×

MMS और SMS का करोड़ो घोटाला: सामने आई सच्चाई, यहां जाने पूरा मामला

आज-कल चोरी या धोखाधड़ी करना बहुत ही आम हो गया है। अपने देश में तो ऐसा आए-दिन होता रहता है। देश में ही बहुत से ऐसे बड़े-बड़े लोग मिल जाएंगे तो इसमें माहिर हैं।

Roshni Khan
Published on: 20 Oct 2019 12:15 PM GMT
MMS और SMS का करोड़ो घोटाला: सामने आई सच्चाई, यहां जाने पूरा मामला
X

नई दल्ली: आज-कल चोरी या धोखाधड़ी करना बहुत ही आम हो गया है। अपने देश में तो ऐसा आए-दिन होता रहता है। देश में ही बहुत से ऐसे बड़े-बड़े लोग मिल जाएंगे तो इसमें माहिर हैं। ऐसा ही एक नया मामला सामने आया है, सालों से सिंह ब्रोदर्स मलविंदर मोहन सिंह (एमएमएस) और शिविंद्र मोहन सिंह (एसएमएस) बचते आ रहे थे। लेकिन अब उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। इनके धोखाधड़ी के मामलें काफी बड़े हैं।

ये भी देखें:क्रिटिकल पोलिंग बूथ पर वेबकास्टिंग से रखी जायेगी कड़ी नजर

पाकिस्तान का नकली नोट! ऐसे करना चाहता है भारत पर हमला

FIR के बाद खुला नया राज

कंपनी के पूर्व CEO सुनिल गोधवानी के साथ दोनों के विरुद्ध हुई FIR को देखने से यह बात सामने आई है कि कोई संपत्ति किस तरह डूबती है, या डूबोई जाती है।

इसके बाद यह एक बार फिर से सिद्ध हो गया कि नियामक इस धोखाधड़ी का पता लगाने में विफल रहे और जिस कंपनी की 2010 में जांच हुई थी, वह बिना किसी डर के कई सारी अनियमितताओं के साथ अपने काम करने में सफल रही।

जांच से पता चला कि बड़े स्केल पर रेलीगेयर फिनवेस्ट की खराब वित्तीय हालत महत्वपूर्ण असुरक्षित ऋणों को जानबूझकर नहीं चुकाने की वजह से हुई। इस के संबंध में खतरे की घंटी बजती रही, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया।

RBI ने अपनी 2010 की रिपोर्ट में पाया ये

RBI ने मार्च 2010 में खत्म होने वाले वित्त वर्ष के लिए 6 जनवरी, 2012 को अपनी जांच रिपोर्ट में पाया कि रेलीगेयर फिनवेस्ट अपने अनुषांगिक/समूह की कंपनियों/अन्य कंपनियों के साथ अधिशेष फंड का एक बड़ा हिस्सा जमा करता था, जिसका यूज़ प्राय: प्रतिभूतियों में पोजिशन लेने के लिए किया जाता था। इसका स्पष्ट अर्थ यह है कि कॉरपोरेट शासन के सभी नियमों के विपरीत इस अधिशेष फंड को दांव पर लगाया गया।

ये भी देखें:कमलेश तिवारी मर्डर पर KRK ने खड़े किए सवाल, कह डाली ये बड़ी बात

RBI ने जांच रिपोर्ट में आगे पाया कि मूल्यांकन, स्वीकृति, ऋण के उद्देश्य, संवितरण रिपोर्ट, समय पर समीक्षा, सीमा बढ़ाने को लेकर उधारदाताओं की ओर से आग्रह वाले आवदेन, ऋण निगरानी रिकॉर्ड ही नहीं थे।

इससे प्रतीत होता है कि 10 वर्ष की अवधि में, 115 प्रतिष्ठानों को कुल 47,968 करोड़ रुपये की राशि कॉरपोरेट लोन बुक की इसी कार्यप्रणाली के जरिए दी गई। खतरे को उजागर करने वाले RBI से बचने के लिए, त्रैमासिक समीक्षा रिपोर्ट के समय एक्सपोजर का प्रबंध किया गया था, लेकिन वितरण को इसके बाद चालाकी से फिर से बहाल कर दिया गया। ऐसा करके उन्होंने RBI और सार्वजनिक शेयरधारकों से तथ्यों को छिपाया।

बैंक

सिंह ब्रोदर्स ने सुनिल गोधवानी के साथ मिलकर की साजिश

इसके अंदर सिंह ब्रोदर्स ने साजिश के साथ सुनिल गोधवानी के साथ मिलकर रेलीगेयर फिनवेस्ट पर नियंत्रण रखते हुए फर्जी कंपनियों और एमएमएस और एसएमएस से संबंधित कंपनियों को असुरक्षित, ऊंचे मूल्य के ऋण दिए। RBI दर्ज कराने के समय ये ऋण मूल धन के रूप में कुल 2,397 करोड़ रुपए और ब्याज के रूप में 415 करोड़ रुपए के थे।

ये भी देखें:कमलेश के बाद एक और मौत, नहीं थम रहा हिन्दू नेताओं के मरने का दौर

रैनबैक्सी के पूर्व CEO मलविंदर सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। मलविंदर की गिरफ्तारी लुधियाना से हुई। मलविंदर को 2,300 करोड़ रुपए के हेराफेरी के मामले में गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले उनके भाई और कंपनी के पूर्व CEO शिविंदर सिंह को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया।

Roshni Khan

Roshni Khan

Next Story