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कोरोना योद्धाओं के लिए क्वारंटाइन की अनिवार्यता खत्म करने पर कोर्ट सख्त

कोरोना वारियर्स का मुद्दा अब सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने आज दायर याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से पूछा कि स्वास्थ्य कर्मियों के लिए 14 दिन का अनिवार्य पृथकवास खत्म क्यों कर दिया गया है।

Aditya Mishra
Published on: 27 May 2020 10:21 AM GMT
कोरोना योद्धाओं के लिए क्वारंटाइन की अनिवार्यता खत्म करने पर कोर्ट सख्त
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नई दिल्ली: कोरोना वारियर्स का मुद्दा अब सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने आज दायर याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से पूछा कि स्वास्थ्य कर्मियों के लिए 14 दिन का अनिवार्य पृथकवास खत्म क्यों कर दिया गया है।

जस्टिस अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने डॉक्टर आरूषि जैन द्वारा अपनी लंबित याचिका में दाखिल अर्जी पर वीडियो कांफ्रेन्सिग के माध्यम से सुनवाई के दौरान केन्द्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता को अगले सप्ताह तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

दरअसल डॉक्टर आरूषि ने अपनी याचिका में केन्द्र की नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में कोविड-19 की पहली कतार के स्वास्थ्यकर्मियों के लिए 14 दिन का अनिवार्य पृथकवास (क्वारंटाइन) समाप्त करने पर सवाल उठाया था। इस मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है।

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सरकार की तरफ से हलफनामा दायर कर कही गई थी ये बातें

यहां आपको बता दें कि एडवोकेट मिट्ठू जैन और अर्जुन स्याल के जरिये कोर्ट में दायर हलफनामें में कहा गया है कि केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक ने 15 मई को अस्पताल के कोविड-19 और गैर कोविड-19 क्षेत्र में काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों के प्रबंधन के बारे में परामर्श जारी किया है। इसमें स्वास्थ्यकर्मियों के लिये एहतियाती उपायों, एकांतवास और पृथकवास के बारे में प्रावधान किया गया है।

हलफनामे में कहा गया है कि इस परामर्श के अनुसार, कोविड-19 के दौरान तैनात स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सलाह दी गई है। इस परामर्श में सभी स्वास्थ्य कर्मियों के लिए 14 दिन का अनिवार्य पृथकवास खत्म कर दिया गया है।

इसमें कहा गया है कि केन्द्र के इस परामर्श के बाद कर्नाटक सरकार ने 16 मई को एक सर्कुलर जारी किया जिसके अनुसार स्वास्थ्यकर्मी हमेशा पूरे पीपीई का इस्तेमाल करते हैं और जिनमें इसके लक्षण नहीं हैं उन्हें पृथकवास करने की आवश्यकता नहीं है।

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सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई को केंद्र से पूछा था ये सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई को केन्द्र से कहा था कि कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित मरीजों का उपचार कर रहे चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों के अस्पताल के आसपास ही आवासों में पृथकवास के बारे में किये गये उपायों से उसे अवगत कराया जाये।

आरूषि जैन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा था कि सरकारी अस्पतालों में सात से 14 दिन की ड्यूटी पूरी करने वाले रेजीडेन्ट चिकित्सकों के लिए पृथकवास की व्यवस्था की अपेक्षा की जाती है।

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