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Government Vs Rajyapal: पंजाब सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी, जानें क्या है पूरा मामला

Government Vs Rajyapal: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार के बिल पर राज्यपाल तभी फैसला लेते हैं, जब सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंचती है। उन्होंने इस गलत करार देते हुए कहा कि यह बंद होना चाहिए।

Krishna Chaudhary
Published on: 7 Nov 2023 10:48 AM IST (Updated on: 7 Nov 2023 12:06 PM IST)
Punjab Government Vs Rajyapal
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Punjab Government Vs Rajyapal  (photo: social media )

Government Vs Rajyapal: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब में राज्यपाल और सरकार के बीच चल रहे टकराव पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। दरअसल, राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार ने राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित द्वारा विधेयकों को लटकाने का आरोप लगाते हुए सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया था। जिस पर सोमवार को कोर्ट में सुनवाई हुई।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार के बिल पर राज्यपाल तभी फैसला लेते हैं, जब सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंचती है। उन्होंने इस गलत करार देते हुए कहा कि यह बंद होना चाहिए। सीजेआई ने इस दौरान राज्यपालों के व्यवहार पर बेहद तल्ख टिप्पणी भी की। उन्होंने कहा कि राज्यपालों को इस तथ्य से अनजान नहीं रहना चाहिए वे निर्वाचित प्राधिकारी नहीं हैं।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने हैरानी जताते हुए कहा कि आज सदन बुलाने के लिए भी संबंधित पार्टियां सुप्रीम कोर्ट आ जाती हैं। हमें य़ाद रहना चाहिए कि हम सबसे पुराने लोकतंत्र हैं। उन्होंने नसीहत देते हुए कहा कि ये मुद्दे राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच सुलझाए जाने चाहिए। सभी को अंतरात्मा की तलाश कर, उसकी आवाज सुननी चाहिए।

पंजाब सरकार का आरोप और राज्यपाल का जवाब

सुप्रीम कोर्ट पंजाब सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए। वहीं, राज्यपाल की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता। सुनवाई के दौरान भी दोनों पक्षों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला। मान सरकार का पक्ष रखते हुए सिंघवी ने गवर्नर पर 4 महीने से सात बिल को अपने पास लटकाए रखने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इससे राज्य का कामकाज प्रभावित हो रहा है। राज्यपाल की असंवैधानिक निष्क्रियता के कारण प्रशासनिक कामकाज में भी दिक्कत आ रही है।

इस पर राज्यपाल का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पंजाब विधानसभा में 4 विधेयक पास किए गए हैं। इसके अलावा तीन वित्त विधेयक हैं। उनको सदन में पेश करने से पहले राज्यपाल की अनुमति लेनी जरूरी होती है। गवर्नर ने दो मनी बिल पेश करने की मंजूरी दे दी है। इसके बाद सीजी मेहता ने सूबे के मुख्यमंत्री भगवंत मान पर राज्यपाल के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया


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10 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यपाल से उनके पास लंबित विधेयकों की ताजा स्थिति क्या है, उस पर जवाब मांगा है। 10 नवंबर यानी आने वाले शुक्रवार को इस पर सुनवाई होगी। इस दिन सुप्रीम कोर्ट पंजाब सरकार के साथ-साथ केरल और तमिलनाडु सरकारी की भी ऐसी ही याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई करेगा।

दरअसल, अधिकांश विपक्ष शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की शिकायत रही है कि राज्यपाल उनकी सरकार के कामकाज में अनावश्यक ढंग से हस्तक्षेप करते हैं। वे संवैधानिक पद पर आसीन होने के बावजूद किसी पार्टी के नेता के तौर पर व्यवहार करते हैं। उनका आरोप है कि वे दिल्ली के इशारे पर काम करते हैं। दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, पंजाब, केरल और तमिलनाडु में यह विवाद ज्यादा है। महाराष्ट्र में भी महाविकास अघाड़ी सरकार के दौरान गवर्नर की भूमिका को लेकर खूब बवाल हुआ था।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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