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रहेंगे हमेशा जवान: अब नहीं होंगे बूढ़े, वैज्ञानिकों ने खोज निकाला ये फॉर्मूला
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के जेनेटिक्स विभाग के प्रमुख प्रोफेसर गेरार्ड कारसेंटी पिछले 30 सालों से हड्डियों में छिपे इस राज को जानने के लिए रिसर्च कर रहे थे।
नई दिल्ली: अपनी पूरी जिंदगी में हम सबसे ज्यादा अपने हेल्थ की चिंता करते हैं। उसके बाद हमें अपनी बढ़ती उम्र को लेकर चिंता सताती है क्योंकि हम बूढ़े नहीं होना चाहते हैं। वैज्ञानिकों के लिए ये विषय हमेशा से एक खोज का विषय रहा है। लेकिन अब पता चला है कि हमारी हड्डियों में ही छिपा है हमारी जवानी का राज।
एक हॉर्मोन की वजह से हम जवान रह सकते हैं
वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगा लिया है कि बुढ़ापे को भगाने का राज हमारी हड्डियों में ही छिपा है। अगर हड्डियों में मौजूद एक खास तरह के हॉर्मोन की मात्रा सही रहे तो हम बुढ़ापे से बच जाएंगे और याददाश्त भी कमजोर नहीं होगी। इसी मैं पैदा होने वाले एक हॉर्मोन की वजह से हम जवान रह सकते हैं।
यह हॉर्मोन पुराने टिशू को हटाकर नए टिशूज बनाता है
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के जेनेटिक्स विभाग के प्रमुख प्रोफेसर गेरार्ड कारसेंटी पिछले 30 सालों से हड्डियों में छिपे इस राज को जानने के लिए रिसर्च कर रहे थे। उन्होंने हड्डियों में पैदा होने वाले हॉर्मोन ऑस्टियोकैल्सिन (Osteocalcine Hormone) पर रिसर्च के दौरान पाया कि यह हड्डियों के अंदर पुराने टिशू (Old Tissue) हटाता है। नए टिशूज (New Tissue) बनाता है।
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हॉर्मोन हमारे शरीर की कई प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करता है
ऑस्टियोकैल्सिन हॉर्मोन की वजह से ही हमारी लंबाई बढ़ती है। गेरार्ड ने चूहों में इस हॉर्मोन का जीन निकालकर उसका अध्ययन किया तो पता चला कि यह हॉर्मोन हमारे शरीर की कई प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करता है। प्रो. गेरार्ड कारसेंटी का कहना है कि पहले ऐसा माना जाता था कि हड्डियों के ढांचे से हमारा शरीर सिर्फ खड़ा रहता है, लेकिन ऐसा नहीं है। हड्डियां हमारे शरीर में इससे ज्यादा क्रियाओं को प्रभावित करती हैं।
ऑस्टियोकैल्सिन बुढ़ापा रोकने और याद्दाश्त बढ़ाने में मदद करती है
हड्डियों के अंदर मौजूद टिशूज हमारे शरीर के अन्य टिशूज के साथ सहयोग करती हैं। हड्डियां अपने खुद के हॉर्मोन बनाती हैं, जो दूसरे अंगों तक संकेत भेजने का काम करती हैं। इसकी मदद से ही हम कसरत करते हैं। इससे बुढ़ापा रोकने और याद्दाश्त बढ़ाने में मदद मिलती है। प्रो। गेरार्ड कारसेंटी का कहना है कि बुढ़ापा न आने देने के लिए शरीर में ऑस्टियोकैल्सिन बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। नियमित कसरत से हड्डियां अपने ऑस्टियोकैल्सिन बनाने लगती हैं।
वैज्ञानिकों ने बूढ़े चूहों पर किए प्रयोग
वैज्ञानिक ऑस्टियोकैल्सिन की दवा बनाने में जुटे हैं ताकि यह हॉर्मोन लंबे समय तक शरीर में रहकर बुढ़ापे की बीमारियों से बचा सके। उधर, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने बूढ़े चूहों पर किए गए एक शोध में पता लगाया है कि अगर ब्लड प्लाज्मा का आधा हिस्सा निकालकर उसकी जगह सलाइन और एल्बयुमिन में बदल दिए जाने से भी उम्र बढ़ने की प्रक्रिया उलट जाती है।
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इस प्रक्रिया से मांसपेशियां, दिमाग और लीवर के टिशूज फिर से जवान होने लगते हैं। रिसर्च टीम अब यह नतीजा निकालने में जुटी है कि क्या यह संशोधित ब्लड प्लाज्मा उम्र के साथ जुड़ी बीमारियों के इलाज में कारगर होगा या नहीं।