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जॉब छूटने पर भर आई आंखें- कम्पनी ने कहा था-'हिजाब उतारोगी तभी मिलेगी नौकरी'
‘हिजाब पहनोगी तो नौकरी नहीं मिलेगी, नौकरी करनी है तो हिजाब उतारनी पड़ेगी'। ये कोई फ़िल्मी डायलॉग नहीं बल्कि एक होनहार लड़की का वो दर्द है जिसे उसने अपनी नौकरी गंवाने के बाद बयाँ किया है।
लखनऊ: ‘हिजाब पहनोगी तो नौकरी नहीं मिलेगी, नौकरी करनी है तो हिजाब उतारनी पड़ेगी'। ये कोई फ़िल्मी डायलॉग नहीं बल्कि एक होनहार लड़की का वो दर्द है जिसे उसने अपनी नौकरी गंवाने के बाद बयाँ किया है।
लड़की ने बताया कि उसे इंटरव्यू क्वालीफाई कर लेने के बाद केवल इस बात के लिए नौकरी देने से कम्पनी द्वारा मना कर दिया गया क्योंकि वो हिजाब पहनती है।
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क्या है ये पूरा मामला
दरअसल ये पूरा मामला अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) से पास आउट गजाला अहमद नाम की एक लड़की से जुड़ा हुआ है।
उसे हाल ही में उसकी काबलियत को देखते हुए टेलीफोन पर इंटरव्यू पास करने के बाद एक अच्छी कम्पनी में जॉब मिली थी। सैलरी भी अच्छी खासी तय हुई थी।
काम भी उसकी पसंद का ही मिल रहा था। सब कुछ लगभग फाइनल हो गया था। बड़े अखबार और चैनल में इंटर्नशिप करने के बाद उसकी ये पहली जॉब थी।
टेलीफोन पर हुए इंटरव्यू के बाद एक ही दिन में सब कुछ तय हो गया था। लेकिन सिर पर पहने जाने वाले हिजाब की वजह से गजाला के सामने शर्त रख दी गई। शर्त ये थी कि नौकरी चाहिए तो हिजाब उतारो।
गजाला ने बताया कि उसने एएमयू से मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई कम्प्लीट की हुई है। वह अपने कालेज के टाइम से ही हिजाब पहनती आई है। उसने अंग्रेजी के एक बड़े अखबार और हिंदी न्यूज चैनल में इंटर्नशिप भी किया हुआ है।
लेकिन आज तक कभी भी किसी ने भी उसे हिजाब उतारने को नहीं कहा। वहां पर ऐसी कोई शर्त भी नहीं थी। लेकिन अब उसे उसे अपने हिजाब की वजह से नौकरी से हाथ धोना पड़ गया है।
उसने बताया कि जॉब के लिए इंटरव्यू में सब तय हो गया तो मैंने अपनी ही तरफ से पूछा था कि मेरे हिजाब पहनने से कंपनी को कोई परेशानी तो नहीं होगी।
मैं मजहबी लिहाज से हमेशा हिजाब पहनती हूं। जिस पर मुझे दी जा रही नौकरी से मना कर दिया गया। मेरा मानना है कि नौकरी किसी की भी काबिलियत को देखकर दी जानी चाहिए, न कि उसके कपड़े देखकर नहीं।
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जॉब की प्रतीकात्मक फोटो(साभार-सोशल मीडिया)
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है गजाला की यह पीड़ा
नौकरी जाने का मलाल गजाला की आंखों में साफ़ देखा जा सकता है। उसने अपनी पीड़ा को सोशल मीडिया पर भी बयाँ किया है। फेसबुक और ट्विटर अकाउंट पर गजाला ने अपने नौकरी के बारे में सारी बातें लिखीं हैं। बता दें कि ये अपनी तरह का कोई पहला मामला नहीं है बल्कि इससे पहले भी हिजाब को लेकर और मुस्लिम नाम को लेकर नौकरी से हटाने की बातें सामने आती रही हैं।
हिजाब पहने हुए लडकियों की फोटो(साभार-ट्विटर)
कौन कहता है कि हिजाब इंडियन कल्चर में नहीं
वहीं इस बारे में बैकुंठी देवी कन्या कॉलेज में उर्दू की एचओडी डॉ. नसरीन बेगम का बड़ा बयान सामने आया है।
जिसमें उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा है कि जब स्कूल, कॉलेज में हिजाब को लेकर कोई परेशानी नहीं है तो फिर नौकरी में क्यों?
किसने कहा यह इंडियन कल्चर में नहीं है। मुस्लिम धर्म क्या इंडिया में नहीं है। विभिन्न संस्कृति वाले हमारे देश में दर्जनों तरह के पहनावे, बोलियां और खानपान हैं। इसके बाद भी हम सादियों से एक गुलदस्ते जैसे रहते हुए चले आ रहे हैं। हिजाब की वजह से नौकरी न देना गलत है। ये एक तरह का भेदभाव है।
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