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मिसाइल उड़ाएगी चीन को: खोज-खोज कर मारेगी सेना को, भारत जंग को तैयार

भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर मिसाइल का नाम ब्रह्मोस रखा गया है। ये कंपनी भारत के डीआरडीओ(DRDO) और रूस के एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिया का साझा उद्यम है।

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Published on: 4 Oct 2020 10:03 AM GMT
मिसाइल उड़ाएगी चीन को: खोज-खोज कर मारेगी सेना को, भारत जंग को तैयार
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भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर मिसाइल का नाम ब्रह्मोस रखा गया है। भारत के DRDO और रूस के एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिया का साझा उद्यम है।

नई दिल्ली। चीन का खात्मा करने के लिए भारत ने अपनी तैयारियों में कई गुना बढ़ोत्तरी कर दी है। जिसके चलते भारत और रूस ने मिलकर सुपरसोनिक क्रुज मीडियम रेंज मिसाइल ब्रह्मोस को विकसित किया है। अग्नि के फार्मुले पर काम करने वाली और 450 किलोमीटर की रेंज वाली इस मिसाइल में 200 किलो तक के पारंपरिक वारहेड ले जाने की क्षमता है। इस मिसाइल को 10 बजकर 27 मिनट पर आईटीआर(ITR) के लॉन्च कॉम्पलेक्स-3 से दागा गया।

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मिसाइल का नाम ऐसे पड़ा

दुश्मनों का खात्मा करने वाली 9 मीटर लंबी और 670 मिमी व्यास वाली मिसाइल का कुल वजन लगभग तीन टन है। ये मिसाइल एक जहाज से दागे जाने पर ध्वनि की गति से 14 किमी की ऊंचाई तक जा सकती है। यह एक ठोस प्रणोदक द्वारा चार्ज की जाती है और 20 किलोमीटर की दूरी पर अपना मार्ग बदल सकती है।

सबसे अहम बात ये है कि भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर मिसाइल का नाम ब्रह्मोस रखा गया है। ये कंपनी भारत के डीआरडीओ(DRDO) और रूस के एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिया का साझा उद्यम है।

इस मिसाइल के पहले विस्तारित संस्करण का सफल परीक्षण 11 मार्च 2017 को किया गया था। धूल चटाने वाली इस मिसाइल की मारक क्षमता 450 किलोमीटर थी। 30 सितंबर 2019 को चांदीपुर स्थित आईटीआर(ITR) से कम दूरी की मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल के जमीनी संस्करण का सफल परीक्षण किया गया था।

BrahMos supersonic cruise missile फोटो-सोशल मीडिया

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दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल

बता दें, ब्रह्मोस देश की सबसे आधुनिक और दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल है। यह मिसाइल पहाड़ों की छाया में छुपे दुश्मनों के ठिकानों को निशाना बना सकती है। यह एक ऐसी मिसाइल है जिसे पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों या जमीन से प्रक्षेपित किया जा सकता है। इसे तीनों सेनाओं में शामिल किया गया है।

ऐसे में ब्रह्मोस एयरोस्पेस को भारत के रक्षा शोध और विकास संगठन (DRDO) और रूस के एनपीओएम द्वारा संयुक्त रूप से बनाया गया है। इसका पहला सफल परीक्षण 12 जून, 2001 को किया गया था।

वहीं इसके लिए भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के नाम से मशहूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और रूस के प्रथम डिप्टी डिफेंस मंत्री एनवी मिखाइलॉव ने एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

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