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तो क्या अब महीनों के लिए टल जाएगी मिशन चन्द्रयान-2 की लॉन्चिंग

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के दूसरे मून मिशन चन्द्रयान-2 की 15 जुलाई को तड़के 2.51 बजे की लॉन्चिंग तकनीकी कारणों से रोक दी गई है। लॉन्चिंग से 56.24 मिनट पहले चंद्रयान-2 का काउंटडाउन रोक दिया गया था।

Vidushi Mishra
Published on: 15 July 2019 6:55 AM GMT
तो क्या अब महीनों के लिए टल जाएगी मिशन चन्द्रयान-2 की लॉन्चिंग
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नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के दूसरे मून मिशन चन्द्रयान-2 की 15 जुलाई को तड़के 2.51 बजे की लॉन्चिंग तकनीकी कारणों से रोक दी गई है। लॉन्चिंग से 56.24 मिनट पहले चंद्रयान-2 का काउंटडाउन रोक दिया गया था। देश के सबसे ताकतवर बाहुबली रॉकेट GSLV-MK3 से लॉन्च किया जाना था।

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के आन्तरिक सूत्रों के मुताबिक जिस समय काउंटडाउन रोका गया, उसे देखते हुए लगता है कि क्रायोजेनिक इंजन और चंद्रयान-2 को जोड़ने वाले लॉन्च व्हीकल में लॉन्च के लिए सही दबाव नहीं बन रहा था। इसलिए इसरो ने लॉन्च को टाल दिया। लॉन्च रोकने के बाद इसरो वैज्ञानिक ये पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि लॉन्च से पहले ये तकनीकी खामी कहां से आई। इसरो के वैज्ञानिक पूरा प्रयास कर रहे हैं कि चार दिनों के अंदर चंद्रयान-2 को लॉन्च कर दिया जाए नहीं तो यह तीन महीनों के लिए टल जाएगी।

विश्वस्त सूत्रों से यह पता चला कि खामी रॉकेट या चंद्रयान-2 में नहीं है। जो भी लांचिन्ग के समय आई है, वह जीएसएलवी-एमके3 के क्रायोजेनिक इंजन और चंद्रयान-2 को जोड़ने वाले लॉन्च व्हीकल में आई।

लॉन्च व्हीकल में प्रेशर लीक की कमी देखी गई थी। इसलिए अब रॉकेट के सभी हिस्सों की अलग-अलग करके जांच की जाएगी। चंद्रयान-2 अभी जिस हाल में है, उसी स्थिति में सुरक्षित रखा जाएगा। रॉकेट को अलग करके जांच करने में काफी समय लगेगा।

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इसरो की आगे के लिए ये है प्रक्रिया

रॉकेट से ईंधन को निकालना है सबसे बड़ा काम

इसरो साइंटिस्ट अब सबसे पहले जीएसएलवी रॉकेट के सभी चरणों से ईंधन निकालने की प्रकिया शुरू करेंगे। इसे डीफ्यूलिंग कहते हैं। यह प्रक्रिया जटिल और खतरनाक होती है, लेकिन इसरो साइंटिस्ट इससे पहले भी यह कर चुके हैं। इसलिए कोई दिक्कत की बात नहीं है। इसमें बूस्टर्स, पहला स्टेज, दूसरा स्टेज और क्रायोजेनिक इंजन सभी शामिल हैं।

इन सभी में भरा गया ईंधन निकाला जाएगा। इसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण क्रायोजेनिक इंजन से निकाला जाने वाला लिक्विड ऑक्सीजन और हाइड्रोजन है। क्योंकि इन्हें माइनस 156 डिग्री सेल्सियस पर रखना होता है। चूंकि, रॉकेट खुले आसमान के नीचे होता है, तापमान कम-ज्यादा होता रहता है, इसलिए ऐसे ज्वलनशील ईंधन को जल्द ही खाली किया जाएगा।

चंद्रयान-2 से अलग किया जाएगा रॉकेट

डीफ्यूलिंग के बाद रॉकेट को चंद्रयान-2 से अलग किया जाएगा। इस प्रक्रिया को रॉकेट डीस्टैकिंग कहते हैं। ताकि पूरे मून मिशन की ढंग से जांच की जा सके।

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एनालिसिस कमेटी़ जो खोजेगी कमी

चंद्रयान-2 की तकनीकी को जांचने के लिए इसरो के विभिन्न सेंटर्स के वैज्ञानिकों की एक एनालिसिस टीम बनाई जाएगी। यह टीम पूरे जीएसएलवी रॉकेट और लॉन्च व्हीकल की जांच करेगी।

कम्प्यूटर ने जब लॉन्च की प्रक्रिया रोकी, उस समय से ठीक पहले से तय ऑटोमेटेड लॉन्च शेड्यूल को देखा जाएगा। फिर उस कमी की जांच होगी। और उसमें सुधार किया जाएगा। इसके बाद रॉकेट, लॉन्च व्हीकल और चंद्रयान-2 से संबंधित सभी जरूरी टेस्ट वापस से किए जाएंगे।

जल्द ही अगली तारीख का ऐलान होगा

कम्प्यूटर में दोबारा लॉन्च शेड्यूल डाला जाएगा। ताकि दोबारा लॉन्च से पहले लॉन्चिंग का पूरा सिस्टम कम्प्यूटर के पास आ जाएगा। 20 से 24 घंटे या उससे ज्यादा का काउंटडाउन फिर से शुरू किया जाएगा। काउंटडाउन शुरू होने के बाद कम्प्यूटर फिर से पूरे ऑटेमेटेड लॉन्च शेड्यूल की प्रक्रिया की जांच करेगा।

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अक्टूबर में हो सकती है चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग

जीएसएलवी-एमके3 को अलग-अलग करके जांच करने और उसमें आई तकनीकी खामी को सुधारने में काफी समय लगेगा। अगर वैज्ञानिक पूरा प्रयास करने के बाद भी चार दिनों के अंदर लॉन्च नहीं कर पाते तो अगले कुछ हफ्ते चंद्रयान की लॉन्चिंग संभव नहीं है।

अगला लॉन्च विंडो अक्टूबर में आएगा। लॉन्च विंडो वह उपयुक्त समय होता है जब पृथ्वी से चांद की दूरी कम होती है और पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाने वाले उपग्रहों से टकराने की संभावना बेहद कम होती है।

अक्टूबर में जाएगी मून मिशन की लॉन्चिंग

लॉन्च विंडो का फैसला इसरो के त्रिवेंद्रम स्थित स्पेस फिजिक्स लैब करेगा। अगला लॉन्च विंडो 10 अक्टूबर से 26 अक्टूबर के बीच हो सकता है। क्योंकि इस दौरान पृथ्वी से चांद की दूरी औसत 3.61 लाख किमी होती है।

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Vidushi Mishra

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