TRENDING TAGS :
किसानों के आंदोलन में पहुंचे दिलजीत दोसांझ, दिया ये बड़ा बयान
किसानों से मुलाकात के बाद दिलजीत दोसांझ ने उन्हें संबोधित किया। उन्होंने कहा, 'हमारा केंद्र से सिर्फ एक अनुरोध है कि कृपया किसानों की मांगों को पूरा करें।
नई दिल्ली नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध-प्रदर्शन जारी है। सरकार और किसान नेताओं के बीच दिल्ली के विज्ञान भवन में बातचीत चल रही है। इसी बीच पंजाबी सिंगर और एक्टर दिलजीत सिंह दोसांझ शनिवार को सिंधु बॉर्डर (हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर) पर प्रदर्शन कर रहे किसानों से मिलने के लिए पहुंचे। किसानों को 1 करोड़ रुपये दान में दिए ताकि वह गर्म कपड़े खरीद सकें और सर्द रातों में थोड़ा आराम मिल सके।
दिलजीत दोसांझ ने कहा...
किसानों से मुलाकात के बाद दिलजीत दोसांझ ने उन्हें संबोधित किया। उन्होंने कहा, 'हमारा केंद्र से सिर्फ एक अनुरोध है कि कृपया किसानों की मांगों को पूरा करें। यहां सभी लोग शांति से बैठे हैं और पूरा देश किसानों के साथ है। दोसांझ ने कहा, आप सभी को सलाम, किसानों ने एक नया इतिहास रचा है। यह इतिहास आने वाली पीढ़ियों को सुनाया जाएगा। किसानों के मुद्दों को किसी के द्वारा भी मोड़ना नहीं चाहिए।
यह पढ़ें...इस सॉफ्टवेयर का नाम नोट कर लें, कोरोना वैक्सीन की मिलेगी रियल टाइम जानकारी
सरकार को फायदा , किसानों को नहीं
सरकार के साथ जारी बैठक में किसानों ने कहा, हम कॉरपोरेट फार्मिंग नहीं चाहते। इस कानून से सरकार को फायदा होगा, किसानों को नहीं। पिछले कई दिनों से सड़कों पर हैं। हमारे पास एक साल की व्यवस्था है। अगर सरकार यही चाहती है तो हमें कोई दिक्कत नहीं. हम हिंसा का रास्ता भी नहीं अपनाएंगे। इंटेलीजेंस ब्यूरो बता देगी कि हम धरनास्थल पर क्या कर रहे हैं। साथ ही कहा कि अब और बातचीत नहीं चाहते, सरकार समाधान निकालेय़ लंच ब्रेक में किसानों ने आज भी सरकारी खाना नहीं, बल्कि अपना लाया हुआ खाना ही खाया। वे पानी तक साथ लाए थे।
यह पढ़ें...किसान आंदोलन: संसद का विशेष सत्र बुला सकती है सरकार, कर सकती है ये बदलाव
बोलने के लिए नहीं सुनने आया
दिलजीत दोसांझ ने कहा, 'मैं यहां बोलने के लिए नहीं सुनने के लिए आया हूं। पंजाब और हरियाणा के किसानों को धन्यवाद। आपने एक बार फिर इतिहास रचा है।' इसके बाद मजाक करते हुए कहा कि हिंद में बोल रहा हूं ताकि बाद में गुगल करना ना पड़े। उन्होंने कहा, यहां कोई भी किसान के अलावा कोई बात नहीं हो रही है। मुद्दों को न भटकाया जाए। किसान जो भी चाहते हैं, सरकार उनकी मांगों को मानें। सब शांति से बैठे हैं, कोई खून खराबे की बात नहीं हो रही है। ट्विटर पर बहुत सारी बातें होती रहती हैं और घुमाते रहते हैं।'