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Milk Supply in India: दूध की सप्लाई घटी, क्या होगा गर्मियों में

Milk Supply in India: पूरे भारत में दूध की सप्लाई कम हो गई है। दूध के दामों में महंगाई या बढ़ोतरी पिछले साल की तुलना में 9.65 फीसदी तक हो चुकी है। हैरान करने वाली बात ये है कि दूध की मुद्रास्फीति में वृद्धि गर्मी के मौसम से पहले ही आ गई है।

Neelmani Lal
Published on: 15 March 2023 2:48 PM IST
Milk Supply in India: दूध की सप्लाई घटी, क्या होगा गर्मियों में
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Milk Supply in India (Photo: Social Media)

Milk Supply in India: पूरे भारत में दूध की सप्लाई कम हो गई है। दूध के दामों में महंगाई या बढ़ोतरी पिछले साल की तुलना में 9.65 फीसदी तक हो चुकी है। हैरान करने वाली बात ये है कि दूध की मुद्रास्फीति में वृद्धि गर्मी के मौसम से पहले ही आ गई है। गर्मियों में तो प्राकृतिक रूप से दूध उत्पादन घट जाता है और अप्रैल से जून के बीच दही, लस्सी व आइसक्रीम की मांग चरम पर पहुंच जाती है।

डेयरियों की खरीद घटी
महाराष्ट्र की एक बड़ी डेयरी का अनुमान है कि राज्य में दूध की खरीद पिछले साल की तुलना में 10-15 फीसदी कम होगी। यह पिछले साल फ़ीड और चारे की कीमतों में महंगाई का परिणाम है। इसके चलते किसानों ने पशु कम कर दिए हैं या बछड़ों और गर्भवती जानवरों को कम खिलाने लगे हैं जिससे दूध उत्पादन कम हो गया है। उत्पादन में गिरावट की एक वजह मवेशियों को प्रभावित करने वाला लंपी स्किन रोग भी है।

मक्खन की कीमतें दोगुनी
डेयरी जिंसों, खासकर फैट या मक्खन की कीमतों में भी मांग और आपूर्ति के बीच बेमेल देखा जा रहा है। अप्रैल-जुलाई 2020 की लॉकडाउन अवधि के दौरान, पीले (गाय) मक्खन की फैक्ट्री दरें गिरकर 200 से 225 रुपये किलो हो गई थीं। आज महाराष्ट्र की डेयरियां इसे 420 से 425 रुपये किलो बेच रही हैं।

खरीदारों में आविन (तमिलनाडु कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन) और दक्षिण की अन्य डेयरियां शामिल हैं जिनके पास फैट प्रोडक्ट की कमी है। जानकारों के अनुसार, अमूल, मदर डेयरी और पंजाब, बिहार, जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना की सहकारी समितियों में भी सरप्लस फैट नहीं है। उन्हें उत्तर में डेयरियों से सफेद (भैंस) मक्खन खरीदना पड़ रहा है।

कर्नाटक ने मात्रा ही घटा दी
कर्नाटक कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन ने तो ग्राहकों को भरमाने का एक नायाब तरीका अपनाया है। फेडरेशन ने हाल ही में अपने 'नंदिनी' ब्रांड के तहत बेचे जाने वाले फुल-क्रीम दूध (6 फीसदी फैट और 9 फीसदी सॉलिड-नॉट-फैट) की कीमत पिछले दरवाजे से बढ़ाई है। इसकी कीमत पहले एक लीटर के लिए 50 रुपये और आधा लीटर के लिए 24 रुपये थी। अब कीमत तो 50 रुपये और 24 रुपये ही है लेकिन दूध की मात्रा क्रमशः 900 एमएल और 450 एमएल हो गई है।

साबुन, डिटर्जेंट, शैंपू, बिस्कुट या कोल्डड्रिंक में कम मात्रा का खेल तो अब पुराना हो चुका है। पिछले कुछ वर्षों में कंपनियां पैक के आकार में कटौती का खेल खूब खेल रही हैं। लेकिन इस तरह की 'सिकुड़न' दूध के लिए नई बात है।

कर्नाटक में मई में विधानसभा चुनाव होने हैं। केएमएफ ने 24 नवंबर को ही अपने सभी प्रकार के दूध की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी। लेकिन सप्लाई घट गई है। विशेष रूप से फैट की कमी है, जिसके कारण उन्हें फुल-क्रीम दूध की कीमतें बढ़ानी पड़ी हैं और कर्नाटक के बाहर घी की बिक्री भी बंद हो गई है।

केएमएफ भारत की दूसरी सबसे बड़ी डेयरी चिंता है, जिसके जिला संघों ने 2021-22 में औसतन 81.64 लाख किलोग्राम प्रति दिन (एलकेपीडी) दूध की खरीद की। इसके आगे सिर्फ गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (अमूल) है जिसने 271.34 एलकेपीडी खरीद की है।



Neelmani Lal

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