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झारखंड: करीब नौ महीने बाद स्कूलों में बजी घंटी, छात्रों का ऐसे हुआ स्वागत

झारखंड में क़रीब नौ माह के बाद स्कूलों में चहल-पहल दिखाई दी। सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक 10वीं और 12वीं के बच्चों के लिए कक्षाएं शुरू कर दी गई हैं। अभिभावकों से सहमति मिलने के बाद बच्चों को कक्षा में बैठने की अनुमति है। सरकारी स्कूलों ने सोमवार से क्लास लेना शुरू कर दिया है।

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Published on: 21 Dec 2020 2:01 PM GMT
झारखंड: करीब नौ महीने बाद स्कूलों में बजी घंटी, छात्रों का ऐसे हुआ स्वागत
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झारखंड: करीब नौ महीने बाद स्कूलों में बजी घंटी, छात्रों का ऐसे हुआ स्वागत

रांची: झारखंड में क़रीब नौ माह के बाद स्कूलों में चहल-पहल दिखाई दी। सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक 10वीं और 12वीं के बच्चों के लिए कक्षाएं शुरू कर दी गई हैं। अभिभावकों से सहमति मिलने के बाद बच्चों को कक्षा में बैठने की अनुमति है। सरकारी स्कूलों ने सोमवार से क्लास लेना शुरू कर दिया है। हालांकि, ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों ने गार्जियन के साथ बातचीत का दौर शुरू कर दिया है। उम्मीद की जा रही है जल्द ही नीजि स्कूल में भी रौनक देखने को मिलेगी। अधिकतर प्राइवेट स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई जारी है।

बच्चों की उपस्थिति दिखी कम

रांची के ज़िला स्कूल के प्राचार्य एके सिंह ने बताया कि, स्कूल के पहले दिन 10वीं और 12वीं कक्षा में बच्चों की उपस्थित काफी कम रही है। बहुत सारे बच्चे अभिभावकों के सहमति पत्र के साथ नहीं आए थे। लिहाज़ा, उन्हे स्कूल से लौटा दिया गया है और सहमति पत्र लाने को कहा गया है। प्राचार्य की मानें तो आने वाले एक-दो दिनों में बच्चों की मौजूदगी बढ़ जाएगी। मैट्रिक और इंटरमीडिएट के बच्चों को अपनी पढ़ाई पूरी करनी है। लिहाज़ा, कक्षा में उपस्थिति उनके लिए लाभकारी साबित होगी।

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बच्चों में उत्साह

लॉकडाउन के बाद स्कूल खुलने से बच्चों में खासा उत्साह दिखा। बच्चों ने बताया कि, ऑनलाइन पढ़ाई में वे लोग शामिल ज़रूर हो रहे थे लेकिन संतुष्टि नहीं हो पा रही थी। ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को काफी समस्या हो रही थी। नेटवर्क नहीं रहने से दूर-दराज़ के बच्चे ऑनलाइन

पढ़ाई से महरूम रह जा रहे थे। छात्रों ने उत्साह के साथ बताया कि, ऑफलाइन पढ़ाई में हर शंका को दूर किया जा सकता है। टीचर क्लास में मौजूद रहते हैं। लिहाज़ा, कोई भी परेशानी होने पर तुरंत उसका समाधान होता है।

बच्चों के साथ शिक्षक भी खुश

स्कूल खुलने से केवल बच्चे ही नहीं बल्कि शिक्षकों में भी खुशी है। शिक्षकों ने बताया कि, वे लोग बच्चों का ऑनलाइन क्लास ले रहे थे, लेकिन संतुष्टि नहीं मिल रही थी। कई बार छात्रों की उपस्थिति बेहद कम रहती थी। लिहाज़ा, ऑनलाइन क्लास लेने के बाद भी बच्चों की पढ़ाई अधूरी रह जाती थी। शिक्षकों ने बताया कि, ऑनलाइन क्लास लेना एक विकल्प हो सकता है लेकिन ये संपूर्ण समाधान नहीं है। अब स्कूल खुल गए हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई अब पूरी हो सकेगी। आने वाले दिनों में मैट्रिक और इंटर की परीक्षा है। लिहाज़ा, छात्रों को पूरी गंभीरता के साथ पढ़ाई करनी होगी।

स्कूलों में तैयारी

रांची के ज़िला स्कूल में एक बेंच पर एक बच्चे के बैठने की व्यवस्था की गई है। साथ ही छात्रों के आने से पहले और बाद में पूरी कक्षा को सैनिटाइज किया जाता है। बच्चों के शरीर का तापमान देखने के बाद ही क्लास में जाने की अनुमति दी जाती है। छात्रों के साथ ही शिक्षक अनिवार्य रूप से मास्क का उपयोग कर रहे हैं। बाकी स्टाफ के लिए भी ये ज़रूरी क़रार दिया गया है। पूरे स्कूल परिसर में साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था की गई है।

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कोचिंग एसोसिएशन ने किया प्रदर्शन

सरकार के निर्णय से प्राइवेट कोचिंग चलाने वाले लोग बेहद नाराज़ हैं। रांची कोचिंग एसोसिएशन के बैनर तले लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया। एसोसिएशन का तर्क है कि, स्कूलों के मुकाबले कोचिंग में बेहद सीमित संख्या में छात्र आते हैं। ऐसे में स्कूल को खोलने की इजाज़त मिल गई है लेकिन कोचिंग संस्थान को बंद रखा जा रहा है। सरकार के इस निर्णय से कोचिंग से जुड़े लोग आर्थिक रूप से परेशान हैं। लिहाज़ा, सरकार को इस दिशा में सोचना चाहिए।

रांची से शाहनवाज़ की रिपोर्ट

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