जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग, SC ने केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। ये याचिका बीजेपी नेता और वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने दाखिल की थी।

Dharmendra kumar
Published on: 10 Jan 2020 9:39 AM GMT
जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग, SC ने केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। ये याचिका बीजेपी नेता और वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने दाखिल की थी।

इससे पहले बीजेपी नेता अश्वनी उपाध्याय ने पीएमओ में जनसंख्या नियंत्रण कानून पर प्रजेंटेशन दी थी। इस दौरान उन्होंने कानून बनाने के लिए कई सारे तर्क दिए थे। वहां उन्होंने वेंकटचलैया आयोग का भी जिक्र किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट का रूख करने को कहा। बता दें कि हाईकोर्ट में ऐसी याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है जिसके बाद वकील अश्‍विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा है कि बम विस्फोट की तुलना में जनसंख्या विस्फोट अधिक खतरनाक है।

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वेंकटचलैया आयोग

जनसंख्या नियंत्रण के लिए अटल बिहारी सरकार ने 2000 में वेंकटचलैया आयोग का गठन किया था। इस आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की सिफारिश की थी। इस आयोग के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वेंकटचलैया थे जबकि जस्टिस सरकारिया, जस्टिस जीवन रेड्डी और जस्टिस पुन्नैया इस आयोग के सदस्य थे।

इस आयोग के अन्य सदस्यों में पूर्व अटॉर्नी जनरल केशव परासरन तथा सोली सोराब, लोकसभा के महासचिव सुभाष कश्यप, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष संगमा, तत्कालीन सांसद सुमित्रा महाजन, वरिष्ठ पत्रकार सीआर ईरानी और अमेरिका में भारत के राजदूत रहे वरिष्ठ राजनयिक आबिद हुसैन भी शामिल थे। वेंकटचलैया आयोग ने 31 मार्च 2002 को अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी थी।

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हाईकोर्ट में खारिज हो चुकी है याचिका

सितंबर 2019 में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर दायर याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। कोर्ट का कहना था कि हम सरकार के कार्यों को अंजाम नहीं दे सकते। जनसंख्या नियंत्रण कानून पर अमल करवाना अदालत का कार्यक्षेत्र नहीं।

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न्यायमूर्ति डीएन पटेल और सी हरी शंकर की पीठ ने कहा था कि इस याचिका पर सुनवाई करने करने की कोई वजह नहीं है, इसलिए इस याचिका को खारिज किया जाता है। न्यायपालिका सरकार के कार्यों को नहीं कर सकती है और अदालत संसद और राज्य विधानसभाओं को निर्देश जारी नहीं करना चाहती है।

Dharmendra kumar

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