×

स्कॉलरशिप स्कैंडल: पूर्व रघुवर सरकार में हुआ घोटाला, CM कराएंगे जांच

केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय की ओर से प्री और पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप देने की योजना है। कक्ष 1 से 5 तक के बच्चों को सालाना 1000 रुपए देने का प्रावधान है। जबकि, क्लास 6 से 10 तक के छात्रों को 5 हज़ार 700 रुपए देने का प्रोविज़न है।

Newstrack
Published on: 3 Nov 2020 7:28 AM GMT
स्कॉलरशिप स्कैंडल: पूर्व रघुवर सरकार में हुआ घोटाला, CM कराएंगे जांच
X
झारखंड में स्कॉलरशिप स्कैंडल: पूर्व रघुवर सरकार में हुआ घोटाला, CM कराएंगे जांच (Photo by social media)

रांची: झारखंड में प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कैंडल सामने आया है। प्रदेश की पूर्व रघुवर दास की सरकार के समय ये घोटाला हुआ है। उस समय भाजपा की लुईस मरांडी राज्य की कल्याण मंत्री थी। इस बार वो दुमका उप चुनाव में किस्मत आज़मा रही हैं। मामला सामने आने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जांच कराने की बात कही है। कई सामाजिक संगठनों ने इस बाबत राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को पत्र लिखकर घोटाले की जांच कराने की मांग की है।

ये भी पढ़ें:भयानक रेल हादसा: अचानक पटरी से उतरी मालगाड़ी, बोगियों के टूटे पहिए

क्या है प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाला

केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय की ओर से प्री और पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप देने की योजना है। कक्ष 1 से 5 तक के बच्चों को सालाना 1000 रुपए देने का प्रावधान है। जबकि, क्लास 6 से 10 तक के छात्रों को 5 हज़ार 700 रुपए देने का प्रोविज़न है। छात्रावास में रहकर पढ़ाई करने वाले बच्चों को 10 हज़ार 700 रुपए दिए जाते हैं। डीबीटी के माध्यम से बच्चों के बैंक खातों में सीधे पैसे क्रेडिट हो जाते हैं। इसके लिए छात्रों का शैक्षणिक प्रमाण पत्र, आधार कार्ड और बैंक खाता का डिटेल्स लिया जाता है।

jharkhand-matter jharkhand-matter (Photo by social media)

स्कैंडल यहीं से शुरू होता है। प्राइवेट स्कूल, मिडिल मैन, बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट और झारखंड राज्य अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से पैसे का बंदरबांट किया गया। पैसा वैसे लोगों के नाम पर निकाल लिया गया जो छात्र नहीं हैं। आधार कार्ड और फिंगर प्रिंट ले लिया गया लेकिन पैसे किसी दूसरे के बैंक खाता में भेज दिया गया।

अल्पसंख्यक छात्रों की आपबीती

jharkhand-matter jharkhand-matter (Photo by social media)

रांची ज़िला के अशरफ अंसारी ने बताया कि, कुछ लोग उनके पास आए और उन्होने फिंगर प्रिंट ले लिया लेकिन पैसा नहीं मिला। खूंटी ज़िला की ज़बीना खातून ने बताया कि, एनजीओ से कुछ लोग आए थे जिन्होने उनके बच्चे का फिंगर प्रिंट लिया। साथ ही बैंक खाता का डिटेल्स और आधार नंबर भी लिया गया। पिछले दो वर्षों में मात्र 2400 रुपए मिले हैं। खूंटी ज़िला की ही कुलसुम आरा ने बताया कि, सितंबर 2019 में फॉर्म भरा था जिसके बाद उन्हे 2400 रुपए मिले। हालांकि, इस बाबत उनके पास कोई रसीद नहीं है। और न ही उन लोगों के बारे में कोई जानकारी है।

घोटाले पर आधिकारिक पक्ष

झारखंड राज्य अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम के प्रबंध निदेशक भीष्म कुमार कहते हैं उन्हे समाचार पत्रों के माध्यम से जानकारी मिली है। उन्हे कोई लिखित शिकायत नहीं दी गई है। न्यूज़ट्रैक से बात करते हुए उन्होने इस बात को कबूला है कि, कोई भी सिस्टम फूलप्रुफ नहीं है। गड़बड़ी की गुंजाइश बनी रहती है। उन्होने बताया कि, निगम का काम केवल मॉनिटरिंग करने का है। ऑनलाइन व्यवस्था शुरू होने के बाद गड़बड़ी करना काफी मुश्किल है। कई प्रक्रियाओं से गुज़रना पड़ता है। भीष्म कुमार की मानें छात्रवृत्ति घोटाला कोई पहली बार नहीं आया है। इससे पहले भी करीब 7 करोड़ रुपए का स्कैम सामने आ चुका है।

ये भी पढ़ें:Live: बिहार की रैली में बोले पीएम मोदी-परिवारवाद हार रहा है और विकास जीत रहा है

jharkhand-matter jharkhand-matter (Photo by social media)

छात्रवृत्ति घोटाला पर राजनीति

उप चुनाव के समय छात्रवृत्ति घोटाला सामने आने के बाद राजनीति भी शुरू हो गई है। दुमका से भाजपा प्रत्याशी लुईस मरांडी के कल्याण मंत्री रहते हुए ये घोटोला हुआ है। लिहाज़ा, आऱोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। इस बीच राज्य सरकार ने जांच कराने की बात कही है। हालांकि, इस पूरे प्रकरण में भाजपा ने अबतक कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी है।

शाहनवाज़

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Newstrack

Newstrack

Next Story