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झारखंड स्थापना दिवस के दूसरे दिन बेरोज़गार दिवस, छात्रों ने किया प्रदर्शन

15 नवंबर को झारखंड ने राज्य गठन के 20 साल पूरे कर लिए। 16 नवंबर को पूरे राज्य़ में छात्रों ने बेरोज़गार दिवस मनाया। पंचायत सचिव अभ्यर्थियों ने सरकार पर वादा ख़िलाफ़ी का इल्जाम लगाया। सफल अभ्यर्थियों ने रांची स्थित कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय में एकदिवसीय धरना भी दिया।

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Published on: 16 Nov 2020 4:48 PM GMT
झारखंड स्थापना दिवस के दूसरे दिन बेरोज़गार दिवस, छात्रों ने किया प्रदर्शन
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झारखंड स्थापना दिवस के दूसरे दिन बेरोज़गार दिवस, छात्रों ने किया प्रदर्शन

रांची: 15 नवंबर को झारखंड ने राज्य गठन के 20 साल पूरे कर लिए। 16 नवंबर को पूरे राज्य़ में छात्रों ने बेरोज़गार दिवस मनाया। पंचायत सचिव अभ्यर्थियों ने सरकार पर वादा ख़िलाफ़ी का इल्जाम लगाया। सफल अभ्यर्थियों ने रांची स्थित कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय में एक दिवसीय धरना भी दिया। हालांकि, पार्टी के आश्वासन के बाद धरना समाप्त कर दिया गया। सवाल ये है कि, रोज़गार देने के वादे के साथ सत्ता में आई कांग्रेस आख़िर क्यों वादा ख़िलाफ़ी पर उतर आई है।

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अपने वादे से मुकर रही सरकार

पंचायत सचिव अभ्यर्थियों का आरोप है कि, 15 नवंबर राज्य स्थापना दिवस से पहले उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया गया था। इसी बुनियाद पर उन लोगों ने अपना बेमियादी धरना-प्रदर्शन समाप्त किया था। हालांकि, 15 नवंबर तक राज्य सरकार कोई गंभीर प्रयास करते नज़र नहीं आई है। ऐसे में छात्रों के सामने एकबार फिर से आंदोलन का रास्ता अपनाने के सिवाय कोई चारा नहीं है। रांची समेत पूरे राज्य में पंचायत सचिव के सफल अभ्यर्थियों ने धरना-प्रदर्शन कर सरकार को जगाने की कोशिश की है। जबतक उन लोगों की नियुक्ति नहीं होती है तबतक आंदोलन जारी रहेगा।

रोज़गार को लेकर कांग्रेस का पक्ष

अंतिम मेधा सूची जारी करने की मांग को लेकर पंचायत सचिव अभ्यर्थियों ने कांग्रेस कार्यालय परिसर में धरना दिया। सुबह 11 बजे से लेकर 4 बजे तक छात्र डटे रहे। पार्टी की ओर से आश्वासन मिलने के बाद धरना समाप्त किया गया। कांग्रेस पार्टी की ओर से पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि, कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम और बेरोजगारों को लेकर कांग्रेस की ओर से बनाई गई समिति के संयोजक बादल पत्रलेख के आश्वासन के बाद छात्रों ने धरना समाप्त किया है। पार्टी की ओर से कहा गया है कि, सरकार पंचायत सचिवों की नियुक्ति को लेकर कृतसंकल्पित है। छात्रों की मांगों को लेकर पार्टी गंभीर प्रयास कर रही है। लिहाज़ा, अभ्यर्थी सरकार पर भरोसा रखें।

क्या है पंचायत सचिवों का मामला

पंचायत सचिव के सफल अभ्यर्थियों की संख्या 4913 है जो अंतिम मेधा सूची जारी करने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। अभ्यर्थियो का आरोप है कि, करीब एक साल पहले उनके दस्तावेज़ का सत्यापन हो चुका है लेकिन अबतक मेरिट लिस्ट नहीं निकाली जा रही है। अभ्यर्थियों की मानें तो झारखंड हाईकोर्ट ने कभी भी अपने आदेश में पंचायत सचिव और लिपिक की भर्ती पर रोक नहीं लगाई है। सोनी कुमार बनाम झारखंड सरकार के केस से पंचायत सचिव बहाली का कोई लेना-देना नहीं है। पंचायत सचिव अभ्यर्थियों का आरोप है कि, झारखंड हाईकोर्ट के आदेश से छठी जेपीएससी के सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दे दिया गया लेकिन उसी कोर्ट के आदेश के बाद भी पंचायत सचिव अभ्यर्थियों को टाला जा रहा है।

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कांग्रेस पर रोज़गार देने का दबाव

पंचायत सचिव, सहायक पुलिस कर्मी, होमगार्ड और जेटेट के सफल अभ्यर्थियों को कांग्रेस ने आश्वासन देकर आंदोलन समाप्त कराया है। इस काम में कांग्रेस कोटे के मंत्री बादल पत्रलेख की अहम भूमिका रही है। पिछले दिनों उन्होने कांग्रेस कार्यालय में विभिन्न संगठनों के लोगों के साथ बातचीत भी की थी और सरकार को समय देने की मांग की थी। अब वही अभ्यर्थी कांग्रेस और सरकार पर वादाख़िलाफ़ी का इल्जाम लगा रहे हैं। ऐसे में पार्टी के सामने युवाओं को रोज़गार देने का दबाव बढ़ता जा रहा है। हालांकि, सरकार के पास कोरोना महामारी का बहाना है।

रांची से शाहनवाज़ की रिपोर्ट

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