×

कांपेंगें चीनी सैनिक: आ गए देश के ताकतवर जवान, अब नहीं बचेगा कोई दुश्मन

लाइन ऑफ एक्च्यूअल कंट्रोल पर चीन के बढ़ते हस्तक्षेप के चलते पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर सेना के साथ स्पेशल फ्रंटियर फोर्स(एसएफएफ) भी चीनी सैनिकों का खात्मा करने में जुट गई है। इस फोर्स को तेजी से वार करने में सबसे बेहतरीन माना जाता है।

Newstrack
Published on: 2 Sept 2020 3:42 PM IST
कांपेंगें चीनी सैनिक: आ गए देश के ताकतवर जवान, अब नहीं बचेगा कोई दुश्मन
X
लाइन ऑफ एक्च्यूअल कंट्रोल पर चीन के बढ़ते हस्तक्षेप के चलते पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर सेना के साथ स्पेशल फ्रंटियर फोर्स(एसएफएफ) भी है।

नई दिल्ली। लाइन ऑफ एक्च्यूअल कंट्रोल पर चीन के बढ़ते हस्तक्षेप के चलते पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर सेना के साथ स्पेशल फ्रंटियर फोर्स(एसएफएफ) भी चीनी सैनिकों का खात्मा करने में जुट गई है। इस फोर्स को तेजी से वार करने में सबसे बेहतरीन माना जाता है। सीमा पर चीनी गतिविधियों और बढ़ते कदम को रोकना इस फोर्स के लिए कोई बड़ी बात नहीं है। विकास रेजिमेंट के नाम से भी जानी जाने वाली एसएफएफ फोर्स नहीं है, बल्कि खुफिया एजेंसी रॉ (कैबिनेट सचिवालय) के तहत काम करती है। बता दें, इसके अधिकारी सेना के होते हैं और जवान बहुत अहम वजहों से तिब्बत के शरणार्थियों में से चुने जाते हैं।

ये भी पढ़ें... कांप उठा वृंदावन: पाकिस्तानी ने विदेशी युवती के साथ की हैवानियत, सामने आया सच

इस्टैब्लिशमेंट 22

देश के इस रेजिमेंट का गठन 1962 में भारत चीन युद्ध के बाद हुआ था। सन् 1971 की जंग में चटगांव की पहाड़ियों को ऑपरेशन ईगल के तहत सुरक्षित करने में, सन् 1984 में ऑपरेशन ब्लूस्टार और 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन विजय में एसएफएफ की अहम भूमिका थी। वैसे इस फोर्स को अधिकतर इस्टैब्लिशमेंट 22 भी कहा जाता है।

Special frontier force फोटो-सोशल मीडिया

ये भी पढ़ें...मजदूरों पर मुसीबत: अब सामने खड़ी हुई ये बड़ी समस्या, इस कंपनी ने बाहर निकला

दुश्मनों का खात्मा करने के लिए स्पेशल फ्रंटियर फोर्स सन् 1962 की जंग के बाद बनाई गई थी। उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने यूनिट के गठन के आदेश दिया और तिब्बती लड़ाकों को बड़ी संख्या में इस फोर्स में शामिल किया गया। हालांकि शुरूआती दौर में इस फोर्स में 5,000 जवान थे, जिनकी ट्रेनिंग के लिए देहरादून के चकराता में नया ट्रेनिंग सेंटर बनाया गया था।

इस फोर्स के तिब्बती जवानों ने शुरुआत में पहाड़ों पर चढ़ने और गुरिल्ला युद्ध के गुर सीखे। साथ ही इनकी ट्रेनिंग में भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के अलावा अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का भी काफी महत्वपू्र्ण किरदार था।

ये भी पढ़ें...चीन का खात्मा शुरू: पहाड़ी इलाकों से खदेड़े गए सैनिक, हमारे पोस्ट पर थे हावी

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



Newstrack

Newstrack

Next Story