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Rajasthan Politics: अब आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में सचिन पायलट, अनशन के बाद पदयात्रा के जरिए दिखाएंगे ताकत

Rajasthan Politics: सचिन पायलट ने अपनी इस पदयात्रा को जन संघर्ष यात्रा का नाम दिया है। पांच दिनों की यह पदयात्रा अजमेर से जयपुर तक निकाली जाएगी।

Anshuman Tiwari
Published on: 10 May 2023 4:06 PM IST
Rajasthan Politics: अब आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में सचिन पायलट, अनशन के बाद पदयात्रा के जरिए दिखाएंगे ताकत
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sachin pilot (photo: social media )

Rajasthan Politics: राजस्थान में कांग्रेस का संकट दिन-प्रतिदिन गहराता जा रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच छिड़ी सियासी जंग अब ऐसे मोड़ पर पहुंच गई है जहां सुलह-समझौते की गुंजाइश नहीं रह गई है। लंबे समय से राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की जंग लड़ रहे सचिन पायलट भी अब आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में दिख रहे हैं। इसी कारण उन्होंने अनशन के बाद अब कल से पदयात्रा निकालने का ऐलान कर दिया है।

उन्होंने अपनी इस पदयात्रा को जन संघर्ष यात्रा का नाम दिया है। पांच दिनों की यह पदयात्रा अजमेर से जयपुर तक निकाली जाएगी। सियासी जानकारों का मानना है कि मंगलवार को पायलट की प्रेस कांफ्रेंस के बाद साफ हो गया है कि आने वाले दिनों में गहलोत बनाम पायलट की जंग और तीखी होगी।

मना करने के बावजूद नहीं माने पायलट

राजस्थान में पायलट के तेवर से साफ हो गया है कि उन्होंने मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पायलट की ओर से मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस का ऐलान किए जाने के बाद उन्हें रोकने की कोशिश की गई थी। इस पर पायलट का जवाब था कि आखिरकार आलाकमान की ओर से मुझे ही क्यों हमेशा रोकने की कोशिश की जाती है जबकि गहलोत को आलाकमान की ओर से कुछ नहीं कहा जाता। मना करने के बावजूद वे अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस को रद्द करने के लिए तैयार नहीं हुए।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि राजस्थान में लंबे समय से गहलोत और पायलट के बीच सीधी लड़ाई लड़ चल रही है मगर यह पहला मौका है जब उन्होंने आलाकमान के मना करने के बावजूद गहलोत के खिलाफ सीधा मोर्चा खोलने का ऐलान कर दिया। उन्होंने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ तीखी बयानबाजी की। उन्होंने यहां तक कह डाला कि गहलोत के बयानों से ऐसा लगता है कि उनकी नेता सोनिया गांधी नहीं बल्कि वसुंधरा राजे हैं। इसके बाद उन्होंने वसुंधरा राजे के कार्यकाल के भ्रष्टाचार के मामलों की जांच न होने और पेपर लीक मामले को लेकर गहलोत को घेरने की भी कोशिश की।

गहलोत के खिलाफ तीखी बयानबाजी

सचिन पायलट पार्टी नेतृत्व से कई बार गहलोत के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर चुके हैं मगर उनकी मांग अभी तक अनसुनी ही रही है। अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए पायलट ने हाल में अनशन भी किया था मगर पार्टी नेतृत्व की ओर से इसे पार्टी विरोधी गतिविधि बताते हुए आगे के लिए चेतावनी तक जारी कर दी गई। कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा का कहना था कि पायलट को अनशन पर बैठने की जगह अपनी मांग पार्टी फोरम में उठानी चाहिए थी।

मुख्यमंत्री गहलोत की ओर से तीन दिनों पूर्व धौलपुर में 2020 की बगावत का जिक्र करते हुए वसुंधरा राजे को सरकार बचाने का क्रेडिट दिए जाने के बाद गहलोत और पायलट की जंग और तीखी हो गई है। गहलोत ने पार्टी से बगावत करने वाले विधायकों पर गृहमंत्री अमित शाह से पैसे लेने तक का आरोप लगाया। 2020 में कांग्रेस विधायकों ने पायलट की अगुवाई में ही बगावत की थी और ऐसे में पायलट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में गहलोत के खिलाफ तीखा बयान दिया है।

अब पदयात्रा के जरिए करेंगे शक्ति प्रदर्शन

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सचिन पायलट ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई आगे भी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि वसुंधरा राजे के कार्यकाल के भ्रष्टाचार की जांच की मांग को लेकर मैंने कई चिट्ठियां लिखीं और अनशन पर भी बैठा था मगर इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। उल्टे मुझे ही घेरने की कोशिश की गई।

उन्होंने कहा कि वे आगे भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे। उन्होंने 11 मई को अजमेर से जयपुर पदयात्रा निकालने का ऐलान भी किया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा पांच दिनों में पूरी होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह यात्रा राज्य सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि युवाओं को जगाने के लिए निकाली जा रही है।

पायलट की इस पदयात्रा को उनके शक्ति प्रदर्शन की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। जानकारों का मानना है कि पदयात्रा के जरिए पायलट अपनी ताकत दिखाने की कोशिश करेंगे।

इस कारण पायलट ने अपनाया तीखा तेवर

राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में गहलोत और पायलट के बीच तीखी होती जंग कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत बनती जा रही है। मंगलवार को जिस समय पायलट प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए मुख्यमंत्री गहलोत पर हमला बोल रहे थे, उस समय गहलोत कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ माउंट आबू में थे। गहलोत को सियासी जादूगर माना जाता है और अपने रणनीतिक कौशल के दम पर वे अभी तक पायलट की हर चाल नाकाम करने में कामयाब साबित हुए हैं।

दूसरी ओर कांग्रेस हाईकमान के रवैए से पायलट को अब बात का एहसास हो गया है कि पार्टी अगला विधानसभा चुनाव गहलोत की अगुवाई में ही लड़ेगी। ऐसे में उन्होंने पार्टी हाईकमान पर दबाव बनाने के साथ ही सारे विकल्पों को भी आजमाना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में अब वे 125 किलोमीटर लंबी पांच दिनों की पदयात्रा निकालने जा रहे हैं। माना जा रहा है कि पदयात्रा के दौरान दोनों खेमों के बीच तीखी बयानबाजी राजस्थान कांग्रेस का संकट और बढ़ाने वाली साबित होगी।

Anshuman Tiwari

Anshuman Tiwari

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