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तो क्या हर्ड इम्युनिटी की प्रक्रिया में है देश, यहाँ मिलेगी सारी जानकारी

हर्ड इम्यूनिटी यानी सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता, चिकित्सा विज्ञान की एक बहुत पुरानी प्रक्रिया है। इसके तहत देश की आबादी के एक तय हिस्से अर्थात कम से कम 60 प्रतिशत जनसंख्या को वायरस से संक्रमित होने दिया जाता है।

Vidushi Mishra
Published on: 11 May 2020 10:45 AM GMT
तो क्या हर्ड इम्युनिटी की प्रक्रिया में है देश, यहाँ मिलेगी सारी जानकारी
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लखनऊ। देश में 17 मई तक लॉकडाउन का तीसरा चरण चल रहा है। पहले दो चरणों के लॉकडाउन की अपेक्षा तीसरे लॉकडाउन में सरकार की ओर से कुछ शर्ताें के साथ काफी ढ़ील दी गई है। तीसरे लॉकडाउन में सरकार ने शराब की दुकाने खोल दी, निजी कार्यालयों को खोलने की अनुमति दे दी और अब मंगलवार से कुछ ट्रेनों का संचालन भी शुरू हो रहा है।इधर, आईसीएमआर ने भी कोरोना मरीजों को अब 10 दिन में ही डिस्चार्ज करने को कह दिया है। सरकार के इन कदमों को लेकर कयास लगाये जा रहे है कि क्या सरकार देश में हर्ड इम्युनिटी के रास्ते से कोरोना के इलाज की मंजिल पाना चाह रही है।

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इस वायरस से इम्यून हो जाएं

दरअसल, हर्ड इम्यूनिटी यानी सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता, चिकित्सा विज्ञान की एक बहुत पुरानी प्रक्रिया है। इसके तहत देश की आबादी के एक तय हिस्से अर्थात कम से कम 60 प्रतिशत जनसंख्या को वायरस से संक्रमित होने दिया जाता है। ताकि वो इस वायरस से इम्यून हो जाएं।

यानी उनके शरीर में वायरस को लेकर एंटीबॉडीज बन जाएं। इससे भविष्य में कभी भी वो वायरस परेशान नहीं करेगा। ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता मैट हैनकॉक के मुताबिक महामारी के फैलने के साथ ही अपने आप हर्ड इम्युनिटी विकसित हो जाती है।

अगर देश में हर्ड इम्यूनिटी लागू किया जाता है तो यहां की 60 फीसदी आबादी को कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद जब वे इस बीमारी से इम्यून हो जायेंगे तब उनके शरीर से एंटीबॉडीज निकाल कर इस वायरस के लिए वैक्सीन तैयार किया जाएगा। फिर इसी वैक्सीन से बाकी लोगों का इलाज किया जायेगा।

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वायरस की फैलने की क्षमता कितनी

हर्ड इम्यूनिटी की प्रक्रिया लागू करने से यह भी पता चल जायेगा कि देश की कितनी बड़ी आबादी इससे प्रभावित हो रही है। साथ ही इस वायरस की फैलने की क्षमता कितनी है।

यानी अगर एक व्यक्ति को संक्रमित किया जाता वायरस से तो उस आदमी से और कितने लोग संक्रमित हो रहे हैं। जैसे मीजिल्स से बीमार एक व्यक्ति करीब 12 से 18 लोगों को संक्रमित कर सकता है तो इनफ्लूएंजा से पीड़ित आदमी 1 से 4 लोगों को बीमार कर सकता है।

वायरस का संक्रमण मौसम और व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी निर्भर करता है। अभी तक प्राप्त जानकारी के मुताबिक कोरोना वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति 2 से 3 लोगों को संक्रमित कर सकता है।

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ग्रीन जोन में हर्ड इम्यूनिटी का टेस्ट

मौजूदा समय में देश के कुल जिलों में से 43 फीसदी से ज्यादा ग्रीन जोन में हैं। इन इलाके में लोगों के आने-जाने और काम करने पर लगी रोक हट गई है। इसे देश के ग्रीन जोन में हर्ड इम्यूनिटी का टेस्ट शुरूआत माना जा सकता है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक हर्ड इम्युनिटी की प्रक्रिया जोखम वाली है लेकिन भारत के मामले में हर्ड इम्युनिटी की प्रक्रियां में यहां की मौजूदा युवाओं की संख्या काफी मददगार साबित हो सकती है।

देश में 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है। जबकि केवल 6 प्रतिशत लोगों की उम्र ही 65 वर्ष से ज्यादा है। ऐसे में हर्ड इम्युनिटी की प्रक्रिया में अन्य रोगों से ग्रस्त लोगों को होने वाले नुकसान की आशंका काफी कम है। फिलहाल देश में युवाओं में संक्रमण के ज्यादातर मामलों में मामूली लक्षण दिख रहे है या मिल ही नहीं रहे है।

कोरोना के इलाज के दो ही तरीके

आईएमए के डा. मनोज गोविला के मुताबिक लाकडाउन से कोरोना का इलाज नहीं हो सकता है। उनका कहना है कि कोरोना के इलाज के दो ही तरीके है पहला वैक्सीन और दूसरा सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता का विकास।

उनका कहना है कि हमारे देश में मरीजों के ठीक होने की दर ठीक है और मृत्यु दर कम है। जिससे साफ है कि यहां लोगों की इम्युनिटी बेहतर है और हर्ड इम्युनिटी की प्रक्रिया से हम कोरोना का मुकाबला कर सकते है।

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