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इस वैज्ञानिक का दावाः इस घटना के बाद मर जाएगा कोरोना वायरस
सूर्य ग्रहण के बाद उत्सर्जित विखंडन ऊर्जा के कारण पहले न्यूट्रॉन के कारण के संपर्क के बाद कोरोना वायरस टूट गया है। ग्रहों के बीच ऊर्जा में बदलाव के कारण यह वायरस ऊपरी वायुमंडल से उत्पन्न हुआ है इसी बदलाव के कारण धरती पर उचित वातावरण बना।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस का कहर काफी लंबे समय से पूरे विश्व में फैला हुआ है। इस वायरस की वजह से अभी तक पूरे विश्व में 439,421 लोगों की मौत हो चुकी है। अगर भारत कि बात करें तो अभी तक 9,900 से अधिक लोगों कि मौत हो चुकी है। पूरा विश्व इस समय कोरोना कि चपेट में है।
सूर्य ग्रहण और कोरोना वायरस के बीच कनेक्शन
इस बीच चेन्नई के एक वैज्ञानिक ने सूर्य ग्रहण और कोरोना वायरस के बीच कनेक्शन का दावा किया है। न्यूक्लियर एंड अर्थ साइंटिस्ट डॉक्टर के एल सुंदर रचना का दावा है कि पिछले साल 26 दिसंबर को लगने वाले सूर्य ग्रहण को कोरोना वायरस आया था और आने वाले 21 जून के सूर्य ग्रहण के दिन वायरस समाप्त हो जाएगा।
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ऐसे ख़त्म हो सकता है कोरोना वायरस
उनकी माने तो सूर्य ग्रहण के बाद उत्सर्जित विखंडन ऊर्जा के कारण पहले न्यूट्रॉन के कारण के संपर्क के बाद कोरोना वायरस टूट गया है। ग्रहों के बीच ऊर्जा में बदलाव के कारण यह वायरस ऊपरी वायुमंडल से उत्पन्न हुआ है इसी बदलाव के कारण धरती पर उचित वातावरण बना। यह न्यूट्रॉन सूर्य की सबसे अधिक विखंडन ऊर्जा से निकल रहे हैं।
न्यूक्लियर फॉर्मेशन की यह प्रक्रिया बाहरी मेटेरियल के कारण शुरू हुई होगी। जो ऊपरी वायुमंडल में बायो मॉलिक्यूल और बायोन्यूक्लियर के संपर्क में आने से हो सकता है। बायो मॉलीक्यूल संरचना प्रोटीन का म्यूटेशन इस वायरस का एक संभावित स्रोत हो सकता है।
डॉक्टर के एल सुंदर कृष्णा के अनुसार, म्यूटेशन प्रोसेस था। सबसे पहले चीन में शुरू हुआ होगा, हालांकि इस दावे का कोई पुख्ता सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि यह एक प्रयोग है। आगामी सूर्य ग्रहण कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। सूर्य की किरणों की तीव्रता वायरस को निष्क्रिय कर देंगी।
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