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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा - जम्मू-कश्मीर को कब बनायेंगे राज्य, चुनाव कब होंगे?
Supreme Court: जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ये सब बातें हुईं हैं। अनुच्छेद 370 से जुड़ीं याचिकाओं की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच कर रही है।
Supreme Court: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि जम्मू-कश्मीर को दो अलग यूनियन टेरिटरी (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांटने का कदम अस्थायी है। लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश ही रहेगा। लेकिन जम्मू-कश्मीर को जल्द फिर से राज्य बना दिया जाएगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह राष्ट्रीय हित में जम्मू-कश्मीर को दो अलग संघ शासित राज्य में बांटने के केंद्र के फैसले को स्वीकृति देने की इच्छुक है। फिर भी कोर्ट ने केंद्र से सवाल किया कि जम्मू-कश्मीर को वापस राज्य का दर्जा देने के लिए
क्या समय सीमा सोची गयी है और वहां चुनाव कब कराए जायेंगे?
जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ये सब बातें हुईं हैं। अनुच्छेद 370 से जुड़ीं याचिकाओं की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की बहाली की आवश्यकता पर बल दिया और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा - क्या आप एक राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदल सकते हैं? क्या एक राज्य से बहार केंद्र शासित प्रदेश बनाया जा सकता है? और चुनाव कब हो सकते हैं।
अदालत ने कहा, इसका अंत होना ही चाहिए... हमें विशिष्ट समय सीमा बताएं कि आप वास्तविक लोकतंत्र कब बहाल करेंगे। हम इसे रिकॉर्ड करना चाहते हैं। इस पर तुषार मेहता ने सकारात्मक जवाब दिया और असम की ओर इशारा किया। उदाहरण के तौर पर त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश का जिक्र किया। तुषार मेहता ने स्थिति पर बयान पढ़ते हुए कहा - मैंने निर्देश ले लिया है। निर्देश यह है कि केंद्र शासित प्रदेश एक स्थायी विशेषता नहीं है। मैं बाद में एक सकारात्मक बयान दूंगा। लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश बना रहेगा।
उन्होंने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करने पर संसद में एक बयान दिया गया है। प्रयास किए जा रहे हैं कि एक बार स्थिति सामान्य हो जाए। उन्होंने सबूत के तौर पर जम्मू-कश्मीर में हाल के स्थानीय चुनावों की ओर इशारा किया कि राज्य का दर्जा जल्द ही बहाल किया जाएगा। अदालत को बताया गया कि जम्मू-कश्मीर की वर्तमान स्थिति स्थायी नहीं है और राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया - यह जरूरी है कि कुछ समय के लिए जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में केंद्र के अधीन रहे। अंततः जम्मू-कश्मीर (फिर से) एक राज्य बन जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को स्वीकार किया जो सरकार द्वारा चार साल पहले अनुच्छेद 370 को हटाए जाने पर व्यक्त किया गया था - लेकिन क्षेत्र में लोकतंत्र को वापस लाने के महत्व की याद दिलाई।
अनुच्छेद 35 ए पर टिप्पणी
सुनवाई के दौरान सुप्रीम में कोर्ट ने अनुच्छेद 35 ए को नागरिकों के अधिकारों का हनन करने वाला बताया। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 35 ए के तहत जम्मू-कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार मिले थे। लेकिन इसी अनुच्छेद के कारण देश के लोगों के तीन बुनियादी अधिकार छीन लिए गए। इसकी वजह से अन्य राज्यों के लोगों के कश्मीर में नौकरी करने, जमीन खरीदने और बसने के अधिकारों का हनन हुआ। इसके पहले केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि आर्टिकल 370 लागू होने की वजह से जम्मू-कश्मीर में केंद्र के कई कानून लागू नहीं हो पाते थे। देश के संविधान में शिक्षा का अधिकार जोड़ा गया। लेकिन 370 की वजह से यह लागू नहीं हो पाया। आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर के लोगों को बराबरी पर लाया गया। तुषार मेहता ने तर्क दिया कि जम्मू-कश्मीर इकलौती रियासत थी, जिसका संविधान था और वो भी गलत था। मेहता ने कहा कि पहले की गलती का असर आने वाली पीढ़ियों पर नहीं पड़ सकता है। हमने 2019 में पिछली गलती को सुधार लिया है। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि एक स्तर पर आप सही हो सकते हैं कि भारत का गणतंत्र एक दस्तावेज है जो जम्मू-कश्मीर संविधान की तुलना में उच्च मंच पर है । लेकिन एक और बात यह है कि आपने यह जताने की कोशिश की है कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा विधानसभा थी। लेकिन विधानसभा संविधान सभा नहीं है।