आदेश दिया है। इसके साथ ही एक्ट के तहत लाभ लेने वाले प्रभावी लोगों समेत सभी लाभार्थियों के नाम सार्वजनिक करने को कहा गया है। हाई कोर्ट पहले ही रोशनी एक्ट के तहत बांटी गयीं जमीनों की जांच सीबीआई को सौंप चुका है।

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रोशनी भूमि योजना

रोशनी एक्ट सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों को मालिकाना हक देने के लिए बनाया गया था। इसके बदले उनसे सरकार द्वारा तय एक निश्चित रकम ली जाती थी। 2001 में फारूक अब्दुल्ला की सरकार ने जब यह कानून लागू किया तब सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वालों को मालिकाना हक देने के लिए 1990 को कट ऑफ वर्ष निर्धारित किया गया। लेकिन, समय के साथ जम्मू-कश्मीर की आने वाली सभी सरकारों ने इस कट ऑफ साल को बदलना शुरू कर दिया। इसके चलते राज्य में सरकारी जमीन की चहेतों को फायदा पहुंचाने की आशंका जताई गई। और यही हुआ। इससे सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण और भी ज्यादा हुआ। नवंबर 2006 में सरकार के अनुमान के मुताबिक 20 लाख कनाल (स्थानीय माप) से भी ज्यादा भूमि पर लोगों का अवैध कब्जा था।

इस कानून का दोहरा उद्देश्य था। रोशनी ऐक्ट के तहत तत्कालीन राज्य सरकार का लक्ष्य 20 लाख कनाल सरकारी जमीन अवैध कब्जेदारों के हाथों में सौंपना था, जिसकी एवज में सरकार बाजार भाव से पैसे लेकर 25,000 करोड़ रुपये की कमाई करती।

रोशनी एक्ट को 28 नवंबर 2018 में जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन गवर्नर सत्यपाल मलिक ने खत्म कर दिया था। अब नए आदेश के तहत राजस्व विभाग एक जनवरी 2001 के आधार पर सरकारी जमीन का ब्योरा एकत्र कर उसे वेबसाइट पर दर्ज करेगा। इसके अलावा सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करने वालों के नाम भी सार्वजनिक किए जाएंगे। इसमें रोशनी एक्ट के तहत आवेदन प्राप्त होने, जमीन का मूल्यांकन, लाभार्थी की ओर से जमा धनराशि, एक्ट के तहत पारित आदेश का भी ब्योरा देना होगा।

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सीबीआई जांच

हाईकोर्ट ने तीन सप्ताह पहले 9 अक्तूबर को रोशनी एक्ट घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल तथा न्यायाधीश राजेश बिंदल ने जांच एजेंसी को प्रत्येक आठ सप्ताह में कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा था। इस आदेश के बाद राज्य पुनर्गठन के एक साल पूरे होने पर सरकार ने 31 अक्टूबर को आदेश को लागू करते हुए एक्ट के तहत की गई पूरी कार्रवाई को ही रद्द कर दिया था।

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